अमरावती

वंचित व ठाकरे गट की वजह से बदलेगी जिले की राजनीति

जिला परिषद में सदस्य बढने की संभावना

* शिवसैनिकों पर रहेगी बडी जिम्मेदारी
अमरावती/दि.31 – अमरावती जिले में शिवसेना का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी शिवसैनिक बेहद मजबूती के साथ पांव जमाए बैठे है, जिन्हें अब वंचित बहुजन आघाडी का साथ मिलेगा. जिसके चलते आगामी जिला परिषद व महानगरपालिका के चुनाव में अलग चित्र दिखाई दे सकता है.
उल्लेखनीय है कि, विगत विधानसभा चुनाव में वंचित आघाडी के प्रत्याशियों की वजह से कांग्रेस व शिवसेना के उम्मीदवारों को काफी नुकसान हुआ था. ऐसा विगत चुनाव के आंकडों को देखकर कहां जा सकता है. ऐसे में यदि उद्धव ठाकरे गुटवाली शिवसेना तथा वंचित आघाडी एक साथ आते है, तो ग्रामीण क्षेत्र में शिवशक्ति व भीमशक्ति का समीकरण राजनीतिक रुप से फलदायक साबित हो सकता है. विगत विधानसभा चुनाव के समय बडनेरा, तिवसा व अचलपुर इन तीन विधानसभा क्षेत्र मेें शिवसेना के प्रत्याशी खडे थे. उस समय भाजपा के साथ युती रहने के बावजूद शिवसेना का एक भी उम्मीदवार चुनकर नहीं आया था. हालांकि बडनेरा व तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में सेना प्रत्याशियों ने उल्लेखनीय वोट हासिल किए थे और अचलपुर में सेना प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था. विगत चुनाव में वंचित आघाडी ने 6 व शिवसेना ने 3 सीटों पर चुनाव लडा था. इन दोनों दलों को प्राप्त वोटों को यदि जोडा जाए, तो भविष्य मेें राजनीतिक तौर पर अलग समीकरण बनता दिखाई दे सकता है.

* किस विधानसभा क्षेत्र में क्या फर्क पडेगा
– अमरावती
यह निर्वाचन क्षेत्र पूरी तरह से शहरी है और यहां से अब तक कांग्रेस अथवा भाजपा के प्रत्याशी ही विजयी होते आए है. पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने 22 हजार वोटों की लीड से जीत हासिल की. वहीं वंचित आघाडी के प्रत्याशी ने 17 हजार वोट हासिल किए थे.
– बडनेरा
यह निर्वाचन क्षेत्र आधा शहरी व आधा ग्रामीण इलाका है. विगत चुनाव में यहां पर वंचित आघाडी को 6 हजार 500 वोट हासिल हुए थे. वहीं शिवसेना प्रत्याशी को 76 हजार वोट मिले थे. साथ ही यहां पर 14 हजार वोटों की लीड से निर्दलिय प्रत्याशी की जीत हुई थी.
– धामणगांव रेल्वे
यह निर्वाचन क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण इलाके में फैला हुआ है. विगत चुनाव में यहां पर वंचित आघाडी के प्रत्याशी को 21 हजार वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 10 हजार 800 वोट से हार का सामना करना पडा था और यहां पर भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई थी. ऐसे में माना जा सकता है कि, इस निर्वाचन क्षेत्र मेें वंचित बहुजन आघाडी के वोट निर्णायक साबित हो सकते है.
– तिवसा
किसी समय तिवसा निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना का काफी मजबूत गड रहा और विगत विधानसभा चुनाव में भी सेना प्रत्याशी में 66 हजार से अधिक वोट हासिल किए. वहीं वंचित के प्रत्याशी ने 13 हजार 500 वोट प्राप्त किए थे. ऐसे में अगर शिवसेना और वंचित आघाडी एकसाथ आते है, तो तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में इस गटबंधन की स्थिति काफी मजबूत हो सकती है.
– दर्यापुर
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र में पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई. जिनका सीधा मुकाबला भाजपा सेना युती के साथ था. किसी समय यह निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना का बेहद मजबूत गड था और विगत वर्ष शिवसेना में हुई बगावत का जिले मेें सबसे पहला असर इसी निर्वाचन क्षेत्र में दिखाई दिया. यहां पर पिछली बार वंचित आघाडी के प्रत्याशी ने 3 हजार वोट हासिल किए थे और इस निर्वाचन क्षेत्र में उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना को अपना अस्तित्व बचाए रखने हेतु किसी मजबूत साथी की जरुरत है.
– अचलपुर
अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में पिछली बार सेना प्रत्याशी ने 22 हजार 700 वोट हासिल किए थे. वहीं वंचित के प्रत्याशी को 3 हजार वोट मिले थे. यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर था और निर्दलिय प्रत्याशी को जीत मिली थी. ऐसे में अगर शिवसेना और वंचित आघाडी एकसाथ आते है, तो इस निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल सकते है.

* क्या कहते है दोनों दलों के जिलाध्यक्ष
ठाकरे गुट व वंचित आघाडी की युती होने पर 100 फीसद बदलाव होगा. पिछली बार राज्य ने 36 स्थानों पर वंचित के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर थे. धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र में वंचित आघाडी को 21 हजार वोट मिलने की वजह से कांग्रेस के प्रत्याशी को हार का सामना करना पडा था. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती, ऐसे में निश्चित तौर पर वंचित आघाडी के साथ हाथ मिलाना भाजपा के लिए लाभदायक साबित होगा.
– सुनिल खराटे,
जिलाध्यक्ष,
शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे

शिवसेना का साथ मिलने के चलते अब वंचित आघाडी को राजनीतिक तौर पर ताकत मिलेगी और जिला परिषद महानगरपालिका व विधानसभा चुनाव में सकारात्मक बदलाव दिखाई देगी. सक्षम उम्मीदवार चुनाव में खडे किए जाएगे. साथ ही शिवसेना व वंचित आघाडी के एकसाथ आ जाने पर भविष्य में अलग राजनीतिक समीकरण भी बनेंगे.
-शैलेश गवई,
जिलाध्यक्ष,
वंचित बहुजन आघाडी.

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