* अब संगीन मामलों में आरोपियों को हथकडी
* 1 जुलाई से थानों में जनजागृति भी
* तीन साल कम सजा के प्रकरणों में भी गिरफ्तारी
अमरावती/ दि. 29- देश में कल 30 जून की मध्यरात्रि से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष अधिनियम लागू होने जा रहे हैं. जिससे पीडित को न्याय मिलने की उम्मीद बढ गई है. अब गंभीर अपराध वाले अभियुक्तों को पुलिस हथकडी लगायेगी. उसी प्रकार 3 वर्ष से कम सजा वाले प्रकरणों में भी पुलिस गिरफ्तारी कर सकेगी. यह जानकारी सीपी नवीनचंद्र रेड्डी ने आज दोपहर आयोजित पत्रकार वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि शहर के स्थानों में परसों सोमवार 1 जुलाई से नागरिकों के लिए नये कानूनी प्रावधानों की जानकारी देने अवेयरनेस कार्यक्रम किए जायेंगे. प्रेस वार्ता में सीपी के साथ तीनों डीसीपी गणेश शिंदे, सागर पाटिल,कल्पना बारावकर और अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
* सजा देना उद्देश्य नहीं
सीपी रेड्डी ने नये कानूनों की आवश्यकता और भूमिका विषद की. उन्होंने बताया कि नये कानून 3 सिध्दांतों न्याय, समानता और निष्पक्षता पर आधारित है. पीडित व्यक्ति को न्याय देकर आरोपी को सजा के माध्यम से अपराध की पुनरावृत्ति रोकना है. उसी प्रकार सजा देना उद्देश्य नहीं है तो न्याय देना है.
* 164 वर्ष बाद बदली संहिता
सीपी रेड्डी ने बताया कि 1860 की भारतीय दंड संहिता को देश के दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना से अब 164 वर्षो पश्चात भारतीय न्याय संहिता 2023 में रूपांतरित किया गया है. कानून को मानवीय बनाया गया है. समय के साथ कानूनों में परिवर्तन किया गया है. संपूर्ण देश में एक समान न्याय व्यवस्था लागू करना और पुलिस व नागरिक के अधिकारों का संतुलन साध्य करना भी उद्देश्य हैं. तकनीक के इस दौर में अपराधों की जांच में तकनीक और व्यापक दृष्टिकोण का समावेश बीएनएस में हैं.
* केवल 358 धाराएं
आयपीसी में 511 धाराएं थी. बीएनएस में केवल 358 धाराएं हैं. डीएनएस में आयपीसी अंतर्गत प्रावधानों को व्यवस्थित और एकत्रित किया है. बीएनएस की धारा 317 में आयपीसी की चोरी की सभी धाराएं शामिल कर ली गई है. उसी प्रकार धारा 304 में वस्तु छीने जाने के प्रकरणों का समावेश रहेगा. महिला और बच्चों के सभी अपराध बीएनएस के अध्याय 5 अंतर्गत लाए गये हैं. आत्महत्या का प्रयत्न का अपराध हटा दिया गया है.