अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

नृसिंह मंदिर और सिख समाज की सेवा रहेगी सदैव याद

उत्तराखंड में पांच दिन फंसे बेथरिया परिवार का कहना

* फौज और एनडीआरएफ को भी देते हैं धन्यवाद
* प्रकृति से खिलवाड रोकने की अपील
अमरावती/दि.16 – चार धाम की उत्तराखंड की यात्रा के अंतिम पडाव में प्रकृति का रौद्र रूप देखकर लौटे अमरावती के बेथरिया दंपत्ति ने फौज और राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण पथक को बारंबार धन्यवाद दिया. उसी प्रकार पांच दिनों तक हजारों तीर्थयात्रियों की यथाशक्ति भोजन आदि की सेवा देनेवाले सिख समाज तथा नृसिंह मंदिर को सदैव स्मरण रखने की बात कही. आशीष बेथरिया और अन्य लोगों ने रविवार शाम अमरावती पहुंचकर स्वाभाविक रूप से सबसे पहले ईश्वर का बडा धन्यवाद किया. साथ ही अपने सकुशल होने एवं अपने घर अमरावती पहुंच जाने को एक चमत्कार वे मान रहे हैं. उनके संग आर्णी निवासी साले साहब संतोष जायस्वाल और उनकी पत्नी सरिता, पुत्री राशि भी थे. शहर के नवसारी जवाहर नगर क्षेत्र में रहनेवाले आशीष ने 120 घंटों से अधिक समय तक जोशी मठ में फंसे रहने की आप बीती अमरावती मंडल के साथ शेयर की.
* विशाल चट्टान ने रोका मार्ग
आशीष बेथरिया ने बताया कि बद्रीनाथ दर्शन के साथ उत्तराखंड चार धाम यात्रा पूर्ण हुई थी. वापसी की यात्रा शुरू ही होनेवाली थी. तभी जोशी मठ आते- आते नगर से करीब ढाई तीन किमी दूर मार्ग पर विशालकाय चट्टान आ गिरी. जिससे सडक अवरूध्द हो गई. दोनों ओर के यातायात को रोकना पडा.
* दिखी थोडी मानवता
बेथरिया ने बताया कि उनके टूर ऑपरेटर संजय शर्मा उनके साथ थे. जिससे पग-पग पर हिम्मत बंधी थी. शुरूआत में नहीं लगा कि वे लोग पांच दिनों तक फंसे रहेंगे. किंतु खराब मौसम के कारण एनडीआरएफ तथा सेना भी महत प्रयासों के बावजूद काम नहीं कर पा रही थी. भूस्खलन का खतरा लगातार बना हुआ था. ऐसे में जहां ठहराए गये वहां के लोगों और साथी तीर्थयात्रियों ने थोडी मानवीयता दिखाई. किसी ने रेट अधिक नहीं वसूले. ट्रेन, प्लेन के टिकट कैंसल कराने का जरूर खामियाजा भुगतना पडा.
फौज की तत्परता, जांबाजी
आशीष के अनुसार भारतीय फौज उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्र विशेषकर चारधाम यात्रा मार्ग की देखभाल करती है. चट्टानें गिरने से मार्ग अवरूध्द होते ही फौज अपने साधनों के साथ तेज बरसात में भी राहत व बचाव कार्य में जुट गई. वहां खतरनाक स्थिति हो गई थी. भूस्खलन हो रहा था. जेसीबी उसमें फंस रहा था. चट्टान का बडा हिस्सा जेसीबी पर गिरा. उसका चालक लहूलुहान हो गया. जिससे काफी लोग घबरा गये थे. मगर भारतीय फौज अपने साहस और सूझबूझ के लिए जानी जाती हैं. यह भी सामने देखने मिला.
* दोहरी जिम्मेदारी, बचाया पॉवर स्टेशन
आशीष बेथरिया ने बताया कि सेना पर मार्ग क्लीअर करने की जिम्मेदारी थी. मगर उसकी दिक्कत तब बढ गई. जब देखा गया कि भीमकाय चट्टान को आगे नहीं लुढका सकते. वहां पॉवर स्टेशन था. जो पहाडी से चकनाचूर हो सकता था. ऐसे में पहाडी काटकर धीमे- धीमे सडक क्लीअर की गई. तब जाकर पहले पैदल यात्री सुरक्षित आगे बढाये गये. उपरांत छोटे वाहनों को जाने दिया गया. ऐसे ही एक वाहन में हम सवार थे. वह शनिवार सदैव याद रहेगा. जोशी मठ से आगे निकलकर कर्ण प्रयाग पहुंचने पर काफी अच्छा लगा.

Related Articles

Back to top button