अमरावती

देश में बाघों की संख्या हुई दोगुनी

राज्य में हैं कुल 396 बाघ

* 97 फीसद बाघ हैं विदर्भ में
* सर्वाधिक बाघ चंद्रपुर जिले में
* आज विश्व बाघ दिवस पर विशेष
अमरावती/दि.29- विगत 12 वर्षों के दौरान देश में बाघों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है. वर्ष 2010 के आसपास बाघों की संख्या करीब 2 हजार के लगभग थी, जो वन विभाग, वन्यजीव विभाग तथा वन्य प्रेमियों सहित वन क्षेत्र के आसपास रहनेवाले नागरिकोें के सहयोग से बढकर अब 4 हजार के आसपास जा पहुंची है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ दशकों के दौरान पूरी दुनिया में बाघों की संख्या बडी तेजी से घटी और पिछले एक शतक के दौरान यह संख्या 1 लाख से घटकर 3 हजार 200 तक आ पहुंची. शिकार व तस्करी की घटनाओं के साथ-साथ बाघों और इंसानों के बीच होनेवाले संघर्ष की वजह से दुनिया में 40 फीसद बाघ कम हो गये. इसी बात के मद्देनजर रूस के सेंट पिटर्सबर्ग में वर्ष 2010 के दौरान हुई शिखर परिषद में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का निर्णय लिया गया. उल्लेखनीय यह भी है कि, उस समय भी पूरी दुनिया में बाघों की सर्वाधिक संख्या भारत में थी और आज भी दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में सर्वाधिक बाघ है. एनटीसी द्वारा 12 फरवरी 2010 को व्याघ्र गणना के संदर्भ में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 में देश में 1 हजार 491 बाघ थे, जिसमें से 186 बाघ महाराष्ट्र में थे. उस समय पूरी दुनिया में बाघों की अनुमानित संख्या 3 हजार 500 के आसपास बतायी गई थी. जिसके आधार पर वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी यानी 7 हजार के आसपास करने का लक्ष्य तय किया गया था. पिटर्सबर्ग के शिखर सम्मेलन में तैयार किये गये घोषणापत्र के अनुसार देश ने विगत 12 वर्षों के दौरान बाघों की संख्या को दोगुना करने में सफलता प्राप्त की है और आज देश में करीब 4 हजार बाघ रहने का दावा राज्य के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक सुनील लिमये द्वारा किया गया है. जिसमें से महाराष्ट्र राज्य में 400 के आसपास बाघ रहने की जानकारी है. इसमें भी विशेष उल्लेखनीय यह है कि, 350 बाघ अकेले विदर्भ क्षेत्र में है.
उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र में 10 व्याघ्र प्रकल्पों सहित 71 आरक्षित संवर्धन क्षेत्र तैयार किये गये है और राज्य में अभ्यारण्य व व्याघ्र प्रकल्प के आसपास आरक्षित क्षेत्र विकसित किये गए है. पश्चिम महाराष्ट्र में ऐसे 12 क्षेत्रों की जल्द ही घोषणा की जाएगी. साथ ही 18 नई जगहों की खोज की जा रही है, ऐसे में यह संख्या जल्द ही 100 से अधिक हो जाएगी, ऐसा भी लिमये व्दारा स्पष्ट किया गया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि, बाघों के स्थलांतरण हेतु वन्य जीव संवर्धन संचालक की मान्यता मिलते ही चार मादा बाघों को स्थलांतरित किया जाएगा और बारिश का मौसम खत्म होने से पहले ही नागझिरा परिसर में दो मादा बाघों के स्थलांतरण का प्रयास किया जाएगा.

टायगर कैपिटल के लिए प्रयास जरुरी
विदर्भ में बाघों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ‘गेट वे टू लैंड ऑफ टायगर’ या ‘टायगर कैपिटल’ के लिए प्रयास किये जाने की जरुरत वन्यजीव अभियान से जुडे कार्यकर्ताओं व्दारा व्यक्त की गई है.

संघर्ष टालने का मिशन भी जरुरी
बाघों की संख्या अधिक रहने वाले चंद्रपुर सहित देश के कई जिलों में इन्सानों एवं वन्य जीवों के बीच होने वाले संघर्ष का मामला अक्षर ही चर्चा में रहता है. जनसंख्या एवं रिहायशी वस्तियों में वृध्दि होने के साथ साथ वन्य जीवों की संख्या में भी वृध्दि होने के चलते इन्सानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष शुरु हुआ है. जिसे टालने के लिए अभियान चलाया जाएगा और इस हेतु व्यापक स्तर पर जनजागरण किया जाएगा, ऐसा भी लिमये व्दारा बताया गया.

और भी बढ सकती है बाघों की संख्या
उल्लेखनीय है कि बिल्ली कुल से वास्ता रखने वाले बाघ को शक्ति का प्रतिक माना जाता है. और बाघों को जंगलों की शान कहा जाता है. भारत के विस्तीर्ण और घने जंगलों में बडे पैमाने पर बाघों का अस्तित्व है. जिनकी संख्या जानने हेतु भारतीय वन्यजीव संस्था एवं राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण व्दारा प्रत्येक चार वर्ष में जंगलों में रहने वाले बाघों सहित अन्य वन्यजीवों की बडे शास्त्रोक्त तरीके से गणना की जाती है. जिसके तहत अभी कुछ समय पहले ही यह प्रगणना हुई, लेकिन ताडोबा, अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में एक बाघ व्दारा वन मजदूर महिला पर किये गए हमले की वजह से निर्धारित तिथि तक कुछ स्थानों की प्रगणना पूर्ण नहीं हो पायी. ऐसे में पिछली बार की संख्या को ही ग्राह्य मान लिया गया. जबकि निश्चित तौर पर इस व्याघ्र प्रकल्प में भी बाघों की संख्या बढी होगी, ऐसे में यदि मौजूदा संख्या को भी इसमें जोडा जाता है, तो निश्चित रुप से विदर्भ क्षेत्र सहित महाराष्ट्र में रहने वाले बाघों की संख्या में थोडा इजाफा दिखाई दे सकता है.

ताडोबा-अंधारी प्रकल्प में है 88 बाघ
चंद्रपुर जिले के ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में वन्यजीव संवर्धन एवं सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण घटक रहे. जिसके चलते यहां पर बाघों के साथ साथ तेंदुओं की भी संख्या बढी. वर्ष 2021 में इस प्रकल्प में 86 से 88 बाघ और 118 तेंदुएं रहने की जानकारी सामने आयी हैं.

भ्रमण मार्ग पर अतिक्रमण की दिक्कत
भंडारा व गोंदिया जिले को मध्यभारत के व्याघ्र प्रकल्पों के बीच एक महत्वपूर्ण कडी माना जाता है. नागझिरा से पेंच, नागझिरा-नवेगांव-ताडोबा तथा नागझिरा-उमरेड-पवनी-कर्‍हांडला अभ्यारण्य अपने आप में एक तरह से कॉरिडोर प्रादेशिक से तुमसर, अड्याल-पवनी व लाखांदुर के बीच रहने वाले जंगल एक तरह से बाघों का भ्रमण मार्ग है. किंतु इस भ्रमण मार्ग में अतिक्रमण होने की वजह से बाघों की आवाजाही में दिक्कत व बाधा पैदा होने की जानकारी सामने आयी है. भंडारा व गोंदिया जिले में यद्यपि बाघों की संख्या अन्य जिलों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इसके बावजूद इन दोनों जिलों के चारों ओर बाघों का अधिवास है. जिसके चलते विगत 10 वर्ष की कालावधि के दौरान भंडारा जिले में बाघों की संख्या बढी हुई दिखाई दी और इन दिनों तुमसर, लाखांदुर, अड्याल व साकोली आदि प्रादेशिक जंगलों में बाघ दिखाई दे रहे है. कई गांवों के बेहद आसपास भी बाघों का अस्तित्व है और इन दिनों जंगलों में इन्सानों की दखलंंदाजी बढ रही है. जिसके चलते कभी कभार इन्सानों और वन्यजीवों के बीच टकराव भी घटीत होता है. लाखांदुर तहसील में ऐसे ही कारणों के चलते बाघ व्दारा किये गए हमले में कुछ लोगों की मौत होने की घटनाएं घटीत हुई. ऐसे में बाघों का संवर्धन करने हेतु उनके अधिवास क्षेत्र के साथ साथ उनके कॉरिडोर यानी आवाजाही वाले रास्तों को पूरी तरह से संरक्षित किये जाने और जंगलों में इन्सानों की दखलंदाजी को कम करने की जरुरत जताई जा रही है. इसके अलावा वन्य क्षेत्र में रहने वाले अतिक्रमणों को हटाने और भविष्य में ऐसे अतिक्रमण नहीं होने देने के लिए ठोस उपाय योजना करने की भी जरुरत है. ताकि बाघों का ओर अधिक प्रभावी ढंग से संरक्षण व संवर्धन हो सके.

ढाई वर्ष दौरान राज्य में 58 बाघों की मौत
जहां एक और राज्य सहित समूचे देश में व्याघ्र संवर्धन हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है. वहीं विगत करीब ढाई वर्ष दोैरान अकेले महाराष्ट्र में 58 बाघों की मौत होने की जानकारी सामने आयी है. पता चला है कि, वर्ष 2021 में समूचे देश में कुल 126 बाघों की मौतें हुई. यह विगत 10 वर्षों के दौरान सबसे अधिक संख्या रही. वर्ष 2021 के दौरान मध्यप्रदेश में 42 व महाराष्ट्र में 21 बाघों की मौतें हुई. वहीं जारी वर्ष में विगत सात माह के दौरान देश में 75 बाघों की मौत हुई हैं. जिसमें महाराष्ट्र के 15 बाघों का समावेश रहा. यह तमाम व्याघ्र मौतें वन्यजीवों के आपसी संघर्ष, हादसे व प्राकृतिक मौत जैसी वजहों के साथ साथ शिकार की वजह से भी हुई.

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