तत्कालीन मंडल अधिकारी राजू दंदाले व सह दुय्यम निबंधक जालसाजी मामले में बरी
नकली दस्तावेज तैयार करने व धोखाधडी के लगे थे आरोप
अमरावती/दि. 8– धोखाधडी, नकली और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप से तत्कालीन मंडल अधिकारी राजू दंदाले और सह दुय्यम निबंधक श्रेणी-2 अविनाश पेठे को मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने सबूतो के अभाव में बरी कर दिया. यह फैसला शनिवार 6 जुलाई को सुनाया गया.
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता पद्मा किशोर की तरफ से किशोर गट्टानी ने 30 अप्रैल 2024 को गाडगे नगर पुलिस थाने में तबस्सुम शेख अब्दुल समद, राधेश्याम बद्रीनाथ राठी, शेख बशीर शेख अब्दुल व संजय चिरकुटराव नेवारे के खिलाफ कलम 420, 465, 466, 467, 471 व 34 के तहत मामला दर्ज करवाया गया था. इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने इस अपराध में सुनील शंकर मालानी, जयकुमार नारायणदास मंत्री, दिनेश गणेशदास बूब, राजू दंदाले (मंडल अधिकारी), अविनाश पेठे (सह दुय्यम निबंधक वर्ग-2 अमरावती), तत्कालीन पटवारी रमेश रामकृष्ण कालबांडे, सचिन संजय सैनी, अन्जार परवेज खान व सैयद शोएब अली को भी आरोपी बनाया था.
आरोपियों पर आरोप लगे थे कि, शिकायतकर्ता की मालिकी व कब्जे वाला मौजे तारखेडा (बडनेरा) स्थित सर्वे नं. 20 में 3480 वर्ग फूट का प्लॉट आरोपियों ने आपसी मिलीभगत कर व नकली कागजात तैयार कर बेच दिया था. इसकी बिक्री करते वक्त प्लॉट की असली मालिक पद्मा गट्टानी की जगह दूसरी महिला को खडा कर नकली कागजातों के आधार पर दूसरे आरोपियों को बेच दिया गया था. इस प्लॉट की फेरफार तत्कालीन पटवारी ने की थी और इसे मंजूरी तत्कालीन मंडल अधिकारी ने दी थी. इन आरोपों की जांच कर आरोपियों के खिलाफ गाडगे नगर पुलिस ने मुख्य न्यायदंडाधिकारी की अदालत में चार्जशीट पेश कर दी थी.
इस मामले में आरोपी राजू दंदाले व अविनाश पेठे की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा व देवेंद्र दापुरकर ने अदालत में आरोपी को दोषमुक्त करने हेतु याचिका दायर की थी. इस याचिका में कहा गया था कि, इस मामले में राजू दंदाले और अविनाश पेठे की तरफ से कोई कदाचार नहीं किया गया. उन्होंने शासन द्वारा दिए कार्य को अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ किया है और दोनों के अन्य आरोपियों से कोई संबंध नहीं है. प्लॉट का फेरफार मंजूर करने व खरीदी पंजीयन के सभी काम शासकीय कर्मचारी होने के नाते इन्होंने पूर्ण किए है. साथ ही याचिका में कहा गया कि, दोनों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश करते वक्त सक्षम अधिकारी से अनुमति पुलिस को लेनी चाहिए थी.
आरोपियों को दोषमुक्त करने संबंधी आवेदन पर आरोपियों की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा व देवेंद्र दापुरकर ने पैरवी की. जबकि पुलिस की तरफ से सरकारी वकील ने युक्तिवाद किया. सुनवाई के पश्चात अदालत ने माना कि, दोनों आरोपी शासकीय कर्मचारी है. इसलिए इनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने से पहले सक्षम अधिकारी की अनुमति पुलिस को लेनी चाहिए थी. मुख्य न्यायदंडाधिकारी एस.जे. भट्टाचार्य ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राजू दंदाले व अविनाश पेठे को निर्दोष बरी कर दिया. राजू दंदाले की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा ने पैरवी की और उन्हें एड. नम्रता साहू, एड. मनोज नरवाडे व एड. ऋतुराज भोरे ने सहयोग किया. वहीं अविनाश पेठे की तरफ से एड. देवेंद्र दापुरकर ने पैरवी की.