अमरावतीमहाराष्ट्र

विद्यापीठ के कुलगुरु पद की चयन प्रक्रिया तुरंत हो रद्द

युवा सेना जिला प्रमुख प्रवीण दिधाते ने उठाई मांग

अमरावती /दि.17– इस समय संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरु पद हेतु चयन प्रक्रिया चलायी जा रही है. जिसमें महाराष्ट्र सार्वजनिक विद्यापीठ अधिनियम 2016 के कई प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है तथा कई अयोग्य आवेदकों को तय मानकों की अनदेखी करते हुए अंतिम 5 की सूची में शामिल किया गया है. जिसे देखते हुए शिंदे गुट वाली शिवसेना से वास्ता रखने वाली युवा सेना के जिला प्रमुख प्रवीण दिधाते ने राज्यपाल रमेश बैस के नाम जारी पत्र में मांग उठाई है कि, अमरावती के कुलगुरु पद हेतु चलाई जा रही प्रक्रिया को तुरंत रद्द किया जाए.

इस संदर्भ में भेजे गये पत्र में प्रवीण दिधाते ने कहा है कि, अमरावती के कुलगुरु पद हेतु कुल 115 उम्मीदवारों ने आवेदन किये थे. जिसमें से चयन समिति ने 43 उम्मीदवारों का चयन कर उन्हें साक्षात्कार हेतु बुलाया, जब कि इन 43 में से 18 उम्मीदवार कुलगुरु पद हेतु आवश्यक शैक्षणिक पात्रता को पूर्ण नहीं करते. साथ ही कई उम्मीदवारों के पास संशोधन प्रकल्प, संशोधन पेपर व प्राध्यापक के तौर पर 10 वर्ष का अनुभव ही नहीं है. बल्कि इसमें से अधिकांश उम्मीदवार फिलहाल सहायक प्राध्यापक की श्रेणी में है. ऐसे में उन्हें कुलगुरु पद के साक्षात्कार हेतु पात्र माना जाना बेहद आश्चर्यजनक है. इसके साथ ही कुछ सेवानिवृत्त प्राचार्यों को भी नियमों की अनदेखी करते हुए साक्षात्कार हेतु बुलाया गया और एक सेवानिवृत्त प्राचार्य को अंतिम 5 में भी चुना गया है. साथ ही राजनीतिक तौर पर सक्रिय एक उम्मीदवार को भी अंतिम 5 में चुना गया है. साथ ही अंतिम 5 मेें चुने गये उम्मीदवारों को देखकर स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि, नागपुर से वास्ता रखने वाले और राजनीतिक रुप से सक्रिय एक व्यक्ति के अलावा अन्य सभी उम्मीदवार एक तरह से डमी उम्मीदवार है. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया को बेहद संदेहास्पद कहा जा सकता है. अत: इस संदेहास्पद चयन प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए. साथ ही सभी नियमों का पालन करते हुए संगाबा अमरावती विद्यापीठ के नये कुलगुरु का चयन किया जाना चाहिए.
युवा सेना के जिलाध्यक्ष प्रवीण दिधाते द्वारा लिखे गये इस पत्र को शिवसेना के जिला प्रमुख अरुण पडोेल की प्रमुख उपस्थिति के बीच मुंबई स्थित राजभवन में राज्यपाल रमेश बैस के स्वीय सहायक मुनगेकर को सौंपा गया.

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