अमरावती

सरकार द्वारा घोषित उपचार शुल्क की दरें एकतरफा व अन्यायकारक

आयएमए की अमरावती शाखा ने लगाया आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२ – विगत ३१ अगस्त को राज्य सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी कर राज्य के सभी अस्पतालों में होनेवाले उपचार की दरें तय की गई है. qकतु ऐसा करते समय इंडियन मेडिकल एसो. के पदाधिकारियों को विश्वास में नहीं लिया गया और आयएमए के साथ कोई चर्चा भी नहीं की गई. ऐसे में सरकार द्वारा मनमाने ढंग से लिये गये निर्णय को एकतरफा व अन्यायकारक फैसला कहा जा सकता है. जिससे मुंबई जैसे महानगर में स्थित कॉर्पोरेट हॉस्पिटलों को तो फायदा पहुंचेगा, लेकिन इस फैसले की वजह से आयएमए के साथ संलग्नित तथा राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित छोटे व मध्यम स्तर के अस्पतालों को काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. इस आशय का आरोप आयएमए की अमरावती ब्रान्च के अध्यक्ष डॉ. अनिल रोहणकर व सचिव डॉ. आशिष साबू द्वारा लगाया गया है. इस संदर्भ में यहां जारी परिपत्रक में आयएमए की ओर से कहा गया कि, मई माह में जारी अधिसूचना के अनुसार उपचार शुल्क का बिल बनाते समय ऑ्िनसजन व पीपीई कीट जैसी बातों पर अस्पतालों का काफी अधिक खर्च हो रहा है. इस बात को लेकर विगत ११ अगस्त को आयएमए ने राज्य के स्वास्थ्य मंंत्री के साथ बैठक करते हुए चर्चा की थी. जिसमें स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया था कि, आयएमए के साथ चर्चा कर ३१ अगस्त के बाद नई दरें व नियम तय किये जायेंगे, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने ३१ अगस्त को एक नई अधिसूचना जारी कर एकतरफा निर्णय लेते हुए दरों का नया परिपत्रक जारी कर दिया है. जिसमें मुंबई क्षेत्र के बडे कॉर्पोरेट अस्पतालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकनेवाली ५० फीसदी की छूट दी गई है. बडे कॉर्पोेरेट क्षेत्र के अस्पतालों में एक ही समय कोविड व नॉन कोविड मरीजों का इलाज किया जा सकता है, लेकिन छोटे व मध्यम स्वरूप के अस्पतालों में ऐसा विभाजन नहीं किया जा सकता. जिसके चलते नॉन कोविड अस्पतालों में ५० प्रतिशत बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने की छूट मुंबई के बडे अस्पतालों के लिए फायदेमंद होगी. वहीं दूसरी ओर कोरोना काल के दौरान विगत पांच माह से दिन-रात सेवा प्रदान कर रहे आयएमए से संलग्नित अस्पतालों व डॉक्टरों के बारे में सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जबकि इन दिनों सभी अस्पतालों को ऑ्िनसजन सिलेंडर, पीपीई कीट व मास्क के संदर्भ में काफी बडे पैमाने पर खर्च करना पड रहा है. यद्यपि सरकार ने पीपीई कीट व मास्क की दरें निश्चित करने की बात कही है, लेकिन बाजार में पीपीई कीट व मास्क काफी महंगे मिल रहे है. ऐसे में छोटे व मध्यम अस्पतालों को इन बातों पर काफी अधिक खर्च करना पड रहा है. इसके साथ ही आयएमए द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि, कोरोना काल के दौरान आम जनता तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की विगत पांच माह से सरकार द्वारा निजी अस्पतालों व डॉक्टरों की सेवाएं ली जा रही है. साथ ही एक तरफा निर्णय लेते हुए निजी अस्पतालों व डॉक्टरों को कानूनी कार्रवाई का भय भी दिखाया जा रहा है. साथ ही विगत पांच माह के दौरान अस्पतालों में होनेवाली qहसक घटनाओं के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्रवाई भी नहीं की गई, जबकि इस दौरान समूचे महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के बीच काम करते हुए ४०० डॉक्टरों ने अपनी जान गवाई, लेकिन उनके परिवारों को भी अब सरकार की ओर से कोई बीमा लाभ या आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की गई. आयएमए द्वारा आरोप लगाया गया है कि, सरकार एवं प्रशासन द्वारा डॉक्टरों के साथ किसी अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है, जो काफी तकलीफदेह है. साथ ही इस पत्र के जरिये आवाहन किया गया कि, राज्य सरकार आगामी दो दिनो के भीतर आयएमए के साथ एक आपात बैठक बुलाते हुए सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करे तथा यदि ऐसा न करते हुए निजी अस्पतालों व डॉक्टरों पर एकतरफा निर्णयों का पालन करने की जोर जबर्दस्ती की गई, तो आयएमए द्वारा अपनी अगली रणनीति पर काम किया जायेगा. जिसके लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार होगी.

Related Articles

Back to top button