अमरावती

कॉफी का उत्पादन करने वाला एकमात्र हिल स्टेशन चिखलदरा

चाय के बगीचे भी हुए विकसित

परतवाड़ा/प्रतिनिधि दि.२ – कॉफी का उत्पादन करने वाला चिखलदरा यह राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन साबित हुआ है. अंग्रेजों ने यहां पर चाय का उत्पादन भी लिया है.
अंग्रेज अधिकारी ए.ई. नेल्सन व बॅचलर अर्नेस्ट के पंजीयननुसार चिखलदरा में उस समय चाय और कॉफी का बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र था. चाय व कॉफी के उत्पादन हेतु अनेक युरोपियन बागायतदारों को चिखलदरा की ओर आकर्षित किया गया था. उन बागायतदारों ने चाय व कॉफी का उत्पादन इस जगह पर किया. कालांतर में चाय का क्षेत्र संपुष्ट में आ गया, लेकिन रोमन कॅथोलिक मिशनरी की जमीन पर कॉफी का निजी उत्पादन टीका हुआ है.
अंग्रेज अधिकारी जेम्स मुल्हेरन ने चिखलदरा में सर्वप्रथम कॉफी के पौधे लगाये. केरल से लाये गये कॉफी के पौधों को उन्होंने चिखलदरा के अपने मुल्हेरन कॉटेज नामक बंगले के परिसर में 1860 से 1861 के दरमियान रोपित किये और चिखलदरा में कॉफी का उत्पादन किया. 1897-98 के दरमियान सेमन कॅथोलिक मिशन की शुरुआत करने वाले फादर थेवनेट ने रोजगार व उदरनिर्वाह के साधन के रुप में कॉफी का विचार किया और 1910 तक यहां पर कॉफी के बगीचे विकसित किये. मरियमपुर परिसर में करीबन 100 एकड़ जमीन में कॉफी का उत्पादन किया गया. अंग्रेजों के पंजीयननुसार, चिखलदरा में 97.200 हेक्टर यानि 24 एकड़ में कॉफी की बुआई थी. लेकिन अब सिर्फ 17 हेक्टर क्षेत्र में ही कॉफी की बुआई हो रही है. चिखलदरा गार्डन, वनविभाग के बंगले और विश्रामगृह परिसर सहित मरियमपुर क्षेत्र में कॉफी के वृक्ष देखने मिलते हैं. चिखलदरा की कॉफी उस समय ट्रक व्दारा मद्रास के पोलसन कंपनी में भेजी जाती थी. 1965 तक कॉफी के ट्रक चिखलदरा से रवाना किये जाते थे.

  • अरेबिका कॉफी का उत्पादन सुविधाजनक

कर्नाटक कॉफी बोर्ड के संशोधन उपसंचालक ए.जी. सांबामूर्ति रेड्डी और केरल कॉफी बोर्ड के संशोधन उपसंचालक डॉ. टी.राजू ने 24 व 25 दिसंबर को चिखलदरा में आकर चिखलदरा कॉफी का अभ्यास किया. चिखलदरा में अरेबिका कॉफी का उत्पादन सुविधाजनक होने का उन्हें विश्वास है.

  • अपर प्लॅटो पर 100 हेक्टर क्षेत्र आरक्षित

समुद्र किनारे से 3664 फूट ऊंचाई पर का चिखलदरा यह अप्पर प्लॅटो व लोअर प्लॅटो ऐसे दो भागों में विभाजित किया गया है. इन दो प्लॅटो की ऊंचाई का अंततर 80 फूट है. चिखलदरा के कॉफी के वृक्ष अप्पर प्लॅटो पर देखने को मिलते हैं. कॉफी के लिए अप्पर प्लॅटो पर का नैसर्गिक वातावरण पोषक साबित हुआ है. सिडको व्दारा प्रस्तुत किये और अंशतः मंजूर हुए विकास लेखाजोखा में कॉफी के लिए अप्पर प्लॅटो पर 100 हेक्टर क्षेत्र आरक्षित है.

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