अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

सजा माफ करने के लिए कैदी ने खुद को बताया ग्रेज्यूएट

दस्तावेजों की जांच में नागपुर के डीआईजी को हुआ संदेह

* जांच के बाद कारागृह के वरिष्ठ लिपिक और कैदी पर मामला दर्ज
अमरावती/दि. 9 – दुष्कर्म के मामले में अमरावती मध्यवर्ती कारागृह में 10 साल सजा काट रहे वाशिम जिले के एक कैदी ने अमरावती जेल प्रशासन और कारागृह के डीआईजी के साथ फर्जीवाडा करने का प्रयास किया रहने का मामला सामने आया है. इस आरोपी ने अपने को हुई सजा नियमो के मुताबिक कम करने के लिए कारागृह के लिपिक के जरिए खुद को ग्रेज्यूएट बताकर प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए नागपुर डीआईजी के पास भेजा. लेकिन डीआईजी को संदेह होने पर मामले की जांच करने पर यह फर्जीवाडा उजागर हुआ. पश्चात कारागृह के वरिष्ठ लिपिक और संबंधित कैदी के खिलाफ विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
जानकारी के मुताबिक मामला दर्ज किए गए कारागृह के वरिष्ठ लिपिक का नाम सुहास बारसू बर्‍हाटे (49) है. जबकि कैदी का नाम पुसद तहसील के ब्राह्मणगांव निवासी शिवचंद्र प्राण बनसोड (27) है. बताया जाता है कि, सजायाप्ता मुजरिमों को यदि वे ग्रेज्यूएट अथवा स्नातक है तो प्रकरण में हुई सजा में 90 दिन की माफी मिलती है. वाशिम जिले के शिवचंद्र बनसोड को वर्ष 2017 में दुष्कर्म और पोक्सो के मामले में 10 साल सजा और 3500 रुपए जुर्माना अन्यथा 3 माह 15 दिन की अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है. यह आरोपी वाशिम जेल में शुरुआत में सजा काट रहा था. पश्चात 12 सितंबर 2019 को उसे अमरावती मध्यवर्ती कारागृह शिफ्ट किया गया. यहां पर सजा काटते हुए उसे कारागृह प्रशासन द्वारा साफसफाई का काम दिया गया था. इस दौरान उसे पता चला कि, शिक्षित कैदी को सजा में कुछ माफी मिलती है और इस संबंध में प्रस्ताव कारागृह के वरिष्ठ लिपिक द्वारा नागपुर के डीआईजी (कारागृह) के जरिए शासन को भेजा जाता है. कैदी शिवचंद्र बनसोड ने दूसरे कैदियों के बने इस प्रस्ताव पर काटछांट कर खुद को ग्रेज्यूएट और पोस्ट ग्रेज्यूएट बताते हुए 195 दिन की सजा माफ करने का आवेदन अमरावती मध्यवर्ती कारागृह के वरिष्ठ लिपिक सुहास बर्‍हाटे को सौंप दिया. वरिष्ठ लिपिक ने कुछ जांच-पडताल न करते हुए वह प्रस्ताव नागपुर कारागृह डीआईजी को भेज दिया. इस प्रस्ताव पर नागपुर के डीआईजी द्वारा 5 अगस्त 2024 को दोपहर 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसी के जरिए संबंधित कैदी से पूछताछ की. इस कैदी द्वारा माफी अधिक मांगी जाने और दस्तावेजो में हेराफेरी किए जाने का संदेह डीआईजी को हुआ और उन्होंने इस बाबत जांच के आदेश दिए. जांच में पता चला कि, कैदी शिवचंद्र बनसोड पढा-लिखा नहीं है और उसने दूसरे कैदी के कागजपत्रों पर काटछांट कर अपना नाम लिख दिया है और कारागृह के वरिष्ठ लिपिक ने वैसे ही यह प्रस्ताव बिना जांच-पडताल के डीआईजी को भेज दिया था. फर्जीवाडा उजागर होने के बाद जेल अधिकारी उमेश अशोकराव गुंडरे (46) की शिकायत पर फ्रेजरपुरा पुलिस ने कारागृह के वरिष्ठ लिपिक सुहास बर्‍हाटे और कैदी शिवचंद्र बनसोड के खिलाफ धारा 318 (4), 337, 339, 340 (2), 3 (5) बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया है. इस घटना से जेल प्रशासन में खलबली मच गई है.

* कैदी बनसोड ने खुद को ऐसे बताया शिक्षित
कैदी शिवचंद्र बनसोड को सजा काटते समय जब पता चला कि, शिक्षितो को उनकी हुई सजा में कुछ माफी दी जाती है, तब उसने खुद को बीए होने पर 90 दिन, एमए की डिग्री के 90 दिन और शिक्षित योग्यता के 15 दिन ऐसे कुल 195 दिन की माफी मांगी थी. लेकिन नियम में केवल 90 दिन की माफी दी जाती है. जिन तीन डिग्रीयों की बात प्रस्ताव में उल्लेखित गई थी वह एक भी डिग्री इस कैदी के पास नहीं है. जांच में यह बात प्रकाश में आने पर उसके खिलाफ और बगैर जांच-पडताल किए प्रस्ताव भेजनेवाले कारागृह के वरिष्ठ लिपिक पर मामला दर्ज किया गया. अब इस प्रकरण के कारण कारागृह के वरिष्ठ लिपिक पर भी गाज गिरनेवाली है.

Related Articles

Back to top button