अमरावती

सिर्फ फलक पर ही योजना है सजीव

मेलघाट से कृषि संजीवनी प्रकल्प हुआ लापता

परतवाड़ा/मेलघाट/दी ६-आदिवासी अंचल की धारणी तहसील के 18 गाँव और चिखलदरा तहसील के 12 गाँवो के लिए स्वीकृत किया गया नानाजी कृषि संजीवनी प्रकल्प पूरे मेलघाट अंचल से ही लापता नजर आता है.यह चोरी गया अथवा इसे कोई अगवा कर ले गया,फिलहाल यह खोजबीन का विषय है.संबंधित गाँवो में नानाजी कृषि  संजीवनी योजना के फलक जरूर लगे है,किंतु योजना क्रियान्वयन के नाम पर जीरो बटा सन्नाटा ही दिखाई देता है.विश्व बैंक के सहयोग से महाराष्ट्र शासन के  कृषि विभाग द्वारा मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ जिलों में नानाजी कृषि संजीवनी प्रकल्प संचालित किया जा रहा है.सन 2018 से राज्य के कुल 15 जिलों में इसे लागू किया गया था.अमरावतीं जिले में आदिवासी अंचल मेलघाट की धारणी व चिखलदरा तहसील के करीब 30 गावं इस प्रकल्प से जोड़े गए है.प्रकल्प अंतर्गत गावं के किसानों को मौसम की बदलती परिस्थिति के अनुसार खेती करने और खेती व्यवसाय में लाभ कमाने के उद्देश्य से मार्गदर्शन व मदत करना यह प्रमुख कार्य रखा गया है.राज्य के 5142 गाँवो को उक्त प्रकल्प से संलग्न किया गया है.प्रकल्प के लिए गावं यह प्रमुख घटक है.गावं के 5 हेक्टेयर भूमि का किसान और ऐसे किसानों का समूह इस योजना से लाभ प्राप्त कर सकते है.चिखलदरा तहसील के 12 गावं ढाकना,तोरणवाडी, कोयलारी,कोटमी,काटकुंभ,गंगारखेड़ा,डोमा,बामादेही,बगदरी,झिंगापुर,मेनघाट,नागरतास को कृषि संजीवनी से जोड़ा गया है.वही धारणी तहसील के प्रकल्प से जुड़े गाँवो में मांगिया, झिलांगपाटी,तातरा, गड़गमालूर,रंगुबेली, झिलपी,साद्राबाड़ी, रनपिसा,राजपुर,पाथरपुर,लाकटु,खारी,खापरखेड़ा,गौलानडोह,दूनी,ढोमनाढाना,बिबामल,भोकरबर्डी का समावेश है.
नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प सन 2018 से मेलघाट में अस्तित्व में आया है.प्रत्यक्ष निरीक्षण करने पर उक्त सभी गाँवो में सिर्फ योजना के फलक ही लगे नजर आए.प्रत्यक्ष में फलक के माध्यम से कोई भी गतिविधि होती दिखाई नही देती है.कृषि को संजीवनी देने का कार्य कागजो और फलक पर ही संचालित होता दिखाई देता है.
गावं में जलसंधारन के काम भी इस योजना में शामिल किए गए है.कृषि संजीवनी के माध्यम से गावं में बड़ी मात्रा में पानी उपलब्ध करवाना भी एक प्रमुख उद्देश्य रखा गया. किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने आज तक नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी प्रकल्प के क्रियाकलापों को देखने की भी जहमत नहीं उठाई है.आदिवासियों के उत्थान के लिए लाए गए इस कृषि संजीवनी प्रकल्प को संबंधित अधिकारी संजीवनी देकर पुनर्जीवित करे, इस आशय की मांग की जा रही है.

Related Articles

Back to top button