संघर्ष से उभरी ताकत यानी प्रहार पार्टी
सर्वसामान्यों के लिए लडनेवाले नेता है बच्चू कडू

* प्रहार पार्टी के 26 वे वर्धापन दिवस पर विशेष
किसी तरह की कोई राजनीतिक विरासत नहीं, साथ में कोई बडा समर्थन भी नहीं. लेकिन मन में केवल एक ही संकल्प सर्वसामान्य जनता को न्याय दिलाने का. इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर चांदुर बाजार तहसील के बेलोरा में रहनेवाले एक युवक ने स्वास्थ सेवा का व्रत लिया और समाजसेवा की यात्रा प्रारंभ की. अन्याय सहन करना नहीं है बल्कि अन्याय के खिलाफ लडना है और न्याय हासिल करने के लिए जान की बाजी लगाकर संघर्ष करना है, इस विचार से प्रेरित होकर 26 वर्ष पहले बच्चू उर्फ ओमप्रकाश कडू ने प्रहार संगठन की स्थापना की थी.
प्रहार संगठन के ध्येय व उद्देश्यों को देखते हुए कई युवाओं ने बच्चू कडू का साथ देना शुरु किया. जाति व धर्म से परे जाकर सर्वसामान्य लोगों की निस्वार्थ सेवा करने का विचार युवाओं के मन में घर करने लगा. जिसके चलते रक्तदान शिविर, रुग्ण सेवा, किसानों की मांगे, गरीब व दिव्यांग व्यक्तियों हेतु विविध योजना के लाभ व बेघरों हेतु घर उपलब्ध कराने हेतु आंदोलन करना बच्चू कडू की पहचान बनती गई. जातिय व धार्मिक कारणों के लिए तो कई लोग आंदोलन करते है, परंतु जाति-धर्म के दायरे से परे रहकर आम नागरिकों के लिए और समाज के लिए संघर्ष करनेवाले नेता के तौर पर बच्चू कडू का नाम घर-घर पहुंचने लगा तभी सडक पर उतरकर आंदोलन करनेवाला यह नेता विधानसभा में पहुंचने के बाद भी अपने मूल उद्देश्य से कभी विचलित नहीं हुआ. बल्कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद सत्ता का जोड घटना करने की बजाए किसानों के लिए लडने को बच्चू कडू ने ज्यादा प्राथमिकता दी.
बच्चू कडू का संघर्ष केवल आंदोलन करने तक ही सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने सरकार के निर्णयो में मूलभूत बदलाव लाने का काम भी किया. वे विधानसभा में कई महत्वपूर्ण प्रश्नों को प्रभावी तरीके से उपस्थित करने लगे. उनके वैचारिक नेतृत्व की वजह से ही दिव्यांगो हेतु स्वतंत्र मंत्रालय की निर्मिती, बेघरों हेतु घरकुल योजना, सिंचाई प्रकल्पो पर अमल तथा किसानों की कर्जमाफी हेतु विशेष प्रयास जैसी बडी योजनाएं हकिकत में साकार हो पाई.
लोकतंत्र केवल एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित न रहे बल्कि यह सर्वसामान्य जनता के लिए उपलब्ध हो, इस ध्येय से प्रेरित होकर बच्चू कडू के नेतृत्वतले प्रहार संगठन ने खुद को एक राजनीतिक पार्टी में रुपांतरित किया. जिसके बाद बच्चू कडू की कार्यपद्धति को देखते हुए हजारों कार्यकर्ता उनके साथ जुडे और प्रहार जनशक्ति पार्टी ने पूरे राज्य में अपनी एक अलग पहचान बनाई.
बच्चू कडू सत्ता में रहे अथवा न रहे, लेकिन वे अन्याय खे खिलाफ लडने हेतु हमेशा तत्पर रहते है. सरकार की असंवेदनशिल यंत्रणा को कार्यक्षम बनाने का काम बच्चू कडू ने अपने संघर्ष व सेवा के अनूठे संगम से किया और उनका विचार हमेशा ही जाति-धर्म व पार्टी से परे रहा.
राज्य के युवकों ने जात-पात में अटकने की बजाए तिरंगे झंडे तले एकत्रित होना चाहिए, यह संदेश बच्चू कडू ने अपने कार्यकर्ताओं को दिया है. बच्चू कडू केवल एक राजनेता नहीं है. बल्कि वे एक कार्यकर्ता, सेवाधारी व सामान्य जनता के रक्षक है, ऐसी पहचान बच्चू कडू द्वारा बनाई गई है. प्रहार संगठन द्वारा चलाया गया अभियान न्याय हेतु लढनेवाले प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए प्रेरणादायी है. बच्चू कडू ने केवल एक सेवक के तौर पर काम करते हुए संगठन की स्थापना करने के साथ ही पूरे महाराष्ट्र के किसानों, दिव्यांगो, मेहनतकशों व सर्वसामान्य जनता हेतु न्याय दिलाने का एक साधन उपलब्ध करा दिया है. उनका जीवन और संघर्ष सर्वसामान्य जनता हेतु व समाजहित के लिए प्रयास करनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणास्तोस्त्र है.