इर्विन के दिव्यांग विभाग के अधीक्षक का न्याय के लिए संघर्ष
दुर्घटना के बाद 16 माह से है जिला अस्पताल में भर्ती
* अस्पताल प्रबंधन की अनदेखी से संपूर्ण परिवार आहत
अमरावती/दि.1– इर्विन अस्पताल के दिव्यांग विभाग में वैद्यकीय अधीक्षक के रुप में कार्यरत अजय हत्तेसिंग सोलंके न्याय के लिए बेबस है. एक दुर्घटना ने उसकी जिंदगी उजाड दी. आज वह जिंदगी से संघर्ष कर रहा है. ऐसे में उसे मदद न मिलने से उसकी मां भी नियति को कोस रही है. अस्पताल प्रबंधन की उपेक्षा से आहत है. अपने कलेजे के टुकडे की बेबसी देकर मन ही मन में आंसू बहाकर चुनौती का सामना कर रही है.
जानकारी के मुताबिक निरुलगंगामाई निवासी 35 वर्षीय अजय सोलंके ने दिव्यांग विभाग में अधीक्षक के रुप में सेवा दी. 21 मई 2023 को दर्यापुर-लासूर मार्ग पर कार से जाते समय हुई दुर्घटना में अजय के मस्तिष्क में गहरी चोटे आ गई. उसे शुरुआत में अकोला के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया लेकिन परिवार की आर्थिक परिस्थिति ठिक न रहने से वह पिछले 16 माह से जिला अस्पताल में भर्ती है. उसकी संवेदनाएं बधीर हो चुकी है. आईसीयू में उस पर उपचार जारी है. अब तक उसके इलाज के लिए 15 लाख रुपए खर्च किए जा चुके है. अजय की देखभाल उसकी वृद्ध मां कर रही है. उसे अभी भी आंस है कि, उसका बेटा ठिक हो जाएगा. बता दें कि, दो वर्ष सरकारी सेवा देने के बाद अजय सोलंके को बीमारी के दौरान वेतन देने का प्रावधान है. अजय की मां ने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. दिलीप सौंदले व विधायक एड. यशोमति ठाकुर से इस बाबत न्याय की गुहार भी लगाई. लेकिन उसे अब तक कोई प्रतिसाद नहीं मिला है. सिविल सर्जन का कहना है कि, आर्थिक सहायता और वेतन के लिए अजय के हस्ताक्षर जरुरी है. जबकि अजय का ब्रेन बधीर हो चुका है, वह हस्ताक्षर करने में असमर्थ है. एक ही अस्पताल में काम करनेवाले अधिकारी के साथ इस तरह का व्यवहार होने से सोलंके परिवार आहत है.