बच्चों की यौनाचार से रक्षा करना है पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने नहीं दी आरोपी को राहत
अमरावती प्रतिनिधि/दि.12 – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक 6 वर्षीय बालक से दुराचार की आरोपी मौसी द्वारा एफआईआर खारिज करने के लिए लगाई याचिका को गुरूवार को खारिज कर दिया. न्या. सुनील शुक्रे व न्या. अविनाश घारोटे की खंडपीठ ने फैसले में कहा है कि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑॅफेंसेस एक्ट (पॉक्सो अधिनियम) का गठन ही बच्चों की यौनाचार से सुरक्षा के लिए किया गया है.
ऐसे मामले में कई बार बच्चे परिजनों को अपनी आपबीती नहीं बताते या देरी से बताते हैं, इससे उनकी बात पर शंका व्यक्त करना सही नहीं है. एफआईआर में देरी को ही एफआईआर खारिज करने का आधार नहीं मान सकते.
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बाल कल्याण समिती के कहने पर हुई एफआईआर
बाल कल्याण समिती ने मामले की जांच की. जांच अधिकारी के सामने बच्चे ने भी इस बात की पुष्टि कर दी. समिती के कहने पर 25 अक्तूबर 2017 को शांतिनगर पुलिस ने बच्चे की मां, आरोपी मौसी और मामा के खिलाफ पॉक्सो धारा 8 व 12, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट धारा 75 और भादंवि 323, 34 के तहत मामला दर्ज किया. पुलिस की जांच में बच्चे ने खुलासा किया कि उसने अपनी आपबीती अपनी मां को बताई थी, लेकिन मां ने उसकी बात को महत्व नहीं दिया. विशेष सत्र न्यायालय में आरोपियों ने स्वयं को बरी करने की अर्जी दायर की, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए निचली अदालत ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद आरोपियोें ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने मां और मामा को मामले से बरी कर दिया, लेकिन मुख्य आरोपी मौसी को बरी नहीं किया. सर्वोच्च न्यायालय ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले को कायम रखा.
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मौसी करती थी यौनशोषण
मामला शहर के इतवारी क्षेत्र का है. पीडित बच्चे के माता-पिता का तलाक हो गया था. उस वक्त दो वर्षीय बच्चे की कस्टडी उसकी मां को सौंपी थी. मां अपने बेटे को लेकर अपने मायके में रहने लगी. एक मुलाकात में बच्चे ने पिता को अपनी आपबीती बताई. जिसके बाद 10 सितंबर 2017 को पिता ेने बाल कल्याण समिती के पास शिकायत कर दी कि बच्चे का शारीरिक शोषण किया जा रहा है. शिकायत में बच्चे की मौसी पर आरोप लगाए कि रात को सोते समय वह बच्चे के साथ अश्लील हरकतें करती है. मौसी ने बच्चे को धमकी दे रखी थी कि घटना के बारे में मां को बताने पर उसकी पिटाई होगी.