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वैदर्भियों का श्रद्धास्थान है जामसावली के लेटे हुए हनुमान

अमरावती/दि.11 – विदर्भ की सीमा से पास ही स्थित मध्यप्रदेश के जामसावली का अनुमान मंदिर विदर्भवासियों के लिए श्रद्धा का स्थान है. पिपल वृक्ष के नीचे लेटी हुई अवस्था वाली यह मूर्ति उर्ध्वमुखी है. देशभर में जामसावली व प्रयागराज इन दो स्थानों पर ही हनुमानजी की मूर्ति लेटी हुई अवस्था में है. जामसावली जैसी स्वयंभू हनुमान मूर्ति पूरी दुनिया में कही नहीं है, ऐसा कहा जाता है. इस मूर्ति की नाभी से हमेशा ही पवित्र जल बहता रहता है. जिससे भाविक श्रद्धालू आचमन करते है और इस पवित्र जल को विभिन्न बीमारियों पर रामबाण उपाय भी माना जाता है.
अमरावती जिले की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के पांढुर्णा जिलांतर्गत सौंसर तहसील में जामसावली का मंदिर है, जो छिंदवाडा राष्ट्रीय महामार्ग पर सौंसर से महज 7 किमी की दूरी पर स्थित है. करीब 100 वर्ष पुराने राजस्व अभिलेखों में भी जामसावली के हनुमान का उल्लेख पाया जाता है. आख्यायिका के अनुसार जामसावली के हनुमान की मूर्ति स्वयंभू है, जो इससे पहले पूर्व दिशा की ओर खडी थी. कई वर्ष पूर्व यहां पर चोरी करने के उद्देश्य से कुछ लोग आये, जिन्हें सूचना मिली थी कि, मूर्ति के नीचे खजाना दबाया हुआ है. ऐसे में उन्होंने मूर्ति को हटाने का प्रयास किया. परंतु भूमिगत खजाने को बचाने हेतु हनुमानजी की मूर्ति जमीन पर आडी होकर लेट गई. उस समय मूर्ति को हटाने हेतु काफी प्रयास किये गये और करीब 20 बैलों का प्रयोग किया गया, लेकिन यह मूर्ति एक इंच भी नहीं सरकी.
इस मूर्ति की स्थापना कब और किसने की इस बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है और भाविक श्रद्धालुओं का मामना है कि, जामसावली में स्वंय हनुमानजी प्रकट हुए थे. कुछ लोग इस मूर्ति को रामायणकालीन मानते है और मान्यता है कि, पिपल वृक्ष के रुप में प्रभू श्रीराम खडे है और उनके चरणों में लेटे हुए हनुमानजी अपने प्रभू की चरण वंदना कर रहे है. पिपल की जडों की वजह से यह प्रतिमा तैयार होने की श्रद्धा भी भाविकों द्वारा रखी जाती है.
* मनोरुग्णों पर उपचार की सुविधा
जामसावली के हनुमान मंदिर में मानसिक रोगियों पर इलाज भी किया जाता है. इससे पहले मनोरुग्णों को मंदिर परिसर में रखा जाता था और कई मानसिक रोगियों को उनके परिजन यहां छोडकर चले जाते थे. जिनमें महिला रोगियों की संख्या अधिक रहती थी. इस समस्या को हल करने हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त ग्रामीण आदिवासी समाज विकास संस्था ने 13 वर्ष पहले मंदिर परिसर में मानसिक स्वास्थ्य सहायता केंद्र स्थापित किया. इसके जरिए मानसिक रोगों के संदर्भ मेंं जागरुकता निर्माण करने का प्रयास भी किया जा रहा है. इसके अलावा मंदिर परिसर में मनो चिकित्सकों की नि:शुल्क ओपीडी स्थापित की गई है और नि:शुल्क तौर पर औषधियों का वितरण भी किया जाता है.
* हनुमान लोक का निर्माण
जामसावली के हनुमान मंदिर में हनुमान लोक की निर्मिति की जा रही है. मध्यप्रदेश पर्यटन मंडल द्वारा करीब 30 एकड क्षेत्र में 314 करोड रुपयों के खर्च से यह निर्माण किया जा रहा है. उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर 6 चरणों के तहत हनुमान लोक कॉरिडोयर का निर्माण होगा. पहले चरण में प्रवेश प्लाझा से हनुमान लोक तक काम किया जाएगा. जिसके लिए 35 करोड रुपयों का खर्च प्रस्तावित है. यहां पर दो बडे कॉरिडोयर भी बनाये जा रहे है. जिनमें हनुमानजी के बाल स्वरुप का चित्रण रहेगा. जिसके साथ ही किष्किंधा से लेकर सूर्यदेव से संबंधित कथा को हाईटेक तंत्रज्ञान के जरिए दिखाया जाएगा. हनुमान लोग कॉरिडोयर में 9 मूर्तियां रहेगी तथा लगभग ढेड लाख चौरस फीट में पार्किंग सुविधा रहेगी. इसके जरिए जामसावली की पहचान धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर होगी, ऐसा विश्वास जताया जा रहा है.

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