* नवरात्रि में दर्शन के लिए उमड रही है भीड
नांदगांव खंडेश्वर/दि.17– अमरावती जिले के नांदगाव खंडेश्वर तहसील में आनेवाले ग्राम खंडाला (खुर्द) में ज्वालामुखी माता रेणुका देवस्थान 850 वर्ष प्राचीन है. यह प्राचीन मंदिर भक्तों का आस्था स्थल है. इस मंदिर में नवरात्रि उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. बताया जाता है कि यहां की ज्वालामुखी माता रेणुका यह लगभग 850 वर्ष पूर्व अवतरित हुई थी. महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर और माहुर नामक तीन शक्तिपीठ हैं. जबकि नासिक में सप्तश्रृंगी देवी को अर्ध शक्तिपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है. महाराष्ट्र में शक्ति पूजा की एक समृद्ध परंपरा और इतिहास है.
नांदगाव खंडेश्वर तहसील में ग्राम खंडाला (खुर्द) नाम से विदर्भ के कुछ प्राचीन शक्तिपीठों में सबसे पहले आता है. इस स्थान पर मां रेणुका का मंदिर और प्राचीन छवियों का खजाना क्षेत्र की आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है. यवतमाल रोड पर नांदगाव खंडेश्वर से मात्र 6 किलोमीटर दूर खंडाला (खुर्द) गांव है. यहां पर ज्वालामुखी मां रेणुका देवी का शक्ति पीठ है. इस मंदिर की देखभाल ज्ञानेश्वर महाराज आमडारे कर रहे हैं. उनके पिता नारायण महाराज आमडारे मंदिर की देखरेख करने के लिए इस स्थान पर निवास कर रहे है. उस समय इस स्थान पर घना जंगल था, इस जंगल में रेणुकामाता का एक छोटा सा मंदिर भी मंदिर क्षेत्र के चारों ओर विभिन्न प्रकार की मूर्तियां पड़ी हुई थीं, बहुत पुराने निर्माण का आज विस्तार किया गया है और अभी प्रशस्त मंदिर का निर्माण किया गया है.
प्राचीन पृष्ठभूमि वाले इस स्थान पर नवरात्रि के दौरान काफी भीड़ रहती है, जिससे भक्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. सुबह-सुबह नांदगाव खंडेश्वर से श्रद्धालुओं दर्शन हेतू बडी संख्या में आते है. मंदिर से कुछ दूरी पर गांव का एक तालाब है. यह तालाब भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थान कभी ज्वालामुखी मां रेणुका की शक्ति का एक बडा केंद्र था. यहां की रेणुका देवी की छवि प्राचीन विदर्भ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान है. यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का कहना है. यह मंदिर अत्यंत जागृत और मन्नत पूरी करने वाला है. नवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड होती है. यहां पूरे 10 दिनों तक धार्मिक उत्सवों क सिलसिला चलता है. हालांकि, इन दिनों में खंडाला (खुर्द) का ज्वालामुखी मां रेणुकादेवी मंदिर एक तीर्थ का रूप लेता है.