नई पीढी फोटो में ही देखेगी छत्री और वडाली तालाब को
सौंदर्यीकरण के कई वर्षो से बंद पडे है दोनों तालाब
* कभी शहर में रमणीय पर्यटन स्थल के तौर पर थे विख्यात
* अब दोनों तालाब बन चुके है शराबियों व असमाजिक तत्वों का अड्डा
अमरावती/दि.25– शहर के पास ही अमरावती शहर की पहचान के तौर पर दो तालाब हैं, जिन्हें वडाली तालाब और छत्री तालाब के तौर पर पहचाना जाता है. इसी समय अमरावती शहर को पानी के लिए कुओं पर ही निर्भर रहना पडता था. कालांतर में अंग्रेजों ने शहर के पूर्वी छोर पर दो तालाबों में निर्माण कराया और इन तालाबोें के पानी का पेयजल सहित अन्य कामों हेतु उपयोग करना शुरू किया गया. साथ ही साथ दोनों ही तालाब रमणीय स्थल के तौर पर ही विकसित हुए. जिनके आसपास बने बगीचों में खेल खिलौने की व्यवस्था की गई ताकि लोग बाग अपने परिवार सहित वहां आकर अच्छा समय व्यतीत कर सके. परंतु दोनों ही तालाबों को मानों सरकारी व प्रशासनिक अनास्था का ग्रहण लग गया और कुछ वर्ष पहले सौंदर्यीकरण के नाम पर बंद किए गये ये दोनों ही तालाब अब तक बंद ही पडे हैं. जिसके चलते दोनों तालाबों के आसपास बनाए गये खेल खिलौने वाले बगीचे पूरी तरह से सूखकर उजाड हो गये है. ऐसे में अब यह खतरा बनता दिखाई दे रहा है कि नई पीढी के बच्चों को छत्री तालाब व वडाली तालाब केवल फोटो में ही दिखाना पडेगा.
बता दें कि शहर के भानखेडा रोड पर स्थित छत्री तालाब को किसी जमाने में काला पानी तालाब के तौर पर पहचाना जाता था. जहां तालाब के बीचों बीच छत्री लगाए जाने के बाद इसकी पहचान छत्री तालाब के तौर पर हुई. शहर के पूर्वी छोर पर स्थित टेकडियों के बीचोंबीच इस तालाब का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि बारिश के दौरान टेकडियों से उतरनेवाला पानी इस तालाब में आकर जमा हो. साथ ही शहर के लिए पानी की सुविधा हो. चूकि यह तालाब जंगल परिसर से सटा हुआ है. जिसके चलते इस तालाब के पानी से कई वन्यप्राणी भी अपनी प्यास बुझाते. परंतु विगत कुछ वर्षो से इस तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण के नाम पर काफी निर्माण कार्य किए गये है. जिस पर करोडों रूपयों का खर्च भी हुआ है. परंतु सौंदर्यीकरण का काम अब तक अधूरा ही पडा हुआ है. जिसके चलते यह तालाब विगत कई वर्षो से आम लोगों के लिए बंद पडा हुआ है.
कुछ इसी तरह की स्थिति चांदुर रेलवे मार्ग स्थित वडाली तालाब की भी है. जो किसी समय शहरवासियों के लिए साप्ताहिक अवकाश की छुट्टी बिताने का सबसे शानदार साधन हुआ करता था और तालाब के पास ही बने वडाली बगीचे में पूरा समय छोटे बच्चों की किलकालियां गूंजा करती थी. लेकिन यह तालाब और बगीचा भी विगत कई वर्षो से सौंदर्यीकरण के नाम पर बंद पडा हुआ है तथा वडाली बगीचा पूरी तरह से सूख कर उजाड होने के साथ ही अब झाड झखांड से भर गया है. लेकिन बाबजूद इसके अमरावती शहरवासियों को शहर के पास ही पर्यटन एवं रमणीय स्थल उपलब्ध कराने के संदर्भ में प्रशासन एवं सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा.
* करोडों का खर्च गया पानी में
छत्री तालाब एवं वडाली तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण करने हेतु बडे पैमाने पर पैसा खर्च किया गया है. साथ ही साथ दोनों तालाबों से गाद निकालकर तालाबों की गहराई भी बढाई गई है. लेकिन उसके बावजूद उन दोनों तालाबोें की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि इन तालाबों पर किया गया करोडों रूपये का खर्च व्यर्थ चला गया.
* तालाब परिसर में हर ओर बिखरी है शराब की बोतलें व डिस्पोजेबल ग्लास
पूरी तरह से उजाड व सूनसान हो चुके छत्री तालाब व वडाली तालाब इन दिनों शराबियों व असमाजिक तत्वों का अड्डा बन चुके है तथा रात ढलते ही इन दोनों तालाब परिसरों में शराब की महफिले आबाद हो जाती है. जिसका सबूत इन दोनों तालाब परिसरों में हर ओर पडी रहनेवाली शराब की खाली बोतलें व डिस्पोजेबल ग्लास के तौर पर देखा जा सकता है.
* खेल खिलौने के साथ ही बोटिंग की सुविधा
किसी समय वडाली तालाब और बगीचा सभी शहरवासियों के लिए आकर्षण का केन्द्र हुआ करता था. जहां पर विभिन्न तरह के झूलों व साहसिक खेलों के साथ ही खिलौना ट्रेन, थ्री डी थियेटर व उपहार गृह सहित तालाब में पैडल बोट व मशीन बोट की सुविधा भी हुआ करती थी. जिसके चलते साप्ताहिक अवकाश वाले दिनों सहित छुट्टी वाले दिनों के समय वडाली गार्डन में लोगों की अच्छी खासी भीडभाड रहा करती थी. इसके साथ ही वडाली एवं छत्री तालाब के बगीचों में लोगबाग अपने परिवारों व मेहमानों के साथ डिब्बा पार्टी करने के लिए भी पहुंचा करते थे. जिसकी कई तस्वीरें आज भी लोगों के एलबमों में सुरक्षित है. ऐसे में अब उन्हीं तस्वीरों के जरिए वडाली व छत्री तालाब की यादें बची हुई है और नई पीढी को अब वही तस्वीरें दिखाकर बताना पडेगा कि किसी समय अमरावती में छत्री तालाब व वडाली तालाब भी हुआ करते थे.
* छत्री तालाब की वजह से गर्मी के मौसम दौरान वन्यप्राणियों को पीने का पानी उपलब्ध होता है. साथ ही तालाब के पानी की वजह से इस परिसर के कुओंं का भी जलस्तर अच्छा खासा रहता है. लेकिन तालाब के चारों ओर किए जानेवाले निर्माण की वजह से नैसर्गिक जलस्त्रोत बाधित होंगे.
नीलेश कंचनपुरे
अध्यक्ष, वॉर संस्था