अमरावतीमहाराष्ट्र

चिखलदरा के प्रस्तावित स्कायवॉक के पूरा होने की आस

अमरावती/दि.2– विदर्भ का नंदनवन कहे जाते अमरावती जिले के पर्यटन स्थल चिखलदरा में दुनिया के सर्वाधिक लंबाई वाले व एक अरसे से अधर में लटके पडे स्कायवॉक का काम अब युद्धस्तर पर शुरु हो गया है. जिसके अगले वर्ष मार्च 2026 तक पूरा हो जाने की संभावना है. इस स्कायवॉक के 22 में से 14 केबल डाले जा चुके है और यह स्कायवॉक गहरी खाई के बिचोबिच कांच के जरिए बनाया जाएगा. इस प्रकल्प के पूरा होते ही हजारो-लाखों पर्यटक पहाडी रास्तों से होते हुए चिखलदरा पहुचेंगे यह तय है.
बता दें कि, विगत 8 वर्षों से चिखलदरा में 407 मीटर लंबाई वाले स्कायवॉक का काम चल रहा है. इस बहुप्रतिक्षित प्रकल्प का 72 फीसद काम पूरा हो चुका है और नेशनल वाईल्ड लाइन बोर्ड द्वारा उठाई के चलते आगे का काम रुक गया था. परंतु अब इस स्कायवॉक का काम एक बार फिर युद्धस्तर पर शुरु हो गया है. बीच में कुछ समय सत्तांतर की वजह से पैदा हुई दिक्कतो के चलते यह संदेह भी बना था कि, इस स्कायवॉक का काम पूरा होगा भी अथवा नहीं, लेकिन अब सभी संदेह दूर हो गए है और इस स्कायवॉक के काम ने गति पकड ली है.

* केवल 8 केबल डालने बाकी
स्कायवॉक हेतु कुल 22 में से 14 केबल डाले जा चुके है और अब केवल 8 केबल डालने बाकी है. यह काम आगामी मार्च 2026 तक पूरा होकर इस स्कायवॉक को पर्यटकों की सेवा के लिए खोल दिया जाएगा.

* 500 मीटर उंचे दो टॉवर
चिखलदरा के हरीकेन व गोरघाट इन दो महत्वपूर्ण पॉइंट के बीच स्कायवॉक रहेगा. जिसके लिए दोनों पॉइंट पर 500 मीटर की उंचाई वाले दो टॉवर बनाए जा चुके है.

* 407 मीटर की सर्वाधिक लंबाई
चिखलदरा स्कायवॉक की लंबाई 407 मीटर है. जिसके चलते यह दुनिया में सबसे अधिक लंबाई वाला स्कायवॉक रहेगा. इस समय स्वीटजरलैंड और चीन में इस तरह के स्कायवॉक है. जिसमें से स्वीटजरलैंड के स्कायवॉक की लंबई 397 मीटर व चीन के स्कायवॉक की लंबाई 307 मीटर है. वहीं चिखलदरा स्कायवॉक की लंबाई 407 मीटर तय की गई है. जिसके चलते यह पूरी दुनिया में सबसे लंबा व सबसे बडा स्कायवॉक साबित होगा.

* सीएम फडणवीस का महत्वाकांक्षी प्रकल्प
चिखलदरा स्कायवॉक को सीएम फडणवीस का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. जिसका काम पूरा होते ही सीएम फडणवीस का सपना साकार हो जाएगा. अमरावती, विशेषकर चिखलदरा के प्रति सीएम फडणवीस के विशेष प्रेम को देखते हुए इस प्रकल्प का काम 8 फरवरी 2019 को शुरु हुआ था तथा यह प्रकल्प 9 फरवरी 2021 को पूरा होनेवाला था. परंतु बीच में आए कुछ व्यवधानों के चलते इस प्रकल्प का काम अधर में लटका रह गया. जिसे अब तेजगति के साथ काम करते हुए पूरा किया जा रहा है और आगामी मार्च 2026 तक इस प्रकल्प का काम पूरा हो जाने के पूरे आसार हैं.

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