अमरावतीमहाराष्ट्र

सत्ताधीशों की कोशिशों को संघ ने किया विफल

आज दिन दुनी बढ रही शाखाएं और काम

* प्रति वर्ष एक लाख युवा संघ से जुडने इच्छुक
* डॉ. मनमोहन वैद्य का दावा
* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव व शस्त्र पूजन कार्यक्रम
अमरावती/दि.14– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खत्म करने की तब के सत्ताधीशों ने बारंबार प्रयत्न किए. संघ पर प्रतिबंध भी लगाए गए. जो अदालतों ने खारिज कर दिए. अपार संघर्ष और बलिदान के पश्चात संघ आज 99 वर्षों का हो चुका है. अगले विजयादशमी से शताब्दी महोत्सव प्रारंभ करेंगे. आज संघ का कार्य का स्वीकार बढा है. उससे जुडनेवाले युवकों की संख्या प्रति वर्ष एक लाख से अधिक हो गई है. देश के 922 में से 903 जिलो में संघ का कार्य विस्तार हुआ है. प्रक्रिया शुरु है. आनेवाले वर्षों में हजारों प्रखंड में संघ का कार्य विस्तृत होगा. यह दावा संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और बेजोड वक्ता डॉ. मनमोहन वैद्य ने किया. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अमरावती महानगर की ओर से रविवार 13 अक्तूबर की शाम स्थानीय श्रीमती नरसम्मा महाविद्यालय के भव्य प्रांगण में आयोजित विजयादशमी उत्सव व शस्त्र पूजन कार्यक्रम के अवसर पर बोल रहे थे. कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रुप में टोंगसे पाटिल बिल्डकॉन सोल्युशन प्रा. लि. अध्यक्ष श्रीकृष्ण टोंगसे, विभाग संघ चालक चंद्रशेखर भोंदू, महानगर संघ चालक उल्हास बपोरीकर मंच पर उपस्थित थे.
* पांच सूत्रों पर संघ का कार्य
हिंदुत्व को सर्वसंपन्न करने के लिए विगत 99 वर्षों से निस्वार्थ तरीके से अविरत कार्यरत हैं. अध्यात्म ने सभी को एकसूत्र में जोडकर रखा है. हिंदुत्व और अध्यात्म ही भारत की पहचान है, ऐसा भी डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा. डॉ. मनमोहन वैद्य ने आगे कहा कि, कोरोना का कठिन समय हम लोगों ने अनुभव किया है. इस दौरान सरकारी कर्मचारियों सहित आम जनता भी सेवाकार्य के लिए बाहर निकली थी. विश्व में ऐसा कहीं नहीं हुआ था. परंतु भारत में ऐसा हुआ जो हमारी विशेषता को दर्शाता है. अध्यात्म इसका आधार था. अध्यात्म ने सभी को जोडकर रखा है और इसके चार पहलू है. सत्य, एकता, ईश्वरीय तत्व और उपासना. भारत देश एक समाज है. विदेशीयों ने यहां आक्रमण किया, शासन किया. लेकिन यह देश सदैव अपराजित रहा. डॉ. वैद्य ने कहा कि, समाज को जागृत करने के लिए अध्यात्म के आधार पर हिंदू धर्म पर विचार करना जरुरी है.
डॉ. वैद्य ने कहा कि, समय के साथ परिवर्तन हुआ है. लोगों की संघ के प्रति भावना बदली है. इसका प्रमुख कारण संघ के कार्य है. जो हिंदुत्व पर आधारित है. संघ के कार्य को देखने और समझनेवाले संघ से जुडने उद्यत है. संघ के घोर विरोधी भी उसके साथ आकर और कार्य देखकर, समर्पण देखकर सहर्ष संघ से जुड रहे है. फिर आजीवन संघ के हो जाते हैं. डॉ. वैद्य ने अनेक उदाहरण अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए दिए. करीब 35 मिनट के नपेतुले और संस्कृतनिष्ठ हिंदी के संबोधन में डॉ. वैद्य ने उपस्थितों को मुग्ध कर दिया था. उन्होंने बताया कि, इसवी सन 1 से लेकर 1500 तक भारत ही विश्व में अग्रणी था. क्योंकि यहां जॉब की कल्पना न थी. प्रत्येक घर में उद्यम होता था. खेतीबाडी सर्वश्रेष्ठ रुप में केवल भारत में ही हो रही थी. विदेशी आक्रांताओं के आगमन पश्चात भारत की अर्थव्यवस्था को ठेस पहुंची. यहां के जनमानस में जॉब की धारणा पनपी. अन्यथा भारत वर्ष में गृहणियां भी अपने कार्य में दक्ष रहने के साथ व्यवहार कुशल रहती. जिससे उन्हें गृहलक्ष्मी कहा जाता था.
इस अवसर पर प्रमुख अतिथि श्रीकृष्ण टोंगसे ने कहा कि, भारत को भारत जैसा ही रहना चाहिए और इसके लिए संघ का कार्य अविरत शुरु है. संघ के कार्यो से सभी जुडे और संघ के सहयोगी बने. हिंदुत्व के लिए हमें कार्य करना है. कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि का स्वागत विभाग संघ चालक चंद्रशेखर भोंदू ने किया व प्रास्ताविक तथा परिचय महानगर संघ चालक उल्हास बपोरीकर ने किया. अमृत वचन रोहित पांडे ने प्रस्तुत किए. व्यक्तिगत गीत निशांत फणसालकर, प्रार्थना स्वराज ठाकरे ने प्रस्तुत की. उत्सव के मुख्य शिक्षक विवेक धर्माले थे. मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजारोहण से की गई और उसके पश्चात अतिथियों के हस्ते शस्त्र पूजन हुआ. इसी दौरान स्वयंसेवकों ने प्रदक्षिणा संचालन, दंड, नि:युद्ध, व्यायाम योग, योगासन, घोष सांघिक गीत, शारीरिक प्रात्यक्षिका का प्रदर्शन कर उपस्थितों का मन जीत लिया. कार्यक्रम के पहले स्वयंसेवकों का पथ संचलन पूर्ण गणवेश के साथ श्रीमती नरसम्मा महाविद्यालय के प्रांगण से निकाला गया. पथ संचलन मार्ग पर उपस्थित नागरिकों ने पथ संचलन का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया. कार्यक्रम में संत व प्रतिष्ठित, संघ प्रेमी नागरिक, माताएं और बहनें बडी संख्या में उपस्थित थे. प्रमुख उपस्थिति में पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटिल, जगदीश गुप्ता, उद्यमी राजेश डागा, भाजपा नेता राजेश वानखडे, रविराज देशमुख, सिद्धार्थ गायकवाड, नितिन गुडधे, चेतन पवार, सुनील राणा आदि का समावेश रहा.

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