अमरावती

त्यौहारों की मिठास हुई कम

किराणा साहित्य के दाम बढे

* महंगाई के चलते मीठा बनाना हुआ महंगा
अमरावती/दि.20– गत रोज चहूंओर बडी धूमधाम के साथ श्री गणेश स्थापना हुई. वहीं अब कल कई परिवारों में ज्येष्ठा गौरी यानि महालक्ष्मी की स्थापना होगी. ऐसे में प्रसाद व नैवैद्य हेतु किराणा सहित्य की मांग बढ गई है. अब बाजार में अच्छी खासी तेज दिखाई दे रही है. जिसका सीधा असर किराणा साहित्य के दामों पर पडता दिखाई दे रहा है. क्योंकि मांग बढ जाने की वजह से किराणा साहित्य के दामों में अच्दी खासी तेजी दिखाई दे रही है. ऐसे में किराणा साहित्य के महंगे हो जाने की वजह से पर्व एवं त्यौहारों पर घरों में बनाए जाने वाले नैवैद्य व प्रसाद की मिठास एक तरह से कम हो गई है तथा ज्यादातर लोगबाग अब बाजार से रेडिमेट मिष्ठान्न लाकर उसका ही नैवैद्य व भोग अर्पित करने लगे है.
बता दें कि, पर्व एवं उत्सव के निमित्त अधिकांश परिवारों में विविध खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते. जिसके तहत लड्डू, चिवडा, गुजिया जैसे विविध व्यंजनों के साथ-साथ मिठाई व फलों का नैवैद्य तैयार किया जाता है. परंतु नैवैद्य तैयार करने में प्रयुक्त होने वाले फल्लीदाने, शक्कर, मैदा, रवा व घी जैसी वस्तुएं महंगी हो गई है. ऐन त्यौहारों के सीजन में किराणा सामान के दाम बढने और शक्कर अचानक ही महंगी हो जाने के चलते सर्वसामान्यों का बजट बिगडता नजर आ रहा है. ऐसे समय घर पर विविध व्यंजन तैयार करने की बजाय लोगबाग अब किसी स्वीट मार्ट यानि मिष्ठान्न भंडार से रेडिमेट खाद्य पदार्थ व मिठाई ले जाना पसंद कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि, गत रोज गणपति बाप्पा का आगमन हुआ. इस 10 दिवसीय गणेशोत्सव का आगामी 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर समापन होगा. इसी दौरान तीन दिवसीय ज्येष्ठा गौरी पूजन व महाप्रसाद का आयोजन चलेगा. वहीं गणेशोत्सव के पश्चात नवरात्री, दशहरा व दीपावली जैसे पर्व मनाए जाएंगे. इन सभी पर्व पर विविध तरह के व्यंजन व खाद्य पदार्थ बनाने की परंपरा है. परंतु किराणा साहित्य में लगातार हो रही दरवृद्ध को देखते हुए त्यौहारों के उत्साह पर कुछ हद तक पानी फिर सकता है.
* तुलनात्मक दाम
वस्तु                 वर्ष 2022     वर्ष 2023
गाय का घी            810             850
भैस का घी            630             650
डालडा                 120             150
शक्कर                  38               40
मैदा                      35               40
रवा                       45               50
* शक्कर हो सकती है और महंगी
श्रावण माह से पर्व एवं त्यौहारों का उत्सवकाल शुरु होता है. जिसके चलते शक्कर की मांग बढ जाती है. जिसके चलते शक्कर के दामों में इस दौरान हमेशा ही कुछ न कुछ इजाफा होता ही है. वहीं इस वर्ष महाराष्ट्र व कर्नाटक राज्य में बारिश कम होने के चलते गन्ने की खेती का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है और गन्ने का उत्पादन बेहद कम हुआ है. जिसके चलते शक्कर कारखानों में गन्ना गलाई का प्रमाण कम रहा तथा शक्कर का उत्पादन भी कम हुआ. जिसकी वजह से इस बार शक्कर की कीमतें और भी अधिक बढने की संभावना है.

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