अमरावतीमहाराष्ट्र

गांववासी व शिक्षकों के सामूहिक प्रयासों से शाला का कायापालट

दापोरी की जिला परिषद शाला का ‘आदर्श ’ अनोखा उपक्रम

मोर्शी/दि. 24– विद्यार्थियों को शिक्षा देनेवाली आदर्श शाला कैसी होनी चाहिए, ऐसा सवाल उठने पर अमरावती जिले की मोर्शी तहसील के दापोरी की जिला परिषद की शाला इसका सही उदाहरण है. इस शाला के शिक्षकों की ओर से विद्यार्थियों को शाला के अतिरिक्त समय पर ही शिक्षा के गुर सिखाए जाते है. कम समय में ही शिक्षक व ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयासों से इस शाला का कायापालट हुआ. इसमें ही इंग्लिश मीडियम के संस्कृति की ओर अग्रसर होनेवाले कदम दापोरी की जिला परिषद की शाला की बढने लगे है.
2 हजार 700 जनसंख्या वाले दापोरी गांव में 18 अक्तूबर 1879 में स्थापित हुए जिला परिषद की शाला को 145 वर्ष पूर्ण हो गये है. 145 वर्षो के बाद हजारों विद्यार्थियों का भविष्य बनानेवाली यह जिला परिषद की शाला अपने कर्तव्य की छाप उमडती हुई दिखाई दे रही है.
अमरावती जिले में आज भी कुछ जिला परिषद शाला की अन्य शासकीय शाला के अनुसार ही दयनीय स्थिति दिखाई देती है. किंतु दापोरी गांव के नागरिकों व पालको ने अपने बच्चों को गांव से दूर शहर में भेजने से इंकार किया है और जिला परिषद की शाला पर विश्वास जताया है. जिला परिषद शाला आदर्श बनाने के लिए गांववासी, मुख्याध्यापक, शिक्षक इस निमित्त से एकत्रित हुए और इसके लिए स्वयं के पास के पैसे इकट्ठा किए. शिक्षकों के इस विधायक कार्य को गांववासियों ने सहयोग दिया व इस कार्य में गांववासियों व शिक्षकों ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. जिसके द्बारा शाला का कायापालट किया गया. इस शाला में विद्यार्थियों ने क्रीडा स्पर्धा में भी अपनी छाप बनाई है. इस शाला ने जिला क्रीडा स्पर्धा में अनेक मेडल प्राप्त कर खो-खो, कबड्डी जैसे खेल में विद्यार्थियों ने क्रीडा व सांस्कृतिक स्पर्धा में अपनी पहचान बनाई है. इसके लिए शिक्षकों ने पूरा समय देकर विद्यार्थियों को ज्ञानदान देने का अनमोल कार्य करते हुए दिखाई दे रही है. इस शाला में साल भर अलग-अलग प्रकार के उपक्रम चलाकर शिक्षा के गुर सिखाए जाते है.

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