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शहर में चल रहा तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण

अनेक शिकायतें मिलने पर अमरावती जिला बार असो. ने जिलाधिकारी से की शिकायत

जांच कर कार्रवाई करने की मांग की, जिलाधीश ने एसडीओ को दिये आदेश
अमरावती-/दि.14  अमरावती शहर के मोर्शी रोड, पंचवटी चौक पर चल रहे तथाकथित लवाद न्यायाधिकरण की जांच कर समांतर कोर्ट चलाने वाले सिद्धार्थ शिवनाथ रामटेके पर कार्रवाई करने की मांग अमरावती जिला बार असोसिएशन ने आज जिलाधिकारी पवनीत कौर को सौंपे निवेदन में की है. इस मामले को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए तत्काल उपविभागीय अधिकारी रणजीत भोसले को दिये हैं.
जानकारी के मुताबिक अमरावती जिला बार असोसिएशन के अध्यक्ष शोएब खान के नेतृत्व में वकील संघ के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी पवनीत कौर से शुक्रवार को भेंट कर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि पंचवटी चौक पर सिद्धार्थ शिवनाथ रामटेके ने लवाद न्यायाधिकरण के नाम से खुद लवाद न्यायाधिकरण स्थापित कर विगत एक साल से समांतर कोर्ट चलाना शुरु किया है. यहां फौजदारी व दिवानी स्वरुप की शिकायतों के नाम पर समान्तर न्यायालय चलाया जा रहा है. इस लवादा का कामकाज सिद्धार्थ रामटेके खुद को लवाद अधिकारी के रुप में दर्शाकर चलाता है. लवादा में उन्हें कोई भी कानूनी हक व अधिकार न रहते हुए लोगों के नाम नोटीस निकालकर उन्हें कार्यालय में बुलाया जाता है और जिन्हें नोटीस दी, वह व्यक्ति आने पर उससे जबर्दस्ती इस लवादा में प्रकरण चलाने इच्छुक है, ऐसा लिखकर लिया जाता है. ऐसी अनेक शिकायतें प्राप्त होने के बाद अमरावती जिला बार असोसिएशन ने वकील संघ के पदाधिकारियों सहित सभी वकीलों की आमसभा लेकर इस तथाकथित लवादा बाबत उच्च अधिकारी के पास शिकायत करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया. अनेक वकीलों के साथ हुई चर्चा के बाद आज जिलाधिकारी पवनीत कौर को निवेदन सौंपकर मामले की जांच कर संबंधित पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. पवनीत कौर ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एसडीओ रणजीत भोसले को जांच के आदेश दिये हैं. निवेदन देते समय वकीलों का कहना था कि लवाद व समेट अधिनियम 1996 के कानून के मुताबिक इस तरह का लवाद स्थापित कर प्रकरणों का निपटारा करने का कोई भी अधिकार दिखाई नहीं देता और यह मामला काफी गंभीर स्वरुप का है, इस कारण इस तथाकथित लवाद के कानूनी अधिकार बाबत उच्चस्तरीय जांच होना आवश्यक है. इस तथाकथित लवादा के सर्वेसर्वा सिद्धार्थ रामटेके ने खुद को सरकारी कर्मचारी दर्शाकर 10 अप्रैल 2021 को रविन्द्र पंढरीनाथ जरुदे और उसकी पत्नी के खिलाफ गाड़गेनगर थाने में शिकायत दर्ज की थी कि वह लवाद अधिकारी के रुप में नौकरी करते हैं और 7 अप्रैल 2021 की सुबह 10.30 बजे के दौरान वह लवादा में काम कर रहे थे, उस समय रविन्द्र और उसकी पत्नी ने न्यायदान कक्ष में जबर्दस्ती प्रवेश कर उसके साथ गाली गलौच कर शासकीय काम में दुविधा निर्माण की. पुलिस ने जरुदे दंपत्ति के खिलाफ धारा 353, 294, 506 के तहत मामला दर्ज किया और इस प्रकरण में दोनों आरोपी 15 दिन तक कारागृह में थे. पश्चात अदालत ने आरोपी दंपत्ति को जमानत दी. वास्तविकता को देखते हुए असोसिएशन के अध्यक्ष एड. शोएब खान का कहना था कि सिद्धार्थ रामटेके यह सरकारी कर्मचारी नहीं है. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के पास सिद्धार्थ रामटेके ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रकरण दाखिल किया था. इस प्रकरण में उच्च न्यायालय ने ऐसा कहा है कि फौजदारी आचार संहिता की धारा 197 लागू नहीं होती और सिद्धार्थ रामटेके का आवेदन खारिज किया जाता है. ऐसे अनेक मामलों को देखते हुए इस प्रकरण की जांच कर संबंधित पर कड़ी कार्रवाई की जाये.
निवेदन सौंपने वालों में असोसिएशन के अध्यक्ष एड. शोएब खान के अलावा सचिव एड. मुकेश देशमुख, उपाध्यक्ष एड. जितेन्द्र देशमुख, एड. प्रशांत देशपांडे, एड. श्रीकांत पांडे, एड. भूषण कोकाटे, एड. चेतन बुंदेले, एड. सुमित शर्मा, एड. सुषमा रायबोले, एड. कपिल गुप्ता, एड.संदीप वानखडे, एड. गौरव मुंदे आदि सहित अन्य वकीलों का समावेश था.

एक अन्य प्रकरण में जिला अदालत ने भी दिये जांच के आदेश
दो दिन पूर्व 12 अक्तूबर को अमरावती के जिला व सत्र न्यायाधीश के पास नियमित जमानत अर्जी सुनवाई के लिये आयी थी. इस प्रकरण में शिकायतकर्ता महिला है. उसने अपने पति और एक अन्य के खिलाफ की शिकायत के आधार पर धारा 354 व एट्रासिटी एक्ट के तहत गाड़गेनगर थाने में मामला दर्ज हुआ है. इस प्रकरण के आरोपियों ने जमानत के लिये किये गई अर्जी के बाद सरकारी वकील एड. सुनील अविनाश देशमुख यह कामकाज देख रहे थे और उन्होंने युक्तिवाद करते हुए इस तथाकथित लवादा बाबत आपत्ति ली. सुनवाई के कुछ देर बाद ही इस सरकारी वकील को सिद्धार्थ रामटेके ने मोबाइल पर संपर्क कर धमकी दी कि उनके लवादा बाबत उन्हें (एड. सुनील देशमुख) बोलने का अधिकार नहीं है. आपने आर्बीट्रेशन एक्ट पढ़ा नहीं है क्या? और तुम बोगस वकील हो. ऐसी धमकीभरा फोन सुनने के बाद सरकारी वकील ने तत्काल इस बाबत जिला व सत्र न्यायाधीश (1) के पास शिकायत की. साथ ही बार असो. के अध्यक्ष के पास भी लिखित शिकायत की. इस जमानत प्रकरण में अदालत ने गाड़गेनगर झोन की सहायक आयुक्त पूनम पाटील को तीन दिन के भीतर लवादा बाबत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है. इस तरह लवादा न्यायाधिकरण की दो अलग-अलग शिकायतों में सहायक आयुक्त और उपविभागीय अधिकारी जांच कर रहे हैं.

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