बहेलिया गिरोह व्दारा बाघ समेत वन्य प्राणियों के शिकार की संभावना
मेलघाट का टायगर प्रोजेक्ट रिक्त जगह के कारण विकलांग
* पुलिस को पत्र, पुलिस पटेल की भी सहायता
धारणी/ दि.2 – मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट के अति संरक्षित जंगल में बहेलिया व अन्य गिरोह व्दारा वन्य प्राणियों की तस्करी की संभावना गुप्तचर विभाग ने व्यक्त की है. इस वजह से 18 फरवरी को पुलिस को पत्र दिया गया है. आदिवासी, ग्रामवासी, पुलिस पटेल से सहायता की याचना की गई है. टायगर प्रोजेक्ट में पिछले डेढ से दो वर्षों से रिक्त जगह होने के कारण वनपरिक्षेत्र अधिकारियों के 4, वनपाल 25 और 150 से अधिक वनरक्षकों की जगह भरी नहीं गई. जिसके चलते शिकारी समेत आग लगने की घटनाओं पर वरिष्ठ अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है, ऐसा मामला सामने आया है.
प्रधान मुख्य वनसंरक्षक के पत्र के अनुसार मेलघाट परिसर में बहेलिया व अन्य जमाति के शिकारी बाघ व अन्य वन्य प्राणियों का लोहे के फास से शिकार करने के लिए सक्रीय होने की सूचना 8 फरवरी को सभी उपवन संरक्षक व वनपरिक्षेत्र अधिकारी को दी गई थी. जून-जुलाई माह तक अलर्ट रहने की जरुरत है. सुरक्षा के लिए समीपस्थ पुलिस थाने को वेैसा पत्र भी दिया है. संदेहास्पद शिकारी दिखाई देता है या शिकारियों के गिरोह के बारे में जानकारी मिलने पर समीपस्थ वनपरिक्षेत्र कार्यालय या वन कर्मचारियों को जानकारी दे, पुलिस पटेल को भी सूचित करे, जिससे वन्यजीव की जान बचाने और शिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होगा, ऐसा भी उल्लेख किया गया है. बहेलिया गिरोह ने इससे पहले भी मेलघाट में शिकार किया है. इसके लिए उन्होंने लोहे के जाल या पानी में जहर का प्रयोग कर शिकार किया है.
* वनरक्षक की 165 जगह रिक्त
गुगामल, सिपना, मेलघाट, अकोट इन चारों वन्यजीव विभाग में बडे पैमाने में रिक्त जगह है. जामली में 2 वर्ष और तारुबांदा में वनपरिक्षेत्र अधिकारी का पद 1 वर्ष से रिक्त है. 25 वनपाल, 165 वनरक्षक की जगह खाली पडी है. प्रलंबित पदोन्नति का यह मामला चिंता का विषय बना हुआ है.
आग की घटना, वन्यप्राणी रास्ते पर
मेलघाट वन और टायगर प्रोजेक्ट के जंगल में रोजाना आग लग रही है. आग पर काबु पाने के लिए वनकर्मचारी जंगल में समय बीता रहे है और आग की तपन से परेशान हुए वन्य प्राणी जंगल छोडकर रास्ते पर आ रहे हेै.