अमरावतीमहाराष्ट्र

ऐन चुनावी मुहाने पर भी चित्र स्पष्ट नहीं

भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी चिंता में

* प्रहार व रिपब्लिकन सेना कर सकते है बडा राजनीतिक उलटफेर
* अगले कुछ दिनों में बडे नेताओं की सभा के बाद बदल सकता है चित्र
अमरावती/दि.16– देश के प्रथम कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहब देशमुख तथा पहली महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया अमरावती लोकसभा क्षेत्र हमेशा ही समूचे देश में चर्चित रहा. जिसे लेकर इस समय भी अच्छी खासी चर्चा हो रही है. इस बार भाजपा पहली मर्तबा इस निर्वाचन क्षेत्र में अपने कमल चुनावी चिन्ह के साथ चुनाव लड रही है. वहीं कांग्रेस ने भी करीब 28 वर्ष के बाद अपने पंजा चुनाव चिन्ह के साथ अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है. ऐसे में शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में दो प्रमुख प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर होगी. लेकिन इसी बीच प्रहार जनशक्ति पार्टी और वंचित बहुजन आघाडी के समर्थन से रिपब्लिकन सेना ने अपने-अपने प्रत्याशी भी मैदान में उतार दिये. जिसके चलते अब मुकाबला बहुकोणीय बनता दिखाई दे रहा है. परंतु सबसे कमाल की बात यह है कि, अब चुनाव प्रचार खत्म होने में महज 8 दिन और मतदान होने में महज 10 का समय शेष बचा हुआ है. परंतु अमरावती संसदीय क्षेत्र के मतदाता किस ओर है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.
बता दें कि, इस बार अमरावती संसदीय सीट हेतु मैदान में कुल 37 उम्मीदवार है. जिनमें भाजपा की ओर से नवनीत राणा, कांग्रेस की ओर से बलवंत वानखडे, प्रहार पार्टी की ओर से दिनेश बूब तथा रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर को प्रमुख प्रत्याशी कहा जा सकता है. जिसमें से किसका गणित जमता है और किसका गणित बिगडता है. साथ ही कौन किसका गणित बिगाडता है. इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है. ज्ञात रहे कि, वर्ष 2019 के चुनाव तक अमरावती की पहचान शिवसेना के मजबूत गढ के तौर पर हुआ करती थी. परंतु अब शिवसेना दो अलग-अलग गुटों में विभाजीत हो गई है. वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के समर्थन से नवनीत राणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था. परंतु सांसद निर्वाचित होने के बाद कुछ ही माह के भीतर नवनीत राणा ने भाजपा के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार को समर्थन देने का निर्णय लिया था. साथ ही अब नवनीत राणा इस बार के चुनाव में भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी है. जिनके खिलाफ महाविकास आघाडी की ओर से कांग्रेस द्वारा विधायक बलवंत वानखडे को चुनावी मैदान में उतारा गया है. साथ ही वंचित बहुजन आघाडी के समर्थन से रिपब्लिकन सेना के संस्थापक अध्यक्ष तथा भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पौत्र आनंदराज आंबेडकर भी चुनावी मैदान में है. इसके अलावा महायुति का घटक दल रहने वाली प्रहार जनशक्ति पार्टी के विधायक बच्चू कडू ने विधायक रवि राणा के साथ चलने वाली अपनी अदावत के चलते नवनीत राणा की दावेदारी के खिलाफ प्रहार जनशक्ति पार्टी की ओर से दिनेश बूब को अपना प्रत्याशी घोषित करते हुए मैदान में उतारा है. वहीं बसपा के एड. संजयकुमार गाडगे भी चुनावी मैदान में है. ऐसे में प्रहार, रिपब्लिकन सेना व बसपा के प्रत्याशी कितने वोट हासिल करते है, इस बात पर प्रमुख प्रत्याशियों का भविष्य तय होगा. यह बात अभी से निश्चित है.

* पहली बार भाजपा व 28 साल बाद कांग्रेस
अमरावती संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित है. जहां पर इस बार पहली मर्तबा भाजपा ने कमल चुनाव चिन्ह के साथ अपना प्रत्याशी दिया है और निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को भाजपा में अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है. वहीं करीब 28 वर्ष के अंतराल पश्चात अमरावती संसदीय सीट पर कांग्रेस ने पंजा चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरने का निर्णय लिया है और दर्यापुर के कांग्रेस विधायक बलवंत वानखडे को उम्मीदवारी दी गई है. महायुति व महाविकास आघाडी द्वारा अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत के लिए जमकर मोर्चाबंदी की जा रही है. जिसके तहत पदयात्रा, रैली, कॉर्नर मिटींग व प्रत्यक्ष जनसंपर्क पर जोर दिया जा रहा है. वहीं राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के सभा के बाद चित्र बदलने के पूरे संकेत है.

* आपसी गुटबाजी का भी होगा परिणाम
– नवनीत राणा ने भाजपा की टिकट हासिल करते हुए कई लोगों को आश्चर्य का झटका दिया है. भाजपा के स्थानीय नेता अब भी इस झटके से संभले नहीं है. यद्यपि भाजपा के कई नेता नवनीत राणा के साथ चुनाव प्रचार हेतु घूम रहे है. लेकिन उनके मन में कुछ अलग ही खिचडी पक रही है, ऐसा राजनीतिक जानकारों का मानना है.
– उधर महाविकास आघाडी की ओर से कांगे्रस द्वारा विधायक बलवंत वानखडे को सांसद पद का प्रत्याशी बनाया गया है. परंतु स्थानीय कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से खुद को दूर रखा हुआ है और वे एक बार भी कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे के पक्ष में प्रचार करती दिखाई नहीं दी.
– प्रहार पार्टी के दिनेश बूब व रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर की उम्मीदवारी का नुकसान किसको होगा. यह देखना भी बेहद महत्वपूर्ण होगा.

* पहली बार संसदीय चुनाव में पदयात्राओं का जोर
विशेष उल्लेखनीय है कि, अमूमन स्थानीय निकायों व ज्यादा से ज्यादा विधानसभा के चुनाव में ही कॉर्नर मिटींग व पदयात्रा का सहारा लेते हुए प्रचार किया जाता है. परंतु इस दफा पहली बार लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी पदयात्राओं व कॉर्नर मिटींग का जमकर जोर देखा जा रहा है. जिसके तहत प्रत्याशियों सहित उनके समर्थकों, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं तक सीधी पहुंच बनाई जा रही है और अपने प्रत्याशी के पक्ष में भी मतदान करने को लेकर भी अपील की जा रही है.

* अब तक किसी बडे नेता की नहीं हुई कोई सभा
इस समय चुनाव प्रचार एक तरह से अपने अंतिम चरण की ओर अग्रसर है. लेकिन अब तक महाविकास आघाडी और महायुति की ओर से किसी भी बडे नेता की अमरावती संसदीय क्षेत्र में प्रचार सभा नहीं हुई है. यूं तो भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा द्वारा नामांकन पर्चा दाखिल किये जाते समय भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने हाजिरी लगाई थी. लेकिन इसके बाद से अब तक भाजपा का कोई बडा नेता अमरावती नहीं पहुंचा है. हालांकि चर्चा है कि, भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के पक्ष में चुनाव प्रचार हेतु केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अमरावती लाया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर महाविकास आघाडी की ओर से भी कांग्रेस के बडे नेताओं सहित राकांपा सुप्रीमो शरद पवार एवं शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को अमरावती लाये जाने के प्रयास चल रहे है. इन तमाम बडे नेताओं की सभाएं 19 से 24 अप्रैल के बीच होने की पूरी संभावना है. जिसके चलते चुनाव प्रचार का दौर खत्म होते-होते चुनाव प्रचार में अच्छी खासी गहमा-गहमी देखी जाएगी और जिले का राजनीतिक वातावरण भी जमकर गरमाएंगा. यह अभी से तय है.

* इस बार के प्रमुख चुनावी मुद्दें
– जिले में उद्योग धंधों का अभाव है. अमरावती में पंचतारांकित एमआईडीसी रहने के बावजूद भी यहां कोई बडा औद्योगिक प्रकल्प नहीं है. जिससे बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है और पढे-लिखे युवाओं को नौकरी व रोजगार के लिए बडे शहरों की ओर जाना पडता है.
– अमरावती जिले में संतरा उत्पादन बडे पैमाने पर होता है. लेकिन इसके बावजूद भी जिले में संतरा प्रक्रिया का एक भी प्रकल्प नहीं है. जबकि प्रत्येक लोकसभा चुनाव में संतरा प्रक्रिया और किसानों से संबंधित मुद्दों पर जमकर राजनीति की जाती है.
– अमरावती के बेलोरा विमानतल से नियमित उडाने शुरु होने का मुद्दा लंबे समय से उधर में लटका पडा है और इस विमानतल से नियमित टेक ऑफ शुरु होने की आज भी प्रतिक्षा ही हो रही है.

* वर्ष 2019 में ऐसा था चुनावी नतीजा
नवनीत राणा                     निर्दलीय (विजयी)                        5,10,947
आनंदराव अडसूल              शिवसेना                                   4,73,996
गुणवंत देवपारे                  वंचित बहुजन आघाडी                  65,135
नोटा — 5,182

* किस विधानसभा में किसका था जोर?
विधानसभा                     क्षेत्र प्रत्याशी                          प्राप्त वोट
बडनेरा                         आनंदराव अडसूल                  86,439
अचलपुर                        आनंदराव अडसूल                 85,678
मेलघाट                          नवनीत राणा                        89,868
दर्यापुर                           नवनीत राणा                        89,797
तिवसा                           नवनीत राणा                        76,547
अमरावती                       नवनीत राणा                        96,644

* 2019 से पहले के चुनावी नतीजे
वर्ष विजयी                प्रत्याशी पार्टी                  प्राप्त वोट          वोट प्रतिशत
2014                    आनंदराव अडसूल           शिवसेना             4,65,363 46%
2009                    आनंदराव अडसूल           शिवसेना             3,14,286 43%
2004                    अनंत गुढे                       शिवसेना             2,32,016 33%
1998                    रा. सू. गवई                    रिपाई                 2,36,432 34%
1996                   अनंत गुढे                       शिवसेना             2,12,986 42%

जिले में कुल मतदाता – 18,36,078
पुरुष – 9,44,213
महिला – 8,91,780

Related Articles

Back to top button