वहीवाटी का पर्याय हटा, छोटे क्षेत्र की नापजोख बंद
भूमि अभिलेख वर्जन-2 में करनी पडती है बिगर खेती
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अमरावती /दि. 20– भूमि अभिलेख विभाग द्वारा ई-मोजणी के वर्जन-2 को लागू किए जाने के चलते समूचे राज्यभर में जमीन की नापजोख का काम 100 फीसद ऑनलाइन हो रहा है. परंतु नए वर्जन में वहीवाटी का पर्याय ही नहीं दिया गया है. साथ ही छोटे क्षेत्र की नापजोक बंद कर दी गई है. जिसके चलते किसानों को बिगर खेती व गुंठेवारी करवाना पड रहा है.
भूमि अभिलेख विभाग द्वारा नए सिरे से शुरु की गई ई-नापजोख के वर्जन-1 व वर्जन-2 में भी वहीवाटी या छोटे क्षेत्र की नापजोख का पर्याय नहीं दिया गया है. एकत्रिकरण कानून अंतर्गत असिंचित क्षेत्र हेतु 20 गुंठे व बागायती क्षेत्र हेतु 10 गुंठे का नियम है. इससे कम क्षेत्र का टुकडा नहीं किया जा सकता. जिसके चलते किसानों को यदि नापजोख करते हुए ‘क’ प्रत की जरुरत पडती है तो उन्हें बिगर खेती या गुंठेवारी करवाकर लेना पडता है. इस समय ग्रामीण क्षेत्र में वर्जन-2 को अमल में लाया जा रहा है.
* जीआयएस आधारित वर्जन
भूमि अभिलेख का वर्जन-1 प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर था, वहीं नया वर्जन-2 जीआयएस आधारित है, जिसमें जीपीएस से जुडे रहनेवाले रोवर के जरिए नापजोख करने की सुविधा है. ऐसे में संबंधित क्षेत्र के अक्षांश व रेखांश की जानकारी दर्ज की जाती है. साथ ही नापजोख के ‘क’ पत्रक सहित अन्य रिपोर्ट उपलब्ध कराए जाते है. नापजोख को लेकर किसानों द्वारा अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई जाती है. पूरे क्षेत्र की नापजोख होने के बाद किसी किसान द्वारा दुबारा नापजोख हेतु आवेदन करने पर भूमि अभिलेख कार्यालय में रिकॉर्ड को जांचने व देखने की जरुरत ही नहीं पडती.
* भविष्य में नापजोख सुलभ
भूमि अभिलेख विभाग द्वारा मुंबई शहर के अलावा पूरे राज्य में तीन चरणों के तहत ई-नापजोख की वर्जन-2 को लागू किया गया है. वर्जन-2 में रोवर की सहायता से नापजोख की जाती है तथा अभिलेख में रहनेवाले रिकॉर्ड के अनुसार किसानों को उनके जमीन की सीमा बताने के साथ ही सीमाओं पर निशानी बनाकर दी जाती है. नापजोख पूर्ण होने के बाद सैटेलाइट पर अक्षांश व रेखांश को अपलोड किया जाता है. जिसके चलते भविष्य में अन्य किसानों की जमीनों की नापजोख करते समय पहले की गई नापजोख व जमीन की सीमा का आधार लिया जाता है.