किसान की जमानत को सत्र न्यायालय ने किया मंजूर
मोर्शी/प्रतिनिधि दि.१२ – खेड गांव में अतिक्रमण विरुध्द ग्राम पंचायत कार्रवाई मामले में विलास सुर्यकार और उसके भाई अविनाश को अमरावती जिला सत्र न्यायालय की ओर से जमानत दे दी गई है.
मिली जानकारी के अनुसार ग्रामपंचायत कार्यालय की ओर से जलापूर्ति कुएं को कटीले तार की बाड लगाने निमित्त सरपंच कल्याणी राजस ने नियमों को ताक पर रखते हुए पूरी तरह से तार की बाड बिछाने के आदेश दिये. यहां पर विलास सुर्यकर का गोठा है. वहीं गोठे के आसपास 22 घरों की बस्ती भी है, लेकिन यह बस्ती बाढ प्रभावित क्षेत्र में आने से सुर्यकार को छोड सभी का पुनर्वास किया गया. वहीं किसान को कोई भी मुआवजा नहीं मिलने से उसने जगह से नहीं हटने का विरोध जताया. जिसके बाद ग्रामपंचायत प्रशासन की ओर से किसान के खिलाफ कार्रवाई का अभियान छेडा गया. इससे पूर्व भी किसान ने पुनर्वास को लेकर पत्राचार किया, लेकिन उसे राहत नहीं मिली. वास्तविक रुप से देखा जाए तो मुंबई ग्रापं.अधिनियम 1958 की धारा 38 के अनुसार सरपंच के अधिकार निर्धारित किये गए है. सरपंच की गैरमौजूदगी में उपसरपंच को सरपंच के अधिकार प्राप्त होेते है. घटनास्थल पर सरपंच को पंचायत की ओर से जाने का अधिकार नहीं है. पंचायत के प्रस्ताव के अनुसार ग्रामसेवक अथवा कर्मचारी के माध्यम से कोई भी कार्य अमल में लाया जा सकता है. इसके अलावा 6 माह से ज्यादा अवधि वाला अतिक्रमण हटाने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति आवश्यक होती है. एड.युवराजसिंग ठाकुर के इस युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए जिला सत्र न्यायालय ने किसान की जमानत को मजूर कर दिया.