अमरावती

शरीर की आत्मा एक ज्योति की तरह

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी माउंटआबू की संयुक्त प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी का कथन

अमरावती/दि.15– हमारे शरीर की आत्मा एक ज्योति की तरह है. जो निरंतर जलती रहती है. किसी न किसी को जीवनदान देकर उसके शरीर को प्रज्जवलित करती रहती है. इसी तरह ज्योति निरंकार भगवान शिव स्वरुप की होती है. हमें सुखमय जीवन में प्राप्ति के लिए इन दों बिंदुओं के अलावा तीसरा बिंदू फूलस्टॉप होता है. जो कार्य करने में हमें अत्यंत पीडा हो, उस कार्य को करने की बजाए उसे फूलस्टॉप लगाना चाहिए. इसे करने से यदि हमारे शरीर को नकारात्मकता काफी पीडा पहुंचाती है तो, उसे त्यागना ही उचित होता है. ऐसे इन तीनों बिंदुओं को जीवन में अपनाया गया तो जीवन सदा ही सुखमयी होगा, ऐसा प्रजापिता ब्रहम्कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजस्थान के माउंटआबू संयुक्त प्रशासिका व यूरोप की निदेशिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा.
राजयोगिनी जयंती दीदी शहर के रुख्मिणी नगर परिसर के ब्रह्मकुमारी केंद्र के सुखशांति भवन में ‘हम सदा सुखमय जीवन कैसे बिताए’ इस विषय पर सिंधी समाज के सम्मेलन में मार्गदर्शक के रुप में बोल रही थी. इस सम्मेलन में जिला संचालिका सीता दीदी माउंटआबू से जयंती दीदी के साथ पहुंची हंसा दीदी, शिवधारा आश्रम के संत साई डॉ. संतोष कुमार महाराज नवलानी आदि प्रमुखता से उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि, तन भले कैसा भी हो, लेकिन मन में ज्ञान का मंथन होना चाहिए. तभी गुणों को खुशी की अनुभूति होती है. मन हमेशा ही भीतर छिपे ज्ञान का चिंतन करता है. जब आत्मा के ज्योति स्वरुप की हम अनुभूति करते है, तब हमें अपने चेहरे पर मिठी मुस्कान नजर आती है और शांति, प्रेम, पवित्रता, सत्यतता व खुशी की अनुभूति होती है, इसलिए हमें अपने में छिपे मूल्यों को जानना जरुरी है. तभी हमें सुख और शांति की प्राप्ति होगी.
सम्मेलन में विशेष रुप से पधारे संत साईं डॉ. संतोष कुमार महाराज ने भी उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि, किसी भी समस्या का समाधान शांति और चेहरे की खुशी में होता है. यह दोनों बातें हमें ब्रह्मकुमारीज में सिखने मिलती है. यहां सभी को परिवार के साथ चलने और आपसी मश्वीरे के बाद साथ उस पर अमल करने की सीख दी जाती है. इसके लिए 7 दिनों का शिविर आयोजित किया जाता है. उन्होंने जयंती दीदी की वाणी को प्रभावशाली बताते हुए कहा कि, उनकी वाणी का आनेवाले समय में प्रभाव पडेगा. इस अवसर पर शिवधारा आश्रम की तरफ से राजयोगिनी जयंती दीदी का स्वागत व सत्कार किया गया. साथ ही बडनेरा की गीता पाठ की कन्याओं व्दारा गीत व नृत्य प्रस्तुत किए गए. कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. एस.के. पुन्शी, गोविंदा ग्रुप के सुभाष तलडा, पूज्य पंचायत रामपुरी कैम्प के अध्यक्ष डॉ. इंद्रलाल गेमनानी, सिटीलैंड के अध्यक्ष मुकेश हरवानी, बडनेरा पंचायत के अध्यक्ष चंदूमल बिंदानी, एड. वासुदेव नवलानी, दिनेश धामेचा, चाडीराम, राजेश खत्री, गुलशन लालवानी, नगमा असो. के अध्यक्ष सुनील कमलानी, हरीश अडवानी, प्रकाश बुधवानी, शंकरलाल हरवानी सहित अनेक परिवार के सदस्योंका जयंती दीदी के हाथों आत्मस्मृति तिलक लगाकर सत्कार किया गया. इस अवसर पर समाजबंधु बडी संख्या में उपस्थित थे.

* भारत की आदि सनातन संस्कृति सबको एक परिवार का मानना है
राजयोगिनी जयंती दीदी ने सम्मेलन के पूर्व पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भारत की आदि सनातन संस्कृति सबको एक परिवार का मानना है. देश के ऋषि-मुनियों ने आदि काल में इन विचारों को विश्व तक पहुंचाने का कार्य किया. तब से लेकर अब तक हम विश्व को यही संदेशा देने का प्रयास कर रहे हैं. कोरोनाकाल में जब संपूर्ण विश्व को दवाईयों की आवश्यकता पडी तब हमारे देश ने ही उन्हें दवाईयां व वैक्सिन उपलब्ध करवाई. उन्होंने कहा कि, अमरावती के केंद्र व्दारा सांस्कृतिक भवन में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में हम मनुष्य जो अपने मूल्यों को भूल चुका है उसे आध्यात्म के जरिए प्राप्त किया जा सकता है, इस बाबत जानकारी देंगे. मनुष्य के प्रमुख मूल्यों में शांति, अहिंसा, पवित्रता और सत्यतता होती है. जब हम खुद को पहचानने का प्रयास करते है तब हमारा परमपिता परमात्मा से मिलाप होता है. इससे हमारे भीतर छिपी आध्यात्म की शक्ति जागृत होती है. उन्होंने युवा पीढी में बढती निराशा के बारे में कहा कि, विश्व में जल किल्लत मूलभूत सुविधाओ का अभाव जैसी कई समस्या है. इस कारण युवाओं में निराशा का भाव बढने लगा है. लेकिन भारत में इन समस्याओं के साथ आबादी और उसमें स्पर्धाएं महत्वपूर्ण कारण है. क्योंकि स्पर्धा में उतरने वालों की संख्या काफी है और अवसर कम है, ऐसे में हम स्पर्धा में टिक नहीं सकेंगे इस भाव के कारण उनमें निराशा अधिक निर्माण होने लगी है. इसे रोकने के लिए ब्रह्मकुमारीज में अनेक ब्रम्ह योगसाधना है. हम युवाओं को इससे बाहर निकले का मार्ग दिखाते है. अंत में उन्होंने कहा कि, कलयुग के बाद सतयुग अवश्य आने वाला है और इसकी शुरुआत हो गई है. आनेवाले समय में ऑर्गनिक व पुरातन पद्धति में योग साधना को जोडते हुए किसानों को योगिक खेती की तरफ प्रेरित किया जाएगा. इसके लिए गुजरात के म्हैसाणा में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु हो चुके है. उन्होंने शहरवासियों से आवाहन किया कि, हमें भविष्य के लिए सुंदर विजन रखना चाहिए. इसके लिए पहले अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए. जिससे सुंदर समाज का निर्माण होगा.

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