अमरावती

टिपकेदार कस्तूरी पक्षी को पहली मर्तबा देखा गया

धारगढ़ में पर्यटन एवं प्रकृति निरीक्षण

परतवाड़ा/मेलघाट दि ९ -: स्थानीय टाइगर रिजर्व की पूर्व धारगढ़ बीट में पहली मर्तबा टिपकेदार कस्तूरी पक्षी दिखने का मामला दर्ज किया गया.हालांकि यह पक्षी लुप्तप्रायः नही ,किंतु मेलघाट वन अभ्यारण्य में जो पक्षी मित्र जाते उन्होंने इस टिपकेदार को पहली मर्तबा देखा है.
राजस्व उपायुक्त गजेंद्र बावने,आपूर्ति विभाग के उपायुक्त अजय लहाने ,भू सुधार के सहायक आयुक्त श्याम म्हस्के, राहुल गुप्ता , मनोज बींड की टीम ने 7 मार्च को प्राकृति भृमण और वन्यजीव छायाचित्र करते समय इस कस्तूर पक्षी को अपने कैमरे में कैद किया.मेलघाट में कस्तूर को देखे जाने का यह पहला मौका कहा जा रहा.हालांकि टिपकेदार कस्तूर को बिहाली, मल्हारा, कोहोना, के साथ ही परतवाड़ा में भी आसानी से देखा जा सकता है.
सभी कस्तूरवर्गीय पक्षियों में यह टिपकेदार कस्तूर अत्यधिक आकर्षित दिखाई देता है.अंग्रेजी में इसे ‘स्केली थ्रश ‘ कहा जाता.इसका शास्त्रीय नाम इंयूथेरा डॉमा है.वृक्ष पर बैठे कस्तूरी पक्षी के शरीर पर अलग ही प्रकार्र के टिपके दिखाई देने से उसकी फोटो लेने की बात मनोज भिंड ने कही है.सामान्य तौर पर इस पक्षी की लंबाई 27 से 31 सेमी होती है.यह हल्के पीले रंग का पक्षी है जिसके शरीर के ऊपरी भाग पर छोटे छोटे टिपकिया दिखाई देती.यही टिपकिया उसकी मुख्य पहचान है. पेट का भाग सफेद होता किंतु वहां भी रंगोली समान टिपकी दिखाई देती.पैर हल्के गुलाबी होते है.यह पक्षी सतत क्रंदन नही करता बल्कि समय अंतर से ट्वी-टू-टू ऐसी स्पष्ट और तेज सिटी बजाता है.यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है.इस कारण वो सहज दिखाई भी नही देता.घने पेड़ो और छायादार वृक्षो के बीच वो दिखाई देता.इसे खोजना भी कठिन काम है.नर और मादा में पहचान करना मुश्किल होता है.मादी यह ऊंचाई में छोटी होती है.ये अपने घोंसलों में राख के कलर के अंडे देती.सामान्यतः यह पक्षी किटक और जीवजन्तु को अपना भक्ष्य बनाता है.पक्षी मित्र इसे अत्यंत दुर्लभ पक्षी के श्रेणी में रख कर कह रहे कि इसी वजह से इसका मराठी नामकरण अभी तक नही हुआ .
मलेशिया के साथ ही यह भारत के उत्तरी भाग हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में दिखाई देता है.इबर्ड समान वैश्विक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी अनुसार महाराष्ट्र में इस पक्षी को पहली मर्तबा देखने का मामला दर्ज किया गया.
बाघ और अन्य वन्यजीव के लिए सुख्यात मध्यभारत के मेलघाट का जंगल यह अपनी दुर्लभ वनस्पतियों, स्तनधारी प्राणी और पक्षियों के सहवास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिध्द हो रहा है.मेलघाट की जैविक विविधता और वन्यजीव को देखने के लिए वन्य खोजी जीव और संशोधकों का यहां डेरा लगा रहता है. मेलघाट अंचल की प्राकृति का हर प्रकार से महत्व है.इसका आस्वाद लेने के लिए किसी वन्यप्रेमी की नजर जरूरी होती है.

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