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शेखावत की पहल से चौसाला में मिले थे जरुरतमंदों को घर

शिवाजी शिक्षा संस्था के संचालक हेमंत कालमेघ ने की स्मृति ताजा

अमरावती/दि.25 – डॉ. देवीसिंह शेखावत और दादासाहब कालमेघ के बीच घनिष्ठ मैत्री थी. 1975 में प्रतिभाताई पाटिल प्रदेश में सामाजिक न्याय मंत्री के रुप में कार्यरत थी. उस समय राज्य शासन ने पिछडा वर्ग बेघर योजना शुरु की थी. इस योजना का पहला प्रकल्प जिले के चौसाला गांव में डॉ. शेखावत की पहल से शुरु हुआ था. चौसाला यह दादासाहब कालमेघ का पैतृक गांव है. दादासाहब से मित्रता के कारण ही यह पहल होने की जानकारी दादासाहब के चिरंजीव तथा शिवाजी शिक्षा संस्था के संचालक हेमंत कालमेघ ने दी.
डॉ. शेखावत का शुक्रवार सबेरे पुणे में निधन हो गया. यहां अमरावती में उनकी कर्मभूमि में सभी डॉ. शेखावत के विकास कार्यों का योगदान उल्लेखित कर रहे है. ऐसे में हेमंत कालमेघ ने स्मृति को ताजा करते हुए बताया कि, दादासाहब कालमेघ तथा डॉ. शेखावत ने शिक्षा क्षेत्र में अनेक वर्ष एकत्र काम किया. वे राजकारण में माहीर थे. 1992 का एक किस्सा याद करते हुए हेमंत कालमेघ ने बताया कि, शिवाजी शिक्षा संस्था का चुनाव था. उस समय का चुनाव रोचक हो जाने की बात दादासाहब के ध्यान में आ गई थी. दादासाहब ने हेमंत और उनके भाई को शेखावत के पास भेजा. हेमंत ने बताया कि, वे शेखावत को शेखावत काका कहते थे. उन्होंने बताया कि, वहां जाने पर अनेक विषयों पर चर्चा हुई और जब घर से बाहर आए, तो उन्होंने अर्थात शेखावत ने बता दिया था कि, चुनाव रौंचक होने वाला है. किंतु चिंता न करें. कालमेघ साहब 30-35 वोट से जीत जाएंगे. दूसरे दिन मतदान हुआ. चुनाव परिणाम बडे धक्कादाय थे. दादासाहब के पैनल के सभी प्रत्याशी हार गए थे. केवल दादासाहब विजयी हुए वह भी मात्र 35 वोट से ही. हेमंत कालमेघ ने बताया कि, दादासाहब की विजय शेखावत काका के कारण हो सकी थी. उस रात जब वे उन्हे मिलकर लौटे, तब कुछ लोगों को डॉ. शेखावत ने फोन किए थे. दादासाहब की विजय सुनिश्चित की थी.

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