अमरावती

जिला सामान्य रुग्णालय का प्रशंसनीय कार्य

दृष्टिहीन गांधारी बनी स्वास्थ्य सेवक

परतवाड़ा/अचलपुर/दी १८-समीपस्थ वझ्झर के स्व. अंबादासपंत वैध दिव्यांग अनाथालय और बालगृह में उसका पालन पोषण किया गया.शंकर बाबा पापलकर ने उसकी परवरिश की.पढ़ाया-लिखाया और काबिल बनाया.आज वो 25 साल की वयस्क बन चुकी है-नाम है गांधारी.
करीब 25 वर्ष पूर्व पंढरपुर स्थित चंद्रभागा नदी के किनारे एक बालिका लावारिस अवस्था मे मिली थी.पुलिस ने इसे पुनर्वासित करने के लिए शंकर पापलकर के सुपुर्द कर दिया.हमेशा वझ्झर के अनाथालय में पल रहे छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जाते जिला सामान्य रुग्णालय के अधीक्षक डॉ श्यामसुंदर निकम के ध्यान में जब यह बात आई तो उन्होंने उसके लाइफ टाइम उदर निर्वाह और पुनर्वसन करने की ठानी.राज्य के इतिहास में पहलीं मर्तबा यह अनूठा उपक्रम हुआ.अब गांधारी इरविन (जिला सामान्य )अस्पताल में अपनी सेवाएं देंगी.इस मौके पर जिलाधीश पवनित कौर ने गांधारी का सम्मान कर उसकी पीठ थपथपाकर शाबासी दी.
गांधारी ने 12वी तक की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद संगीत में अपनी रुचि दिखाई.संगीत शिक्षक भलावी ने उसे संगीत के सबक सिखाये.यहां उल्लेखनीय है कि मुंबई की अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय से पांच संगीत परीक्षाएं उत्तीर्ण कर गांधारी ने अमरावतीं का नाम रोशन किया.संगीत में पारंगत होने पर अचलपुर  की शान में एक नया मुकुट जड़ने का काम गांधारी ने कर दिखाया.अब उसके भविष्य की चिंता शंकरराव को सताने लगी थी.संयोग से डॉ श्यामसुंदर निकम वझ्झर पहुंचे और उन्होंने गांधारी को स्वालम्बी बनाने का निर्णय लिया.उसे स्वास्थ्य सेवा में शामिल किया गया है.शंकरराव के अनूरोध पर गांधारी के सभी दस्तावेज की जांच पड़ताल कर उसे सुपर स्पेशलिटी रुग्णालय में नियुक्त किया गया.इसकी जानकारी जिलाधीश पवनित कौर को मिलते ही उन्होंने गांधारी को जिलाधीश कार्यालय में आमंत्रित कर उसे सम्मानित किया.मेरे प्रशासकीय कार्यकाल में एक दिव्यांग युवती को सम्मानित करते हुए मैं गर्वान्वित महसूस कर रही है.भाव-विभोर होते हुए जिलाधीश कौर ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर दिखाई.कलेक्टर ने आगे कहा कि दिव्यांग और अनाथ युवक-युवतियों के पुनर्वसन के लिए आज से एक नया अध्याय जुड़ गया है.इस मौके पर जिला समाज अधिकारी जाधव,नरेंद्र दाभाड़े उपस्थित थे.

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