खेती व ग्रामीण विकास की व्यवस्था निराशाजनक
मोर्शी/दि.2 – कल पेश किया गया केंद्रीय बजट नहीं बल्कि आगामी समय में पांच राज्य में होने वाले चुनाव का जाहीरनामा है. खेती व ग्रामीण विकास के लिए की गई व्यवस्था निराशाजनक है. पिछले वर्ष ही इसी तरह की घोषणा की गई थी, लेकिन उसपर अमल नहीं हुआ.
इसमें महाराष्ट्र के लिए कुछ भी ठोस न रहने से राज्य के हाथों में निराशा आयी है. बजट में महाराष्ट्र कही पर भी दिखाई नहीं देता. महाराष्ट्र के साथ सौतेला बर्ताव किया गया है.
बजट से देश के भावी विकास की दिशा निश्चित होती है किंतु इस बजट में देश के किसानों को क्या दिया, गरीबों को क्या दिया, विविध घटकों के विकास के बारे में कौनसे निर्णय लिये, लॉकडाउन के चलते प्रभावीत हुई अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए क्या उपाय किये गए, इस बाबत कही पर भी उल्लेख नहीं किया गया. इस बार के बजट में कुछ राज्यों के लिए वहां के चुनाव सामने रखकर शासकीय स्तर से लाभ पहुंचाया गया. कोरोना संकट के बाद पेश किये गए पहले बजट से अर्थव्यवस्था को पूर्वपद पर लाने के लिए कल्पकता से निर्णय होना अपेक्षित था, लेकिन वह दुर्दैव से रह गया, इस तरह की प्रतिक्रिया मोर्शी तहसील के दापोरी स्थित ग्रामपंचायत सदस्य रुपेश वालके ने बजट पर दी है.