प्रतिनिधि/दि.३१
अमरावती-विगत दिनों केंद्र सरकार ने समूचे देश के शिक्षा क्षेत्र में आमूलाग्र बदलाव लाने हेतु कुछ बेहद अहम फैसले लिये है. जिसके तहत केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया जाना प्रस्तावित है. साथ ही अब तक चली आ रही १०+२ पध्दति की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए कक्षा पांचवी तक मातृभाषा में पढाई को अनिवार्य करने का फैसला लिया गया है. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल ने शहर के गणमान्य शिक्षाविदो से इस संदर्भ में नई शिक्षा नीति को लेकर उनके विचार जानने चाहे. जिसमें लगभग सभी का कहना रहा कि, शिक्षा क्षेत्र में लगातार बदलाव व प्रयोग जारी रहने चाहिए. जिससे प्रभावोत्पादकता बनी रहती है.
मातृभाषा में पढाई का निर्णय शानदार
केंद्र सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को अनिवार्य करने का जो निर्णय लिया गया है, उसे काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है. हमारा अंग्रेजी भाषा के लिए कतई विरोध नहीं है, किंतु हमारा यह स्पष्ट मानना है और विभिन्न वैज्ञानिक शोधों से यह साबित भी हो गया है कि, बचपन में सभी बच्चों की पढाई-लिखाई यदि उनकी मातृभाषा में हो तो इसके काफी प्रभावी परिणाम दिखाई देते है. ऐसे में केंद्र सरकार ने काफी शानदार व बेहतरीन निर्णय लिया है. इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. – प्रा. हेमंत खडके मराठी विभाग, संगाबा अमरावती विवि
आनेवाली पीढी के लिए सराहनीय प्रयास
केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा प्रणाली की घोषणा को आनेवाली पीढी के लिए एक बेहद सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है. बदलते परिवेश के साथ शिक्षा व्यवस्था में भी समयानुकूल आवश्यक बदलाव होने चाहिए. यह पहले भी होता आया है और ऐसा आगे भी होना चाहिए, ताकि नई पीढी को आधुनिक ज्ञान मिल सके. शिक्षा क्षेत्र में ऐसे बदलावों का स्वागत किया जाना चाहिए.
– डॉ. नमिता अवस्थी (तिवारी) डीन, विधी विभाग, जीएच रायसोनी कालेज
मंत्रालय का नाम बदलना गलत
केंद्र सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति मंजूर की गई है, उसमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा दिये गये सुझावों को भी शामिल किया गया है, यह खुशी की बात है. साथ ही शिक्षा के लिए जीडीपी का छह प्रतिशत हिस्सा खर्च करने की घोषणा भी स्वागतयोग्य है, लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि, यह पैसा कहां व कैसे खर्च किया जायेगा. वहीं सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम नहीं बदलना चाहिए था, क्योकी मानव संसाधन विकास इस शब्द की व्याप्ती काफी अधिक है. इसी तरह यदि सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को संसद के सामने रखा जाना चाहिए था, जहां इस पर बहस होकर कुछ और अच्छी बातें सामने आ सकती थी. इसी तरह नई शिक्षा नीति को अमल में लाने हेतु सरकार की क्या योजना है, यह भी स्पष्ट होना बेहद जरूरी है. – प्रा. अंबादास मोहिते संस्थापक अध्यक्ष, मॉस्वे
काफी बातों पर और भी ध्यान दिया जाना जरूरी था
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विकेंद्रीकरण को बढावा दिया जाना चाहिए था, लेकिन पूरा अधिकार बोर्ड ऑफ गव्र्हनर्स को दिया गया है. इसी तरह स्थानीय भाषा में पढाये जाने का निर्णय उचित है, यदि इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त समिती बनाये जाने की आवश्यकता है. वहीं कम उम्र के बच्चों को व्होकेशनल कोर्सेस पढाना कहां तक कारगर साबित होगा, यह फिलहाल तय नहीं है. वहीं इसके लिए इन्फ्रास्ट्र्नचर कब तक बन पायेगा, यह भी अपने आप में बडा सवाल है. सरकारी स्कूलों व कालेजों के बहुमूल्य इन्फ्रास्ट्र्नचर का अधिक से अधिक उपयोग कैसे किया जाये, इसे लेकर भी इस नीति में स्पष्ट नहीं कहा गया है. स्कूली शिक्षा में प्रोजेक्ट और लोकल इंटरेस्ट के लिए स्पेशल पावर देने की आवश्यकता रहेगी. आज भी भारत के हर हिस्से में ई-इन्फ्रा नहीं पहुंच पाये है. ऐसे में उन इलाकों के बच्चों तक प्रोजेक्ट व अन्य सुविधाये कैसे पहुचेंगी, यह भी अपने आप में बडा सवाल है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपने आप में एक सराहनीय प्रयास है, लेकिन इसमें और भी काफी बींदूओं पर काम किया जाना जरूरी है
. – डॉ. अश्विन बाजपेयी संचालक, विश्वभारती पब्लिक स्कूल
शिक्षा के मानक को बढाने में मददगार होगी नई नीति
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जिस नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई है, उसे इस्त्रो के पूर्व प्रमुख डॉ. कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में बनाया गया है और यह नीति किताबी ज्ञान की बजाय व्यवहारिक ज्ञान पर केंद्रीत है. इसमें व्यवसायिक अध्ययन को प्राथमिकता दी गई है और शिक्षा संस्थाओं को स्वायत्त बनाने पर जोर दिया गया है. इस तरह सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने का मानस रखती है. साथ ही २०० विदेशी विश्वविद्यालयों को भी भारत में शिक्षा सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी जायेगी. ऐसे में हम आशा कर सकते है कि, यह नीति भारत में शिक्षा के मानक को बढाने में मददगार साबित होगी.
– डॉ. निक्कू खालसा डीन, ट्रेनिंग एन्ड प्लेसमेंट, प्रा. राम मेघे टे्ननॉलॉजी व रिसर्च संस्था, बडनेरा