टाकरखेडा संभू/दि.1– मानसून की शुरुआत से जारी अतिवृष्टी की वजह से किसानों के सोयाबिन का बडे प्रमाण में नुकसान हुआ. किसानों को दो से तीन बार बुआई करनी पडी. जैसे-तैसे सोयाबिन की फसल किसानों के हाथों में आई किंतु अब सोयाबिन की फसल काटने के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे. पहले ही सोयाबिन का उत्पादन कम हुआ अब दूसरी ओर मजदूरों कि किल्लत की वजह से किसानों पर एक और नया संकट मंडरा रहा हैं. परप्रांतो से मजदूर किसानों व्दारा बुलवाए जा रहे हैं. जिसमें उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा हैं.
जिले में राजस्थान, मध्यप्रदेश से मजदूर आ रहे हैं. वहीं धारणी, चिखलदरा तहसील से भी बडे प्रमाण में सोयाबिन की फसल काटने आदिवासी मजदूर बडे प्रमाण में आते हैं. किंतु बीच में दीपावली त्यौहार की वजह से सोयाबिन की फसल नहीं कटने पर किसानों को नुकसान उठाना पडा. पिछले साल 2 हजार से 2300 रुपए प्रति एकड सोयाबिन की फसल काटाने की मजदूरी थी. किंतु इस साल 2500 से 3 हजार रुपए प्रति एकड मजदूरी बढने की वजह से किसानों को आर्थिक नुकसान सहना पड रहा हैं. सोयाबिन की फसल 90 दिनों की होती है, अगर सोयाबिन की फसल ज्यादा दिन खेतों में खडी रही तो, धूप से फल्लियां झड जाती है और फसल बर्बाद हो जाती हैं.
मजदूरों की किल्लत चिंता का विषय
इस साल सोयाबिन की फसल काटने वाले मजदूरों की किल्लत चिंता का विषय बनी हैं. आगामी काल में आधुनिक तकनीक की अत्यंत आवश्यकता हैं. कृषि विद्यापीठ व शासन आधुनिक हार्वेस्टर मशीन की निर्मिती करे और व्यापारी समर्थन मूल्य से अधिक दामों में सोयाबिन फसल की खरिदी करे. जिससे किसानों को राहत मिलेगी.
– विजय मुंडाले,
अध्यक्ष जागृती कृषि विकास शेतकरी मंडल कामनापुर