चिखलदरा के स्कायवॉक की राह नहीं आसान
वायरलेस के अपर पुलिस महासंचालक जगह देने तैयार नहीं

* 2144 चौरस मीटर की जगह को लेकर झझंट अब भी कायम
* आधा-अधूरा काम छोडकर सिडको भी भागने की तैयारी में
* सांसद वानखडे व विधायक काले द्वारा तुरंत ध्यान दिए जाने की जरुरत
चिखलदरा/दि.8 – विदर्भ का नंदनवन कहे जाते व क्षेत्र के एकमात्र हिल स्टेशन में दुनिया का सबसे लंबा स्कायवॉक बनने जा रहा है. जिसका काम पूरा होने को लेकर हर किसी में अच्छी-खासी उत्सुकता है. परंतु इस स्कायवॉक का काम पूरा होने में कई तरह की बाधाएं व दिक्कते लगातार आ रही है. जिसके चलते अब तक इस स्कायवॉक का काम पूरा नहीं हो पाया है. साथ ही स्कायवॉक का प्रवेशद्वार बनाने हेतु आवश्यक रहनेवाले जमीन के टूकडे को लेकर पुलिस महकमे के वायरलेस विभाग द्वारा अपनाई गई अडीयल भूमिका के चलते स्कायवॉक का काम भी अधर में लटका हुआ है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, क्षेत्र के विधायक केवलराम काले व जिले के सांसद बलवंत वानखडे सहित चिखलदरा स्कायवॉक हेतु हमेशा ही सकारात्मक भूमिका अपनाने वाली पूर्व सांसद व भाजपा नेत्री नवनीत राणा द्वारा राजस्व एवं वायरलेस पुलिस के बीच जमीन के टुकडे को लेकर चल रहे विवाद को हल करने हेतु आवश्यक प्रयास किए जाए, ताकि इस स्कायवॉक का काम जल्द से जल्द पूरा हो सके अन्यथा लंबे समय से अधर में लटके स्कायवॉक के आधे-अधूरे काम से अपने हाथ खिंचते हुए सिडको प्राधिकरण ने यहां से निकल लेने की पूरी तैयारी कर ली है.
बता दें कि, महाराष्ट्र सरकार ने 9 जनवरी 2008 को एक अधिसूचना जारी कर चिखलदरा हिल स्टेशन का विकास करने के लिहाज से सिडको विशेष नियोजन प्राधिकरण की स्थापना की थी. जिसका विकास क्षेत्र 1936 हेक्टेअर था. जिसमें चिखलदरा नगर परिषद क्षेत्र (394 हेक्टेअर) के साथ ही शहापुर (131 हेक्टेअर), आलाडोह (146 हेक्टेअर), लवादा (131 हेक्टेअर) व मोथा (46 हेक्टेअर) का समावेश था. इस पूरे परिसर का विकास प्रारुप 10 फरवरी 2016 को मंजूर किया गया था. जिसके तहत सिडको के स्कायवॉक को भी मंजूरी दी गई थी. जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का महत्वपूर्ण योगदान रहा. परंतु पिछले चार से पांच वर्षों से चल रहे स्कायवॉक के कामों में कई बाधाएं पैदा हुई. जिसके तहत कभी वन विभाग तो कभी पुलिस वायरलेस सेंटर की जगह को लेकर विवाद बना रहा. जिसके कारण यह काम लगातार प्रलंबित होता गया.
तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल के समय दैनिक अमरावती मंडल द्वारा इस विषय को लेकर प्रमुखता के साथ खबरे प्रकाशित किए जाने के चलते 6 माह से बंद पडे काम की शुरुआत हो पाई थी. लेकिन कुछ ही समय बाद मामला फिर से घूम-फिरकर वहीं पहुंच गया और अधर में लटक गया है. इस समय कहने के लिए तो स्कायवॉक का काम चल रहा है. लेकिन पुलिस वायरलेस सेंटर से लगकर निर्मित हो रहे इस प्रकल्प के प्रवेशद्वार सहित अन्य कामों के लिए 2184 चौरस मीटर जमीन की आवश्यकता है. जिसके लिए वायरलेस विभाग के पुणे स्थित महासंचालक कार्यालय को 27 फरवरी 2022 को तत्कालीन जिलाधीश पवनीत कौर द्वारा पत्र लिखा गया था. जिसके जवाब में वायरलेस के पुलिस महासंचालक कार्यालय द्वारा 16 दिसंबर 2022 को राज्य सरकार के राजस्व अपर सचिव को पत्र लिखकर यह जगह देने में असमर्थता जताई गई थी. ऐसे में यदि यह जगह उपलब्ध नहीं होती है तो वहां पर स्कायवॉक का प्रवेशद्वार बनाने के लिए अन्य कोई जगह ही उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते स्कायवॉक का काम पूरा होने के बावजूद भी उसे शुरु नहीं किया जा सकेगा. जिसके लिए स्थानीय स्तर पर आवाज उठाए जाने की जरुरत महसूस की जा रही है. ऐसे में यह बेहद जरुरी हो चला है कि, क्षेत्र के विधायक केवलराम काले व जिले के सांसद बलवंत वानखडे सहित भाजपा नेत्री व पूर्व सांसद नवनीत राणा द्वारा यह बात राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार के समक्ष उठाई जाए, ताकि इस समस्या का कोई समाधान निकल सके.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, पुलिस वायरलेस सेंटर के पास रहनेवाली जमीन राज्य सरकार की ही है और यह जमीन पुलिस विभाग को जिलाधीश ने ही 21 नवंबर 1980 को आदेश जारी करते हुए प्रयोग करने के लिए आवंटित की थी. जिसके तहत चिखलदरा में वायरलेस सेंटर को 15,175.6 चौरस मीटर जमीन हस्तांतरित की गई थी. जबकि इस वायरलेस सेंटर के लिए इतनी जमीन दिए जाने की आवश्यकता भी नहीं थी. यही वजह है कि, 45 साल का समय बीत जाने के बावजूद वह जगह पूरी तरह से खाली पडी है. जिसकी अब स्कायवॉक का प्रवेशद्वार बनाए जाने हेतु जरुरत है और अपने द्वारा दी गई जमीन को राज्य सरकार व राजस्व महकमा कभी भी वापिस ले सकता है. बावजूद इसके पुलिस महकमा जमीन वापिस नहीं देने की नाहक जीद पर अडा हुआ है. इस बात से भी स्थानीय जनप्रतिनियों द्वारा राज्य सरकार को अवगत कराए जाने की जरुरत है अन्यथा इस जमीन के अभाव में स्कायवॉक का काम कभी भी पूरा नहीं हो सकेगा.