अमरावती

कोरोना के नये स्ट्रेन का उगम अमरावती से नहीं, बल्कि राजस्थान से

विद्यापीठ प्रयोगशाला के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत ठाकरे ने दी जानकारी

  • राजस्थान से अमरावती पहुंचा था नया स्ट्रेन

  • नये स्ट्रेन से ही अमरावती सहित देश में आयी कोविड की दूसरी लहर

अमरावती/दि.28 – विगत दिनों एक खबर सामने आयी थी कि, कोविड की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कोरोना के नये स्ट्रेन का उगम व प्रसार अमरावती जिले से हुआ है. इस खबर को पूरी तरह से खारिज करते हुए संगाबा अमरावती विद्यापीठ की सरकारी कोविड टेस्ट लैब के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत ठाकरे ने बताया कि, हकीकत में कोविड वायरस का यह नया स्ट्रेन दिसंबर 2020 के दौरान राजस्थान में पाया गया था. जिसकी जानकारी हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एन्ड मॉड्युक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) द्वारा भी दर्ज की गई है. पश्चात यह वायरस जनवरी माह के दौरान किसी के जरिये अमरावती पहुंचा और फिर अमरावती से कोविड संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुई. जिसके तहत खुद अमरावती में विगत फरवरी माह से अब तक 40 हजार से अधिक लोग कोविड संक्रमण की चपेट में आये.
इस बारे में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौरा पर बातचीत करते हुए डॉ. प्रशांत ठाकरे ने बताया कि, इन दिनों कोविड की दूसरी लहर फैलानेवाले कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन अमरावती में पाये जाने की चर्चा चल रही है और ऐसी खबरें मीडिया में भी चलायी जा रही है. जिसकी वजह से अमरावतीवासियों में भय का माहौल है. जबकि हकीकत यह है कि, कोविड वायरस के नये स्ट्रेन का उगम अमरावती में नहीं बल्कि राजस्थान में हुआ था. इस समय डबल म्युरेअन म्युटंट ‘ई484क्यू’ तथा ‘एल452आर’ सामने आये है. इसमें कुल 15 म्युरेअन है. जिसमें से अब तक 6 म्युरेअन सामने आ चुके है और दो म्युरेअन को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. डबल म्युरेअन म्युटंट दिसंबर 2020 में पाया गया था और यह कोई नया स्ट्रेन नहीं है, बल्कि इन दिनों 70 फीसदी सैम्पलों में यह म्युटंट पाया जा रहा है. साथ ही ग्रीस व युके में भी डबल म्युरेअन म्युटंट पाया जा चुका है. ऐसे में इस म्युटंट का उगम अमरावती से हुआ, ऐसा नहीं कहा जा सकता.
वहीं डॉ. ठाकरे ने यह भी बताया कि, कोविड वायरस का नया स्ट्रेन हिंगोली व अकोला जिले में पाया जा चुका है. साथ ही इस समय बंगाल में ट्रिपल म्युरेअन म्युटंट पाये जाने की भी पुष्टि हो चुकी है. चूंकि यह वायरस देश और समय के हिसाब से खुद में जेनेटिक बदलाव कर लेता है. अत: इसके अलग-अलग म्युटंट व स्ट्रेन पाये जा सकते है. जिससे डरने की जरूरत नहीें है. बल्कि कोविड त्रिसूत्री के नियमों का पालन करना जरूरी है. इसके तहत हर किसी ने मास्क एवं सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का प्रयोग करना चाहिए और हर घंटे-डेढ घंटे के अंतराल में अपने हाथों को साफ करना चाहिए. इस जरिये ही हम कोविड वायरस के संक्रमण की चेन को तोड सकते है. ऐसा भी डॉ. प्रशांत ठाकरे का कहना रहा.

दो माह में जांचे गये 1 लाख से अधिक सैम्पल

विगत वर्ष 4 मई से संगाबा अमरावती विद्यापीठ में शुरू की गई सरकारी कोविड टेस्ट लैब में गत फरवरी माह तक 1 लाख सैम्पलों की जांच हुई थी. वहीं मार्च व अप्रैल इन दो माह के दौरान ही 1 लाख से अधिक सैम्पलों को जांचा गया है. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस समय संक्रमण की रफ्तार कितनी अधिक तेज हो चुकी है. डॉ. प्रशांत ठाकरे के मुताबिक संक्रमण की रफ्तार तेज रहने की वजह से यदि परिवार में कोई एक व्यक्ति इस संक्रमण की चपेट में आता है, तो पूरे परिवार के सदस्य कोविड पॉजीटीव पाये जाते है. इन दिनों ऐसी स्थिति है. इसके अलावा अब संक्रमण के साथ ही मृत्यु दर में भी वृध्दि हो रही है और हर महिने में कोविड वायरस के भीतर जेनेटिक बदलाव देखे जा रहे है. जिसे लेकर ‘वेरियंट ऑफ कन्सलटंट’ विश्लेषण किया जा रहा है. साथ ही कई सैम्पलों को पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला के पास जांच हेतु भेजा जा रहा है.

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