अमरावतीमहाराष्ट्र

ढाकरमल में रौपा शिक्षा का बीज आज वटवृक्ष बना

ज्ञानदेव महाकाल का शिक्षा में योगदान अविस्मरणीय

* दुर्गा बिसंदरे का प्रतिपादन
धारणी /दि. 2– जिस समय मेलघाट अति दुर्गम क्षेत्र में लोग जाने की हिम्मत नहीं करते थे उस समय तहसील अंतर्गत आनेवाले ढाकरमल जैसे दुर्गम गांव में एक झोपडी में आदिवासी आश्रमशाला खोलकर शिक्षा का एक छोटासा बीज ज्ञानदेव महाकाल ने रौपा था. जो आज बडा वटवृक्ष बन चुका है. मेलघाट के दुर्गम क्षेत्र में ज्ञानदेव महाकाल का शिक्षा में योगदान अविस्मरणीय है, ऐसा प्रतिपादन भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा तहसील अध्यक्ष दुर्गा बिसंदरे ने व्यक्त किया. वे ज्ञानदेव महाकाल के सत्कार समारोह में बोल रही थी.
दुर्गा बिसंदरे ने ज्ञानदेव महाकाल का शाल-श्रीफल प्रदान कर सत्कार किया. दुर्गा बिसंदरे ने आगे कहा कि, संत गाडगेबाबा के स्वप्न साकारने के लिए प्रत्येक नागरिकों को ग्राम सुधार का संकल्प आत्मसात करना होगा. तभी समाज परिवर्तन संभव होगा और स्वयं से यह कार्य प्रारंभ करने की आवश्यकता है. ढाकरमलवासी व आश्रमशाला में शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राएं भाग्यशाली है. उन्हें बाल्यावस्था से ही ग्राम सुधार का पाठ पढाया जा रहा है. आश्रमशाला में दिए जानेवाले सामान्य ज्ञान का इस्तेमाल कर विद्यार्थी प्रगती करें और अपने देश व समाज के लिए कार्य करें. माता-पिता ने जो स्वप्न देखे है, उसे पूर्ण करने प्रयास करें.
इस अवसर पर दुर्गा बिसंदरे ने आश्रमशाला के वैद्यकीय पूर्व परीक्षा के लिए नीट की पुस्तके विद्यार्थियों को भेंट दी और आश्रमशाला से प्रथम डॉक्टर बननेवाले विद्यार्थी को 11 हजार रुपए के पुरस्कार की घोषणा की. कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. रवींद्र कोल्हे, जनक्रांति सेना अध्यक्ष मन्ना दारसिंबे, कामगार युनियन अध्यक्ष रमेश तोटे, डॉ. सुभाष जांबेकर, एड. गोविंद सावलकर, पूर्व जि.प. सदस्य हरिचंद जांबेकर, श्रीराम मालवीय, दीपक मालवीय, पंकज लायदे, मुख्याध्यापक प्रकाश इंगले, नरेश चिमोटे, रवींद्र शिंगणे, पूर्व प्राचार्य टेंभरे, विजय कुलसंगे आदि उपस्थित थे.

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