* सभी लगा रहे अपने-अपने कयास
अमरावती/दि.29– अमरावती संसदीय क्षेत्र का नया सांसद चुनने के लिए 64 फीसद मतदाताओं द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए चुनावी अखाडे में मौजूद सभी 37 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया गया. वहीं चुनाव से पहले कुल उम्मीदवारों में से तीन प्रमुख प्रत्याशियों के लिए मौजूदा एवं पूर्व यानि ‘आजी-माजी’ सांसदो व विधायकों तथा पूर्व मंत्रियों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. महाविकास आघाडी, महायुती व प्रहार पार्टी के प्रत्याशियों हेतु सभी मौजूदा व पूर्व जनप्रतिनिधियों ने दिन-रात एक करते हुए जबरदस्त प्रचार किया था. जिसके चलते किसके प्रयास फलदायी होंगे और इस बार जिले का सांसद कौन चुना जाएगा, इसकी ओर सभी की निगाहें लगी हुई है. जिसका फैसला 4 जून को हो जाएगा. ऐसे में अब 4 जून तक सभी मौजूदा व पूर्व जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.
बता दे कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे, पूर्व मंत्री व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल एवं यशोमति ठाकुर, विधायक बच्चू कडू, राजकुमार पटेल व रवि राणा, पूर्व सांसद अनंत गुढे, पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख, जगदीश गुप्ता व ज्ञानेश्वर धाने पाटिल सहित स्थानीय स्वायत्त निकायों के कई पूर्व पदाधिकारियों ने भी अपनी-अपनी पार्टियों के प्रत्याशियों की जीत के लिए अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगाते हुए अपनी पूरी राजनीतिक ताकत को झोंक दिया था और अपने-अपने प्रत्याशियों का दिन-रात एक करते हुए चुनाव प्रचार किया.
* बोंडे व पोटे की जोडी ने खिंचा भाजपा का रथ
महायुती की ओर से भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाई गई नवनीत राणा के प्रचार हेतु भाजपा के शहराध्यक्ष व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल एवं जिलाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे के नेतृत्व में भाजपा के लगभग सभी पदाधिकारियों ने जमकर काम किया और चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोडी. अमरावती जिले में भाजपा के एकमात्र विधायक रहनेवाले प्रताप अडसड का निर्वाचन क्षेत्र वर्धा लोकसभा सीट अंतर्गत रहने के चलते उन्होंने उस तरफ ही ज्यादा ध्यान दिया. ऐसे में अमरावती संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के प्रचार का पूरा जिम्मा जिलाध्यक्ष व शहराध्यक्ष रहनेवाले भाजपा सांसद व विधायक की जोडी पर था तथा बोंडे व पोटे की इस जोडी ने इस जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाया.
* दोनों पूर्व मंत्रियों ने झोंकी ताकत, फिर हुए आमने-सामने
अमरावती संसदीय क्षेत्र में महाविकास आघाडी के प्रत्याशी बलवंत वानखडे के प्रचार हेतु कांग्रेस नेता व पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने तथा महायुती प्रत्याशी नवनीत राणा के प्रचार हेतु भाजपा नेता व पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए कुछ इस तरह से चुनाव प्रचार किया, मानों वे खुद ही चुनाव लड रहे है. जिसके चलते करीब ढाई-तीन दशक पहले एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी के तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड चुके जगदीश गुप्ता व डॉ. सुनील देशमुख इस बार के संसदीय चुनाव में प्रचार के दौरान एक बार फिर आमने-सामने दिखाई दिए.
* ठाकुर, कडू, पटेल व राणा रहे फ्रंटफुट पर
जिले में कांग्रेस के तीन विधायको में से बलवंत वानखडे खुद संसदीय चुनाव में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी थे. वहीं अमरावती से कांग्रेस की विधायक रहनेवाली सुलभा खोडके ने इस चुनाव को लेकर अपनी कोई भूमिका स्पष्ट नहीं की थी. इसके चलते बलवंत वानखडे के चुनाव प्रचार के पूरे सूत्र विधायक यशोमति ठाकुर के पास आ गए थे. वैसे भी विधायक यशोमति ठाकुर ने ही वानखडे की उम्मीदवारी के लिए पार्टी आलाकमान के समक्ष प्रयास करते हुए उनकी टिकट ‘कन्फर्म’ करवाई थी और वे वानखडे के प्रचार हेतु पूरी तरह से ‘फ्रंटफुट’ पर भी दिखाई दी. यही वजह है कि, कांग्रेस प्रत्याशी को छोडकर विधायक यशोमति ठाकुर को लेकर ही शाब्दीक हमले व आरोप जमकर हुए.
उधर दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा के प्रचार का पूरा जिम्मा एक तरह से नवनीत राणा के पति व बडनेरा के निर्दलीय विधायक रवि राणा पर रहा. जिसके चलते विधायक रवि राणा अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार हेतु पूरी तरह से ‘फ्रंटफुट’ पर ही दिखाई दिए. इसके अलावा प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया और अचलपुर के विधायक बच्चू कडू ने स्थानीय स्तर पर महायुती से अलग होते हुए शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख दिनेश बूब को अपनी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनाया. साथ ही मेलघाट से प्रहार पार्टी के विधायक रहनेवाले राजकुमार पटेल ने भी दिनेश बूब के चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. यद्यपि प्रहार पार्टी की ओर से दिनेश बूब प्रत्याशी थे. परंतु पूरा प्रचार विधायक बच्चू कडू के ईर्द-गिर्द ही सक्रिय रहा.
अमरावती विधानसभा क्षेत्र की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके मविआ प्रत्याशी अथवा पंजे के प्रचार हेतु खुलकर सामने नहीं आई. साथ ही वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की परतवाडा में हुई सभा में भी उपस्थित नहीं थी. इसके अलावा विधायक सुलभा खोडके के पति तथा महायुती में शामिल अजीत पवार गुटवाली राकापा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके ने भी खुद को महायुती प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से पूरी तरह अलग रखा. जिसके शहर सहित जिले की राजनीति में अपना अच्छा-खासा रसूख रखनेवाले खोडके दम्पति इस बार के संसदीय चुनाव में पूरी तरह से तटस्थ दिखाई दिए.
* पूर्व सांसद व विधायको में से कोई सक्रिय, कोई निष्क्रिय
शिवसेना उबाठा के नेता व पूर्व सांसद अनंत गुढे की सक्रियता महाविकास आघाडी के प्रत्याशी हेतु काफी सहायक साबित हुई. साथ ही शिवसेना के पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल ने भी मविआ प्रत्याशी का ही प्रचार किया. जबकि शिंदे गुट वाली शिवसेना के नेता व पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल ने केवल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रचार सभा में हाजिरी लगाई और इसके अलावा वे महायुती प्रत्याशी के प्रचार में कहीं पर भी दिखाई नहीं दिए. इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक रावसाहब शेखावत भी चुनावी काल के दौरान अमरावती में कहीं नहीं दिखे. वहीं वर्धा संसदीय क्षेत्र में शामिल रहनेवाले चांदुर रेलवे के पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप ने जरुर कुछ मौको पर अमरावती संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार किया.