* प्रवेश प्रक्रिया जल्द पूर्ण करने की मांग
अमरावती/दि.21– एक ओर नई शैक्षणिक वर्ष की शुरूआत होने पर दूसरी ओर आरटीई (सक्ती का शिक्षा हक्क कानून) में नि:शुल्क शाला प्रवेश की प्रक्रिया अभी तक प्रलंबित है. जिसके कारण साहब शाला शुरू हुई, नि:शुल्क प्रवेश का क्या ? ऐसा सवाल करने की नौबत पालको पर आ गई है.
जिले की आिर्थिक द़ृष्टि से कमजोर घटकों के बच्चों को इंग्लिश मीडियम की शाला में प्रवेश मिल सके , इसके लिए शासन की ओर से आरटीई अंतर्गत नि:शुल्क शाला प्रवेश प्रक्रिया प्रतिवर्ष चलाई जाती है. परंतु चालू वर्ष में विविध कारणों के कारण यह प्रक्रिया न्याय प्रविष्ट हो गई है. उसमें न्यायालय के निर्देशानुसार दूसरे समय में प्रवेश प्रक्रिया चलाई गई. इसके लिए हजारों पालको ने अपने पाल्यों के प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन दर्ज किए है. परंतु अभी तक सूची निकाली न जाने से पालकों में चिंता हो रही है.
* 232 शाला में 2396 जगह
जिले में 232 शाला में 2396 जगह आरटीई अंतर्गत आरक्षित है. ऑनलाइन लॉटरी पध्दति से इस शाला में बच्चों को प्रवेश दिया जायेगा.
* 6696 आवेदन दर्ज अभी तक
राज्य के 2 लाख 43 हजार 104 विद्यार्थियों ने आरटीई अंतर्गत आवेदन किया है. इसमें अमरावती जिले से 6 हजार 996 विद्यार्थियों ने प्रवेश के लिए आवेदन किया है.
* 232 शालाओं में 6697 हजार पर आवेदन
राज्य के 9 हजार 208 शालाओं में 1 लाख 8 हजार 296 प्रवेश के लिए जगह उपलब्ध है. तथा अमरावती जिले में 232 शालाओं में 2 हजार 396 जगह आरक्षित है.
* शाला शुरू हुई प्रवेश कब ?
आरटीई प्रवेश प्रक्रिया प्रलंबित है. वह तत्काल शुरू न करने पर विद्यार्थियों के अभ्यास पर परिणाम होगा. शासन तत्काल प्रवेश की प्रक्रिया चलाए.
रोशनी कावरे, पालक
प्रवेश पात्र रहे रहनेवाले बच्चों की सूची भी अभी घोषित नहीं हुई. जिसके कारण बच्चों को प्रवेश मिलेगा या नहीं. इसकी चिंता है.
रामदास मानकर, पालक
शासकीय आरटीई प्रवेश में बदल किया था. पालको के विरोध के कारण पुरानी पध्दति से प्रवेश प्रक्रिया को अनुमति दी. परंतु न्याय प्रविष्ट प्रकरण होने से इस संबंध में आदेशानुसार अगली कार्रवाई की जायेगी.
बुध्दभूषण सोनवने, शिक्षाधिकारी
* दो बार मंगवाया आवेदन
शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए शिक्षा विभाग ने शिक्षा हक्क कानून अंतर्गत नि:शुल्क प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू की थी. इस संदर्भ में तकनीकी कारणों के कारण एक नहीं तथा दो बार संकेतस्थल पर ऑनलाइन आवेदन मंगवाए थे.