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हडताल खत्म, काम पर लौटे सभी सरकारी कर्मी

सभी महकमों ने आज से पहले की तरह कामकाज शुरु

* सरकारी कार्यालयों में फिर लौटी चहल-पहल
अमरावती/दि.21 – पुरानी पेंशन सहित अपनी विभिन्न प्रलंबित मांगों को लेकर विगत मंगलवार 14 मार्च से राज्य के सरकारी व अर्ध सरकारी कर्मचारियों द्बारा शुरु की गई अनिश्चितकालीन हडताल एक सप्ताह बाद खत्म हो गई और आज मंगलवार 21 मार्च को सभी कर्मचारी अपने-अपने काम पर वापिस लौट आए. जिसके चलते सभी सरकारी कार्यालयों में आज सुबह से पहले की तरह चहल-पहल व रौनक दिखाई देने लगे.
उल्लेखनीय है कि, विगत एक सप्ताह से चली आ रही हडताल को खत्म करवाने हेतु राज्य सरकार द्बारा कर्मचारी संगठनों के साथ लगातार बातचीत का पर्याय खुला रखा गया था और राज्य कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के साथ संपर्क किया जा रहा था. इसके चलते गत रोज संगठन के 16 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक करते हुए अपनी मांगों को लेकर चर्चा की थी तथा बैठक के बाद संगठन के समन्वयक विश्वास काटकर ने मीडिया को बताया कि, सरकार ने पुरानी पेंशन के संदर्भ में निर्णय लेने हेतु 3 माह का समय मांगा है और इस अवधि के दौरान पुरानी पेंशन को लेकर ठोस निर्णय लिया जाएगा. जिसके चलते मध्यवर्ती संगठन ने हडताल को खत्म करने का निर्णय लिया है और हडताल पर रहने वाले सभी कर्मचारी मंगलवा 21 मार्च से अपने-अपने काम पर वापिस लौट आएंगे.
पुरानी पेंशन की मांग को लेकर हडताल का आवाहन करने वाले मध्यवर्ती संगठन द्बारा हडताल पीछे लिए जाने की घोषणा किए जाने के बाद विगत एक सप्ताह से कामबंद आंदोलन कर रहे सभी सरकारी व अर्ध सरकारी कर्मचारी तथा शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी आज मंगलवार 21 मार्च से अपने-अपने काम पर लौट आए है. इसके चलते सभी सरकारी कार्यालय एक सप्ताह बाद पहले की तरह गुलजार दिखाई देने लगे है और प्रशासनीक कामकाज एक बार फिर गतिमान हो गया है.

* हडताल खत्म करने या जारी रखने को लेकर था संभ्रम
उल्लेखनीय है कि, इस हडताल में राज्य कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के बैनर तले करीब 37 संगठनों ने सहभाग लिया था. जिनमें महाराष्ट्र राज्य पुरानी पेंशन हक्क संगठन का भी समावेश था. इस संगठन ने मध्यवर्ती संगठन द्बारा सरकार के साथ की गई चर्चा और सरकार द्बारा दिए गए आश्वासन को एक तरह की झांसेबाजी बताते हुए कहा कि, इस चर्चा व बैठक से पहले हडताल में शामिल सभी संगठनों को विश्वास में नहीं लिया गया. ऐसे में भले ही मध्यवर्ती संगठन ने हडताल पीछे लेने का निर्णय लिया है. परंतु पुरानी पेंशन हक्क संगठन द्बारा पुरानी पेंशन की मांग स्वीकार होने तक हडताल जारी रखने की घोषणा की गई. साथ ही मध्यवर्ती संगठन द्बारा लिए गए निर्णय का निषेध करने हेतु पुरानी पेंशन हक्क संगठन के पदाधिकारियों ने बीती रात मुंडन आंदोलन भी किया. ऐसे में इस बात को लेकर संभ्रम बना हुआ था कि, आज से यह हडताल खत्म होती है, या कुछ संगठनों द्बारा इसे बदस्तूर जारी रखा जाता है.

*…तो पूरी तरह से गैर कानूनी हो जाती हडताल
यद्यपि बीती रात तक पुरानी पेंश हक्क संगठन सहित जिले के अन्य कुछ कर्मचारी संगठनों द्बारा पुरानी पेंशन की मांग स्वीकृत होने तक हडताल को जारी रखने का निर्णय लिया गया था. जिस पर देर रात दुबारा विचार करते हुए हडताल खत्म कर काम पर वापिस आने के फैसले में बदला गया. सूत्रों के मुताबिक 14 मार्च से शुरु हुई हडताल की पूर्व सूचना मध्यवर्ती संगठन के लेटर पैड पर सरकार को दी गई थी तथा हडताल के तहत सभी आंदोलन भी मध्यवर्ती संगठन के बैनरतले ही हुए थे और सभी कर्मचारी संगठनों ने मध्यवर्ती संगठन को ही हडताल करने से लेकर सरकार से बातचीत करने के बारे में प्राधिकृत किया था. ऐसे में मध्यवर्ती संगठन द्बारा हडताल खत्म करने का निर्णय लेने के बाद यदि किसी भी कर्मचारी संगठन द्बारा हडताल को खत्म नहीं किया जाता और उस संगठन के सदस्य रहने वाले कर्मचारी यदि काम पर नहीं लौटते, तो उस हडताल को पूरी तरह से गैर कानूनी करार देने के साथ ही ऐसे कर्मचारियों पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई हो सकती थी. इस संभावना को ध्यान में रखते हुए सभी कर्मचारी संगठनों ने मध्यवर्ती संगठन द्बारा लिए गए फैसले को स्वीकार करते हुए काम पर वापिस लौट आने का निर्णय लिया.

* 3 माह बाद फिर हडताल के संकेत
चूंकि गत रोज राज्य सरकार ने 3 माह के भीतर पुरानी पेंशन योजना को लेकर ठोस निर्णय लेने का निर्णय लिया है. ऐसे में मध्यवर्ती संगठन द्बारा किए गए समझौते को मान्य करते हुए पुरानी पेंशन हक्क संगठन ने काम पर वापिस लौटने का निर्णय तो लिया है. परंतु साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि, यदि अगले 3 माह के भीतर सरकार ने पुरानी पेंशन को लागू नहीं किया, तो संगठन द्बारा अपने स्तर पर 3 माह बाद एक बार फिर राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हडताल शुरु की जाएगी. ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि, सरकार द्बारा इस मामले में आगे चलकर क्या फैसला लिया जाता है.

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