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चुनाव आगे टलने से प्रचार व संपर्क की रफ्तार हुई सुस्त

चुनाव लडने के इच्छुक विधायकों व प्रत्याशियों ने खर्च पर लगाई लगाम

* नवंबर या दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने की संभावना
अमरावती/दि.20 – अब तक यह माना जा रहा था कि, सितंबर-अक्तूबर माह में ऐन पर्व एवं त्यौहारों के बीच विधानसभा चुनाव की धामधूम भी रहेगी. जिसके चलते चुनाव लडने के इच्छुक मौजूदा विधायकों सहित अन्य प्रत्याशियों द्वारा अपना प्रचार शुरु करने के साथ ही मतदाताओं के बीच संपर्क बढाने पर भी जोर दिया जा रहा था. लेकिन केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा विगत दिनों जम्मू-कश्मीर व हरियाणा राज्य के विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणा करते समय महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में स्पष्ट कर दिया गया कि, जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेकर ऐलान किया जाएगा. ऐसे में अब इस तरह की खबरें सामने आ रही है कि, महाराष्ट्र में नवंबर या दिसंबर माह के दौरान विधानसभा के चुनाव हो सकते है. जिसके चलते चुनाव लडने के इच्छुक सभी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार व संपर्क की रफ्तार को थोडी धीमी कर दिया है. साथ ही प्रचार व संपर्क पर होने वाले खर्च को लेकर भी अपनी मुठ्ठी बंद कर दी है.
बता दें कि, चुनावी वर्ष के दौरान रक्षाबंधन, गणेशोत्सव, दुर्गोत्सव, दशहरा व दीपावली जैसे त्यौहारों का अलग ही रंग दिखाई देता है. क्योंकि 5 साल तक आम जनता से दूरी बनाये रखने वाले विधायकों एवं नेताओं द्वारा चुनावी वर्ष के दौरान ऐसे सभी पर्व एवं त्यौहारों के समय आम जनता के बीच जाकर त्यौहार मनाये जाते है. विशेष यह भी रहता है कि, 4 साल तक सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों व दुर्गोत्सव मंडलों को चंदे के तौर पर एक रुपया भी नहीं देने वाले विधायकों व नेताओं द्वारा चुनावी वर्ष के दौरान पडने वाले गणेशोत्सव व दुर्गोत्सव के समय अपने दरवाजे पर आने वाले किसी भी मंडल के पदाधिकारियों को खाली हाथ नहीं लौटाया जाता. बल्कि जमकर चंदे की पावतियां फाडी जाती है. साथ ही दशहरा व दीपावली मिलन जैसे कार्यक्रमों का भी जमकर आयोजन होता है. ऐसे में इस बार पूरी उम्मीद थी कि, सभी पर्व एवं त्यौहारों पर चुनावी रंग चढता दिखाई देगा, लेकिन ऐन समय पर निर्वाचन आयोग ने रंग में भंग घोलने का काम कर दिया. क्योंकि खबरों के मुताबिक अब विधानसभा के चुनाव नवंबर अथवा दिसंबर माह तक टल गये है और उस समय तक सभी पर्व एवं त्यौहार बीत चुके रहेंगे.
ज्ञात रहे कि, इससे पहले लगातार तीन बार हरियाणा और महाराष्ट्र राज्य में विधानसभा चुनाव लगभग साथ-साथ ही हुआ करते थे. ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही थी कि, इस बार भी हरियाणा और महाराष्ट्र राज्य में लगभग एकसाथ ही विधानसभा चुनाव होंगे. परंतु महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल की समाप्ति वाली तारीख को ग्राह्य मानते हुए निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र राज्य में विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के उपरान्त चुनाव करवाने का निर्णय लिया है. बता दें कि, महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को खत्म हो रहा है. ऐसे में पूरी संभावना है कि, महाराष्ट्र में नवंबर माह के अंत तक अथवा दिसंबर माह के दौरान विधानसभा के चुनाव होंगे.
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि, महाराष्ट्र की महायुति सरकार द्वारा राज्य की महिलाओं हेतु लाडली बहन योजना शुुरु की गई है. जिसमें पात्र रहने वाली महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह प्रदान किये जा रहे है तथा सरकार इस योजना का चुनावी लाभ भी उठाना चाहती है. जिसके चलते सरकार द्वारा राज्य के अलग-अलग संभागों में लाडली बहन योजना के शुभारंभ हेतु औपचारिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे है. साथ ही साथ नवंबर-दिसंबर तक चुनाव टलने की स्थिति में सरकार को एक फायदा यह भी होगा कि, तब तक लाभार्थी महिलाओं के बैंक खातों मेें लाडली बहन योजना की और दो-तीन किश्ते भी जमा हो जाएगी. जिसे सरकार द्वारा ‘इन कैश’ करने का पूरा प्रयास किया जाएगा.
वहीं इधर चुनाव की तारीखे आगे टल जाने को अपने लिए कुछ हद तक राहत वाली बात मानते हुए कई प्रत्याशियों ने अपने प्रचार व संपर्क पर होने वाले खर्च पर लगाम लगानी शुरु कर दी है. बता दें कि, सितंबर-अक्तूबर में चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए चुनाव लडने के इच्छुक मौजूदा विधायकों सहित अन्य दावेदारों ने अपने-अपने क्षेत्रों में कॉर्नर मिटींग व संवाद बैठकों का आयोजन करना शुरु कर दिया था. जिसके तहत स्नेहभोज के आयोजन भी होने लगे थे. वहीं मौजूदा विधायकों ने विविध विकास कामों के भूमिपूजन, शुभारंभ व लोकार्पण का दौर तेज कर दिया था. लेकिन चुनाव के आगे टलने की खबर सामने आते ही अब इन तमाम बातों की रफ्तार कुछ हद तक सुस्त हो गई है और चुनाव लडने के सभी इच्छुकों ने खर्च के मामले में अपने हाथ भी सिकोड लिये है. ऐसे में यह तय है कि, अक्तूबर माह में दशहरा व दीपावली जैसे पर्व निपट जाने के बाद ही सभी इच्छुकों द्वारा मतदाताओं से संपर्क व चुनावी प्रचार व दौर दुबारा शुरु करते हुए तेज किया जाएगा.

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