अमरावतीमहाराष्ट्र

डंपिंग मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद

सुप्रीम कोर्ट में आज फिर हुई सुनवाई

अमरावती/दि.17- अमरावती मनपा क्षेत्र के सुकली कंपोस्ट डिपो में होने वाले प्रदूषण के लिए मनपा को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय हरित लवाद में मनपा पर वर्ष 2020 में 47 करोड रुपए का जुर्माना ठोका था. इस जुर्माने को रद्द करने के लिए मनपा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है. आज इस प्रकरण में प्रतिवादी और आवेदक की जिरह सुनने के बाद अब अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद निश्चित की गई है.
आज सोमवार 17 मार्च को डंपिंग ग्राउंड मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. जिसमें माननीय न्यायाधीशों ने अमरावती नगर निगम द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्रों के विवरण के मुताबिक अमरावती नगर निगम ने कहा रखरखाव और संचालन के लिए पीएच जाधव के साथ संयुक्त उद्यम में मे. गंगा ट्रेडिंग कंपनी के साथ तब तक काम किया जाएगा जब तक कि इसके लिए नया ठेकेदार नियुक्त नहीं हो जाता. इसलिए वर्तमान में 200 टीपीडी की क्षमता वाले सुकली डंपिंग ग्राउंड एमएसडब्ल्यू प्लांट और 100 टीपीडी की क्षमता वाले अकोली बाईपास एमएसडब्ल्यू प्रोसेसिंग प्लांट को पीएच जाधव के साथ संयुक्त उद्यम में मे. गंगा ट्रेडिंग कंपनी के माध्यम से संचालित किया जा रहा है. अपीलकर्ता निगम ने पीएच जाधव के साथ संयुक्त उद्यम में मे. गंगा ट्रेडिंग कंपनी को सुकली डंपिंग ग्राउंड एमएसडब्ल्यू प्लांट और अकोली बाईपास एमएसडब्ल्यू प्रोसेसिंग प्लांट में संसाधित नगरपालिका ठोस अपशिष्ट की मात्रा के बारे में रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है. उक्त निर्देश के अनुपालन में, पीएच जाधव के साथ संयुक्त उद्यम में मेसर्स गंगा ट्रेडिंग कंपनी ने 28.02.2025 को जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक संसाधित अपशिष्ट की मासिक मात्रा के बारे में अपीलकर्ता निगम के स्वच्छता विभाग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. वर्ष 2024 में मासिक रूप से उत्पन्न और संसाधित नगरपालिका ठोस अपशिष्ट की मात्रा इस प्रकार है. जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक यानी 366 दिनों की अवधि में कुल 68,844.78 वर्ग मीटर नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया गया. इस प्रकार, अपीलकर्ता निगम के अधिकार क्षेत्र में उत्पन्न और संसाधित होने वाला औसत दैनिक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट 188.10 टीपीडी है. अपीलकर्ता निगम के पास कुल 300 टीपीडी तक की क्षमता वाले एमएसडब्ल्यू प्लांट संचालित हैं. इसलिए अपीलकर्ता निगम के अधिकार क्षेत्र में उत्पन्न नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण सुकाली डंपिंग ग्राउंड एमएसडब्ल्यू प्लांट और अकोली बाईपास एमएसडब्ल्यू प्रसंस्करण प्लांट में प्रतिदिन किया जा रहा है. इस पर न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, माननीय न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने सवाल उठाया कि यदि अमरावती नगर निगम के पास प्रसंस्करण की पर्याप्त क्षमता है, तो उन्हें विरासत अपशिष्ट की समस्या का सामना क्यों करना पड़ रहा है, विरासत अपशिष्ट दिन-प्रतिदिन क्यों बढ़ रहा है. तब न्यायाधीश ने प्रतिवादी गणेश अनासने से पूछा कि अमरावती नगर निगम किस प्रकार की निगरानी प्रणाली संचालित कर रहा है. उस पर प्रतिवादी ने जवाब दिया कि 47 करोड़ मुआवजे का पूरा मामला जिला कलेक्टर अमरावती और एमपीसीबी क्षेत्रीय अधिकारी की रिपोर्ट पर आधारित है, लेकिन आज तक उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपना हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया है और न ही वे एमएसडब्ल्यू अपशिष्ट प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं, जबकि वे इस मामले में प्रतिवादी हैं. तथा जिला कलेक्टर एवं एमपीसीबी क्षेत्रीय अधिकारी से संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की. इस पर अमरावती नगर निगम के वकीलों ने नीरी रिपोर्ट हवाला देते हुवे उन्होंने कहा कि नीरी की रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की जा चुकी है. उस पर प्रतिवादी गणेश अनासने ने कहा कि यदि नीरी की रिपोर्ट सही है तो उस रिपोर्ट के अनुसार लिगेसी के बायोमाइनिंग का काम 31 दिसंबर 2023 तक पूरा होना चाहिए, फिर यह आज तक लंबित क्यों है.. आवेदक और प्रतिवादी दोनों की दलीलें सुनने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने अमरावती नगर निगम को एमएसडब्ल्यू परियोजना के सभी विकासकार्यों पर अधिक विस्तृत और उचित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया. अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.

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