चार हजार लोगों के लिए एक ही डॉक्टर, सरकारी अस्पताल में मनुष्यबल का अभाव
स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी शहरवासी अनेक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित
अमरावती-/दि.16 देशभर में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इस 75 वर्ष में जिले के स्वास्थ्य विभाग ने भी काफी कामगिरी की. स्वास्थ्य की अनेक सुविधाएं जिले में हुई. लेकिन शासकीय अस्पताल में मनुष्य बल का अभाव कायम है. इस अभाव के कारण अन्य कार्यरत डॉक्टर्स पर तनाव बढ़ा है. जिले की लोकसंख्या को ध्यान में रखते हुए चार हजार लोगों में एक डॉक्टर ऐसी स्थिति जिले के स्वास्थ्य क्षेत्र की है.
शहर के जिला सामान्य अस्पताल (इर्विन) की स्थापना सन 1928 में हुई. कुछ वर्षों में ही अस्पताल को 100 वर्ष पूर्ण होंगे. इस कालावधि में इर्विन अस्पताल में काफी बदलाव हुआ. अनेक स्वास्थ्य सुविधा अस्पताल में उपलब्ध कराई गई. आज भी सर्वसामान्य मरीजों का उपचार इसी अस्पताल पर अवलंबित है. स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के बाद भी ग्रामीण भाग में स्वास्थ्य का विकास चाहिए जितना नहीं हुआ है. जिलेभर के गंभीर मरीजों को उपचार के लिए आखिरकार इर्विन का ही पर्याय दिया जाता है.
जिले की लोकसंख्या 30 लाख से अधिक है. इस लोकसंख्या की तुलना में स्वास्थ्य यंत्रणा अधुरी है. जिसके चलते नाईलाज मरीजों को निजी अस्पताल की राह पकड़नी पड़ती है. इर्विन में दवा भंडार से ही जिले में सर्वत्र दवाएं दी जाती है. कई बार यहां पर दवा संचयन की किल्लत पायी जाती है. मांग की तुलना में दवाएं कम उपलब्ध होती है. इसके साथ ही इर्विन अस्पताल में आयसीयू बेड की संख्या सिर्फ 6 है. जिसके चलते अनेक गंभीर मरीजों को नागपुर रेफर करना पड़ता है.
जिला सामान्य अस्पताल में ग्रामीण भाग के अस्पतालों को मरीजों को रेफर किया जाता है. यहां पर 379 बेड की सुविधा है, लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने से एक बेड पर दो मरीजों का उपचार करना पड़ता है. वहीं आयसीयू बेड की संख्या 6 होने से गंभीर मरीजों को नागपुर रेफर करने की नौबत आती है. वहीं शहर में केमोथेरेपी सेंटर है. महीने में तीसरे शनिवार को यहां पर तज्ञ डॉक्टर्स जांच के लिए आते हैं. आवश्यक दवा संचयन न होने से यहां पर केमोथेरेपी उपचार बंद है. सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में के फेज दो की सुविधा शुरु नहीं हुई है.जिसके चलते हृदय विकार, कर्क रोग, मेंदू शस्त्रक्रिया के लिए निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है.