* सत्ताधारी दल को बताया किसान विरोधी
अमरावती/दि.11– सहकार क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानी जाती अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक जब कांग्रेस के पास थी, तो बैंक का चहुंमुखी विकास हो रहा था. जिसके चलते अमरावती जिला बैंक समूचे विदर्भ के सहकार क्षेत्र में अग्र स्थान पर थी. परंतु तोडफोड की राजनीति करते हुए बैंक की सत्ता में आए बैंक के मौजूदा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने तमाम तरह की गडबडियां और मनमानी करते हुए गलत तरह के फैसले लेने शुरु कर दिए है. जिसकी वजह से अच्छी खासी चल रही बैंक का बंटाधार हो रहा है. इसका खामियाजा जिले के आम किसानों को उठाना पड रहा है. इस आशय का आरोप बैंक के पूर्व अध्यक्ष व संचालक बबलू देशमुख ने लगाया.
गत रोज कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रवार्ता में कांग्रेस के ग्रामीण जिलाध्यक्ष तथा जिला बैंक के पूर्व अध्यक्ष व संचालक बबलू देशमुख ने बताया कि, जिला बैंक में फिलहाल सत्ताधारी दल के पास 7 व विपक्ष के पास 13 संचालक है. वहीं 1 संचालक निर्दलीय है. परंतु इसके बावजूद अल्पमत में रहने वालों मेें तोडफोड की राजनीति करते हुए गलत तरीके से बैंक की सत्ता हासिल की. साथ ही वे लोग मनमाने ढंग से बैंक का कामकाज चला रहे है. देशमुख के मुताबिक सन 2009 में जब जिला बैंक में कांग्रेस की सत्ता थी, तो कम्प्यूटर खरीदने हेतु नियमानुसार 2 करोड 30 लाख रुपए के टेंडर जारी किए गए थे. परंतु उस समय विपक्ष में रहने वाले मौजूदा सत्ताधारियों ने उस निर्णय का विरोध किया था. लेकिन आज वहीं लोग बैंक में 200 कर्मचारी संख्या रहने पर 350 से अधिक कम्प्यूटर खरीदने का प्रयास कर रहे है. जिसके लिए 4 करोड 70 लाख रुपयों की खरीदी टेंडर को एक्झिक्यूटीव कमिटी व संचालक मंडल की मंजूरीे आवश्यक रहने के बावजूद भी ऐसी कोई मंजूरी लिए बिना कम्प्यूटर खरीदी की प्रक्रिया शुरु की गई है.
इसी तरह पुराने संचालक मंडल ने पदाधिकारियों के दालान में रंगरोगन का प्रस्ताव पारित किया था. परंतु उस प्रस्ताव के अर्थ का अनर्थ करते हुए बैंक के अच्छे खासे दालानों की तोडफोड करते हुए करोडों रुपयों की बर्बादी की जा रही है. सत्ताधारी दल की बैठके भी नियमबाह्य पद्धति से चल रही है और बैठक का प्रोसेडिंग भी समय पर नहीं मिलता. यह प्रोसेडिंग बैंक के एमडी के पास रहना आवश्यक रहने के बावजूद भी उसे उपाध्यक्ष के पास रखा जाता है. इसके अलावा अपात्र रहने वाले कर्मचारियों को नियमबाह्य पद्धति से मेहनताना दिया जा रहा है. इन तमाम गडबडियों के जारी रहने के बावजूद भी विभागीय सहनिबंधक द्वारा इसे लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा. बल्कि उन पर भी सत्ताधारी दल द्वारा अपने दबावतंत्र का प्रयोग किया जा रहा.
इस पत्रवार्ता में बैंक के पूर्व अध्यक्ष व संचालक बबलू देशमुख ने आरोप लगाया है कि, इस तरह से किसान हितों के खिलाफ निर्णय लेते हुए बैंक को बर्बाद करेन की साजिश रची जा रही है. इसके खिलाफ 13 विपक्षी संचालकों ने अदालत में गुहार लगाई है और हमें पूरी उम्मीद है कि, न्यायालय द्वारा दूध का दूध और पानी का पानी किया जाएगा. इस पत्रवार्ता में बैंक के संचालक विधायक बलवंत वानखडे, पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप, पूर्व अध्यक्ष सुधाकर भारसाकले तथा हरिभाउ मोहोड, सुरेश साबले, प्रकाश कालबांडे, श्रीकांत गावंडे, बालासाहब अलोने, दयाराम काले, संजय मार्डीकर व प्रवीण काशीकर आदि उपस्थित थे.