अमरावती प्रतिनिधि/दि.१७ – राज्य सरकार ने शिक्षा व नौकरियों में मराठा समाज को दिये गये आरक्षण को स्थगनादेश दिया है. ऐसे में अब अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सरकार द्वारा विशेष अध्यादेश निकाला जाये. इस आशय की मांग सकल मराठा समाज द्वारा जिलाधीश को सौंपे गये निवेदन में की गई है. इस ज्ञापन में कहा गया है कि, मराठा क्रांति मोर्चा के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिले में मोर्चा निकालते हुए लाखों की संख्या में मराठा समाज बांधव सडक पर उतरे. साथ ही कई मराठा बांधवों ने आरक्षण के लिए बलिदान भी दिया. जिसके चलते तत्कालीन भाजपा सरकार ने मराठा समाज को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया, लेकिन न्यायालय ने मराठा आरक्षण को स्थगनादेश देते हुए मराठा समाज को निराश किया है. ऐसे में अब राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज के अधिकार अबाधित रखने हेतु योग्य कदम उठाना अपेक्षित है. राज्य सरकार ने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए मराठा समाज के लिए लागू रहनेवाले एसईबीसी आरक्षण को अखंडित रखने के लिए अध्यादेश जारी करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये स्थगनादेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए. इसके अलावा इस मामले में अंतिम निर्णय होने तक मराठा समाज हेतु आरक्षित सीटों को रिक्त रखा जाना चाहिए अथवा पदभरती को स्थगित रखा जाना चाहिए. ज्ञापन सौंपते समय सकल मराठा समाज के विजय पवार, बबलू नवखडे, श्याम जगताप, अशोक वसू, राम वालेकर, संतोष भोसले, अंगद जगदाले, नितीन चित्रे, रवि शिंदे , शिवाजी मोरे, सोनाली देशमुख, अनिता बाजड, स्वप्नील घाडगे व निलेश पवार आदि उपस्थित थे.