ज्ञानसूत्र के साथ बंधी आत्मा संसार में कभी खो नहीं सकती
राष्ट्रसंत नम्रमुनी महाराज का प्रतिपादन
अमरावती/दि.12 – अंतर आत्मा की गहराईयों से उद्भावित सत्य के उद्घोष का अनुसरण करके संयम के पथ की आराधना के 31 वर्ष के संयम काल में अनेक आत्माओं को सत्य की दिशा बताने वाले,प्रभु धर्म ध्वजा- पताका को देश विदेश के कोने कोने में लहराकर जिनशासन को एक अनूठा गौरव देने वाले दीक्षा दानेश्वरी राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब की 31 वीं दीक्षा जयंति के अवसर पर देश विदेश के हजारो भाविकों ने प्रभु के आगम सूत्रों को कंठस्थ करने स्वरूप स्वाध्याय दीक्षा संकल्पना को अर्पण कर इस अवसर को अविस्मरणीय बनाया दिया था.
हजारो भाविकों द्वारा परम् पूजनीय गुरूदेव की दीक्षा जयंती पर संयम अभिवंदना अर्पण करने के इस अवसर पर डॉ.पूज्य श्री तरुलाताबाई महासतीजी आदि , विरलप्रज्ञा पूज्य श्री वीरमतिबाई महासतीजी आदि, बोटाद सम्प्रदाय के पूज्य श्री वंदनाबाई महासतीजी आदि अनेक संत सतीजी के साथ समग्र देश- विदेश के अनेक क्षेत्रों के भविक अत्यंत उत्साह और अहोभाव के साथ लाईव के माध्यम से जुड़ गए थे.
परमधाम साधना संकुल के पावन प्रांगण में उपस्थित विशाल समुदाय के भाविकों द्वारा परम गुरुदेव श्री के चरणों में अर्पण की गई अहोभावभीनी अभिवंदना के अनन्य दृश्य, उसीतरह परम महासतिजियों के श्रीमुख से प्रगट हुए आगम गाथाओं के मधुर गुंजन के साथ इस अवसर पर परम गुरुदेव श्री ने स्वयं के 31वर्षीय संयम जीवन में प्राप्त किये अमृत का पान कराते हुए फरमाया कि, मानव जीवन के दिन महीने और वर्षों के वर्ष व्यतीत होते होते समय में अतीत बन जाते है,तब यह अतीत जहां संसारियों के मुख पर निरर्थकता का अफसोस प्रगट कर जाता है वहां एक संयमी के मुख पर जीवन की परम सार्थकता का स्मित फैल जाता है। व्यतीत हुए इस भव की यदि कोई अमूल्य धरोहर जो साथ ले जानी है तो वह है प्रभु वचनों का खज़ाना,प्रभु वचन रूप स्वाध्याय का खज़ाना। इस भव में रोम रोम में प्रभु वचन रूपी स्वाध्याय का ऐसा अभिषेक कर ले कि उसके आनंद में संसार का हर एक सुख,हर एक आनंद फीका पड़ जाए.
इस अवसर पर पूज्य श्री परम महासतीजी द्वारा परम गुरुदेव के प्रति वंदनीय भाव प्रगट किये गए. इस समारोह में युवा मानस को सत्य की प्रेरणा देनेवाली दो अंग्रेजी किताबों में वाय एन आय एवं द वॉर विधिन का विमोचन अर्हम युवा सेवा ग्रुप के सभ्यों द्वारा करते ही सर्वत्र हर्ष छा गया. ततपश्चात सुविख्यात साहित्यकार श्री गुणवंतभाई बरवालिया रचित संयम पुस्तक का विमोचन परम गुरुदेव के कर कमल से होते ही सर्वत्र जय जयकार का नाद गुंज उठा.
विशेष में , राष्ट्रसंत परम गुरुदेव श्री नम्रमुनि महाराज साहेब के चरण-शरण में आगामी 20 फ़रवरी को दीक्षा अंगीकार कर संयम पंथ पे प्रयाण करने तत्पर बने 9 -9 मुमुक्षु आत्माओं का परमधाम साधना संकुल के प्रतिनिधियों द्वारा किये गए संयम सन्मान के साथ ही,इस अवसर पर एक साथ 67 दंपत्तियों द्वारा आजीवन ब्रम्हचर्य व्रत के परम गुरुदेव के श्रीमुख से प्रत्याख्यान ग्रहण करते ही यह अवसर सब के हृदय में संयम ,तप , स्वाध्याय के प्रति अमिट गौरव स्थापित कर गया.