अमरावती

दीपाली चव्हाण मामले को लेकर उमडा जनक्षोभ

दोषियों पर कडी कार्रवाई करने की मांग पकड रही जोर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – दो दिन पूर्व मेलघाट के गुगामल वन्यजीव विभाग अंतर्गत सिपना वन परिक्षेत्र में आरएफओ के रूप में तैनात दीपाली चव्हाण ने हरिसाल स्थित अपने सरकारी आवास पर अपनी सरकारी रिवॉल्वर से खुद पर गोली चलाते हुए आत्महत्या कर ली थी. इस मामले की गूंज समूचे राज्य में सुनाई दे रही है. साथ ही दीपाली चव्हाण को प्रताडित करते हुए उसे आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करनेवाले वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की मांग जोर पकड रही है. वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इसे एक दुर्भाग्यजनक घटना बताते हुए इस पर अफसोस जताया है. साथ ही दीपाली चव्हाण के साथ अपमानास्पद व्यवहार करते हुए उसे आर्थिक व मानसिक तौर पर प्रताडित करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई करने की मांग की है.

  • बेहद दुर्दैवी घटना

फॉरेस्ट रेंजर दीपाली चव्हाण बेहद निडर होकर मेलघाट जैसे दुर्गम क्षेत्र के घने जंगलों में अपनी सेवाएं दे रही थी और उनका सर्विस रिकॉर्ड भी बेहद शानदार रहा. ऐसी युवा महिला अधिकारी को खुद पर गोली चलाकर आत्महत्या करनी पडे, यह अपने आप में समूचे महाराष्ट्र के लिए बेहद दुर्भाग्यजनक घटना है. दीपाली चव्हाण द्वारा लिखे गये चार पन्नों के सुसाईड नोट में उसकी आत्महत्या की वजह स्पष्ट तौर पर लिखी हुई है. जिससे पता चलता है कि, महिलाए आज भी किसी भी क्षेत्र में सुरक्षित नहीं है और कार्यस्थलों पर आज भी दबावतंत्र का प्रयोग किया जाता है, एवं महिलाओं की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जाता. ऐसे में दीपाली जैसी महिलाओं को मौत का रास्ता अपनाना पडता है.
– सुलभा खोडके
विधायक, अमरावती

  • दोषियों पर कडी कार्रवाई हो

मेलघाट के किसी भी कर्मचारी के साथ अगर किसी भी तरह की समस्या है, तो उन्हें इस बारे में मुझसे बात करनी चाहिए. मैं उनकी समस्याओं को हल करने का हमेशा ही पूरा प्रयास करता हूं. किंतु इस बार जो हुआ, वह बेहद दु:खद और गंभीर है. आरएफओ दीपाली चव्हाण ने जो निर्णय लिया वह बहुत ही दु:खद है. यदि उन्होंने इस बारे में मुझे बताया होता, तो मैं निश्चित तौर पर इस समस्या को हल करने का प्रयास करता. किंतु मुझे इस बारे में कुछ पता ही नहीं था. इस पुरे मामले की बेहद सघनता के साथ जांच की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई होनी ही चाहिए.
– राजकुमार पटेल
विधायक, मेलघाट

  • वरिष्ठ अधिकारी है दीपाली की मौत के लिए जिम्मेदार

महिलाएं कितने भी उच्च पद पर पहुंच जाये, किंतु उनकी तकलीफे खत्म नहीं होती और वे कितना भी अच्छा काम करे, तो भी पुरूषी अहंकार उनके कामों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि कई बार उन्हें मानसिक तौर पर तोडने का काम किया जाता है. जिस दीपाली चव्हाण ने अपनी पहचान लेडी सिंघम के रूप में बनायी, वह आत्महत्या कर ही नहीं सकती है, बल्कि उसकी मौत के लिए उसकी प्रताडना करनेवाले वरिष्ठ अधिकारी ही जिम्मेदार है. ऐसे में इस मामले की अलग एंगल से भी जांच होना जरूरी है. साथ ही दीपाली को आत्महत्या के लिए मजबूर करनेवाले वरिष्ठ अधिकारियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.
– राधा कुरील
पुर्व स्थायी सभापति, मनपा

  • सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज हो

इस सरकार में किसी का भी किसी पर कोई अंकुश नहीं है और अधिकारी पूरी तरह से अपनी मनमानी कर रहे है. साथ ही इस सरकार के कार्यकाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं है. यह बात फिर एक बार साबित हो गयी है. अपनी चमडी बचाने में मश्गुल और हफ्ता वसुली में व्यस्त रहनेवाली सरकार के पास शासन व प्रशासन व्यवस्था पर ध्यान देने के लिए समय ही नहीं है. ऐसे में सरकार का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं बचा है. हरिसाल में एक वरिष्ठ अधिकारी अपनी अधिनस्थ महिला अधिकारी को मानसिक तौर पर इतना अधिक प्रताडित करता है कि वह खुद को खत्म कर लेने के फैसले तक जा पहुंचती है. जिले की पालकमंत्री एक महिला रहने के बावजूद इस तरह की घटना घटित होना बेहद लज्जास्पद है. ऐसे में दीपाली की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज किया जाना चाहिए.
– प्रा. शिल्पा चौधरी पाचघरे
प्रदेश महिला उपाध्यक्ष, भाजपा

  • उस असहनीय पीडा की कल्पना की जा सकती है

लेडी सिंघम के रूप में विख्यात दीपाली चव्हाण द्वारा आत्महत्या कर लिये जाने की घटना बेहद क्लेषदायक व दु:खदायक है. दीपाली चव्हाण बेहद होशियार व कर्तव्यदक्ष महिला अधिकारी रहने के साथ ही अनुशासनप्रिय भी थी. किंतु विनोद शिवकुमार नामक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उसे मानसिक तौर पर लगातार प्रताडित किया जा रहा था. यह बात उसके सुसाईड नोट से स्पष्ट होती है. यह प्रताडना असहनीय होनी की वजह से ही उसने आत्महत्या का निर्णय लिया. ऐसे में वह किस तरह के दर्द व तकलीफ के दौर से गुजर रही थी, उसकी महज कल्पना की जा सकती है. ऐसे में शिवकुमार व रेड्डी नामक वन अधिकारियोें के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज किया जाना चाहिए. साथ ही वनविभाग में चलनेवाले भ्रष्टाचार की भी जांच की जानी चाहिए.
– सुरेखा लुंगारे
प्रदेश सचिव, भाजपा महिला आघाडी

  • एसआईटी के जरिये जांच हो

आरएफओ दीपाली चव्हाण की आत्महत्या से कई सवाल पैदा हुए है. दीपाली ने यह कदम क्यों उठाया, इसका पता उसके द्वारा लिखे गये सुसाईड नोट से स्पष्ट होती है. ऐसे में दीपाली को आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करनेवाले सभी अधिकारियों की एसआईटी गठित करते हुए जांच की जानी चाहिए, ताकि वन विभाग में होनेवाला भ्रष्टाचार सामने आये. दीपाली चव्हाण की वजह से वन अधिकारियों को जंगल में अपने काले कारनामे करना संभव नहीं था, इसीलिए उन्होंने दीपाली चव्हाण को प्रताडित करना शुरू किया. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, इस पूरे मामले की सघन जांच हो.
– संतोष महात्मे
पूर्व जिप उपाध्यक्ष

  • फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो सुनवाई

आरएफओ दीपाली चव्हाण की आत्महत्या से केवल अमरावती जिला ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र का समाजमन व्यथित हो गया है. दीपाली चव्हाण एक निडर, साहसी व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थी. लेकिन बावजूद इसके कर्तव्य निर्वहन के दौरान वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों की प्रताडना का शिकार हुई. गर्भवति रहते समय भी उससे तीन दिनों तक जंगल में ट्रैकिंग करवायी गयी. जिसकी वजह से उसका गर्भपात हुआ. पुरूषी विचारों की आज भी समाज में बेहद मजबूत पकड है और महिलाएं भी अच्छा काम कर सकती है, यह बात पुरूषों के अहंकार को सहन नहीं होती. जिसकी वजह से महिलाओें का अपमान करने के साथ ही उन्हें प्रताडित किया जाता है. दीपाली चव्हाण के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. ऐसे में इस घटना हेतु जिम्मेदार अधिकारियों पर कडी से कडी कार्रवाई होनी चाहिए. इस मामले की जांच सीआयडी के जरिये करवाने के साथ ही मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करते हुए दीपाली चव्हाण को जल्द से जल्द न्याय दिलवाया जाना चाहिए.

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