* 348 करोड के नुकसान संबंधी आरोपवाली याचिका को किया खारिज
नागपुर/दि.29 – अमरावती के बडनेरा रोड पर नवाथे चौक स्थित 7 हजार 442 चौरस मीटर जमीन मल्टीप्लेक्स बनाने हेतु 30 वर्षों के लिए केवल 12 करोड रुपए में लीज पर दिए जाने से अमरावती महानगरपालिका का 348 करोड रुपयों का नुकसान होगा. इस आशय का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कल खारिज कर दिया. न्या. अतुल चांदुरकर व न्या. वृषाली जोशी द्बारा यह निर्णय दिया गया.
अदालत ने अपने फैसले में इस जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों को पूरी तरह से तथ्यहीन बताते हुए कहा कि, याचिकाकर्ताओं द्बारा उठाई गई आपत्तियां तर्कहीन है, जिनका कोई औचित्य नहीं है. ऐसे में इस याचिका को ‘विथ कॉस्ट’ खारिज किया जाता है. इस मामले में राज्य सरकार, अमरावती के संभागीय आयुक्त व जिलाधीश की ओर से अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता एड. डी. पी. ठाकरे, अमरावती महानगरपालिका, मनपा आयुक्त तथा तत्कालीन आयुक्त व प्रशासन डॉ. प्रवीण आष्टीकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एड. एम. जी. भांगडे व एड. जेमिनी कासट ने सफल युक्तिवाद किया.
बता दें कि, अमरावती मनपा के पूर्व पार्षद महेंद्र उर्फ मुन्ना नारायणसिंग राठोड, पूर्व उपमहापौर रामकृष्ण उर्फ रामा विठ्ठलराव सोलंके सहित प्रवीण रामकृष्ण डांगे व समीर रमेशराव जवंजाल ने यह याचिका दायर की थी. अमरावती महानगरपालिका इस जमीन पर पहले खुद ही मल्टीप्लेक्स का निर्माण करने वाली थी. जिसके लिए 20 जुलाई 2017 को प्रस्ताव पारित किया गया था. परंतु इस निर्माण पर 100 करोड रुपए का खर्च होना अपेक्षित रहने और मनपा के लिए इतनी रकम खर्च करना संभव नहीं रहने के चलते मल्टीप्लेक्स को बीओटी तत्व पर बनाने का निर्णय लिया गया था. जिसे लेकर 22 सितंबर 2022 को नया प्रस्ताव पारित किया गया था. साथ ही 23 दिसंबर 2022 को नोटीस जारी करते हुए इच्छूक ठेकेदारों को प्रस्ताव आमंत्रित किए गए. जिसके बाद 12 करोड 37 लाख रुपए की सर्वाधिक बोली लगाने वाले नांदेड के शंकर कंन्स्ट्रक्शन को मल्टीप्लेक्स के निर्माण का कार्यादेश जारी किया गया. जिस पर याचिकाकर्ताओं ने आक्षेप उठाते हुए टेंडर प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया. साथ ही इसे काफी बडा आर्थिक घोटाला बताते हुए इस लीज टेंडर को रद्द करने तथा मामले की सघन जांच करने की मांग उठाई. परंतु उच्च न्यायालय ने रिकॉर्ड पर रहने वाले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि, याचिकाकर्ताओं द्बारा उठाए गए मुद्दे गुणवत्ताहीन है और इस टेंडर की वजह से मनपा का कोई आर्थिक नुकसान नहीं होने वाला है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया.
* याचिकाकर्ताओं को अदालत ने लगाई फटकार
इस याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान शंकर कंन्स्ट्रक्शन द्बारा प्रतिज्ञापत्र दाखिल करते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज रहने वाले विभिन्न मामलों की जानकारी अदालत को दी गई. साथ ही बताया गया कि, संबंधित मामलों की जानकारी याचिकाकर्ताओं ने अदालत को नहीं दी है.
साथ ही मनपा ने भी इस याचिका का जमकर विरोध करते हुए कहा कि, मुन्ना राठोड ने इससे पहले भी एक टेंडर मामले में याचिका दाखिल की थी और उच्च न्यायालय ने 25 अक्तूबर 2007 को उक्त याचिका खारिज करते हुए राठोड पर 10 हजार रुपए का दावा खर्च लगाया था.
इसके अलावा अमरावती मनपा व शंकर कंन्स्ट्रक्शन की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि, मुन्ना राठोड सहित अन्य याचिकाकर्ताओं पर इससे पहले पुलिस में कई तरह की शिकायतें व मामले दर्ज हुए है. जिनके बारे में याचिकाकर्ताओं ने अपने हलफनामे में अदालत को स्पष्ट जानकारी नहीं दी है.
इन तमाम बातों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को काफी कडी फटकार लगाई. साथ ही उनकी याचिका को रिकॉर्ड पर रहने वाले सबूतों के मद्देनजर पूरी तरह से तथ्यहीन बताते हुए खारिज कर दिया.