सेवा संघ के विचारों को ‘जीजाऊ’ के अध्यक्ष भूल गए
जिजाऊ बैंक के पूर्व अध्यक्ष अरविंद गावंडे द्वारा पलटवार
* कहा- बैंक की स्थापना सेवा संघ की पहल पर हुई थी
अमरावती / दि. 21-सेवा संघ का जिजाऊ वाणिज्यिक सहकारी बैंक पर मराठा सेवा संघ का झंडा फहराने का कोई इरादा नहीं है. वर्तमान अध्यक्ष अविनाश कोठाले कई वर्षों से मराठा सेवा संघ आंदोलन में हैं. लेकिन अब ऐन बैंक के चुनावी दौर में उन्हें मराठा सेवा संघ से नफरत होने लगी है और जिस मराठा सेवा संघ से इस बैंक की स्थापना हुई थी, उसकी विचारधारा पर सवाल उठाकर उन्होंने खुद को हंसाया है. जिस विचारधारा में आपने कई वर्षों तक काम किया, उसे आपको बैंक अध्यक्ष का पद मिलना गलत कैसे लगने लगा? वे विचारधारा को कैसे भूल गए? ऐसा सवाल जिजाऊ कमर्शियल कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन अरविंद गावंडे ने उठाया है.
कुछ दिन पहले जिजाऊ बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोठाले और उनके समर्थकों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि जिजाऊ बैंक का उद्देश्य ‘बहुजन हिताई’ है और इसका मराठा सेवा संघ से कोई लेना-देना नहीं है. मराठा सेवा संघ आंदोलन में कई वर्षों तक काम करने वाले कोठले अचानक बैंक अध्यक्ष का पद बचाने के लिए सेवा संघ से बेईमान हो गए हैं? ऐसा संदेह है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बैंक की स्थापना सेवा संघ की प्रेरणा से हुई थी. क्योंकि यह सर्वविदित है. लेकिन अब सेवा संघ की सोच को छोड़कर अगर कोई बैंक का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए कर रहा है तो हम कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे. सेवा संघ में सर्वेश्वरवाद और बहुजनों के कल्याण पर व्यापक विचार किया जाता है. हम मां जिजाऊ, छत्रपति शिवराय, छत्रपति संभाजी महाराज, छत्रपति शाहू महाराज की विचारधारा के पाइक हैं. सेवा संघ आंदोलन में विभिन्न समुदायों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता काम करते हैं. लेकिन सेवा संघ में काम करने के बावजूद कोठाले यह भ्रांति फैलाकर सामाजिक एकता को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं कि सेवा संघ एक समुदाय विशेष का है. यह महसूस करते हुए कि बैंक की अध्यक्षता शायद उनके पास से चली जाएगी, उन्होंने गलत रुख अपनाया और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेवा संघ को बदनाम करने की कोशिश की. अरविन्द गावंडे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जीजाऊ बैंक की प्रगति के लिए सेवा संघ के प्रत्येक पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने अथक परिश्रम किया है और उन्हें यह समझना चाहिए कि यह बैंक कोठाले और उनकी टीम की संपत्ति.