गांव की ‘छकुली’ बनी राष्ट्रीय कबड्डी खिलाडी
बत्थर फोडनेवाले परिवार की बेटी ने भरी उंची उडान

अमरावती /दि. 8- उसका बचपन छोटे से गांव में बीता. पिता पत्थर फोडकर मेहनत-मजदूरी किया करते थे. गांव की जिप प्राथमिक शाला के शिक्षक ने उसकी गुणवत्ता को देखते हुए उसे प्रोत्साहित कर दूसरी शाला में प्रवेश दिलाया और आज अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन व खुद के परिश्रम के दम पर छोटे से गांव छकुली सुरेश पिटेकर नामक छात्रा ने राष्ट्रीय कबड्डी पटू के रुप में अपनी नई पहचान बनाई है. जिसके चलते जिले में पहली बार किसी छोटे से गांव की लडकी के फोटो तहसील एवं जिला स्तर पर बडे अभिमान के साथ झलक रहे है.
छकुली पिटेकर के पिता सुरेश पिटेकर मुलत: चांदुर रेलवे रोड स्थित बासलापुर गांव में रहनेवाले अल्पभूधारक किसान है. जो बासलापुर के पास स्थित करोडा बेडे में अपनी झोपडी बनाकर रहते है और पत्थर फोडने का मेहनतभरा काम करते हुए अपनी मजदूरी कमाते है. माता-पिता के काम में पिटेकर की 5 बेटियां और एक बेटा भी हाथभार लगाया करते है. इन्हीं 5 बेटियों में से एक छकुली पिटेकर ने अपनी झोपडी के पास स्थित जिला परिषद शाला में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की. सभी विद्यार्थियों में छकुली पिटेकर काफी मेधावी व गुणवान थी. ऐसे में कक्षा शिक्षक सुरेश लक्ष्मण ठाकरे ने छकुली के जीवन को योग्य दिशा देने हेतु उसका दाखिला पास ही स्थित मांजरखेड की जिप शाला में कराया. जहां छकुली ने खेल के प्रति रुची निर्माण हुई. पश्चात इसी गांव के संत गाडगेबाबा विद्यालय में 8 वीं से 12 वीं की पढाई के दौरान छकुली ने शालेय क्रीडा स्पर्धा में खुद को साबित किया और अंतरशालेय स्पर्धा में क्रीडा कौशल्य दिखाने की वजह से उसे विदर्भस्तरीय कबड्डी स्पर्धा में खेलने का मौका मिला. पश्चात आझाद हिंद क्रीडा मंडल के कबड्डी मार्गदर्शक संदीप शेंडे ने छकुली को पेशेवर कबड्डी खिलाडी के तौर पर तैयार करने का काम शुरु किया. इस समय छकुली पिटेकर राजश्री शाहू विज्ञान महाविद्यालय में बीएससी प्रथम वर्ष की पढाई कर रही है.
* राष्ट्रीय खिलाडी के तौर पर नई पहचान
राजश्री शाहू महाविद्यालय की छात्रा के रुप में विद्यापीठ स्तर पर कबड्डी स्पर्धा में छकुली पिटेकर ने शानदार खेल प्रदर्शन किया. साथ ही इसके बाद 51 वीं राज्यस्तरीय ज्युनियर स्पर्धा की तीन मैचों में भी छकुली ने कबड्डी के खेल पर अपनी श्रेष्ठता को साबित किया. जिसके दम पर वह राष्ट्रीय खिलाडी के रुप में चयनित हुई और उसका चयन विगत जनवरी माह के दौरान हरिद्वार में आयोजित राष्ट्रीय कबड्डी स्पर्धा के लिए किया गया. इस स्पर्धा में यद्यपि छकुली पिटेकर के कबड्डी दल को अजिंक्य चषक नहीं मिला परंतु इसके बावजूद छकुली पिटेकर ने राष्ट्रीय खिलाडी के तौर पर अपने महाविद्यालय सहित जिले का नाम रोशन किया है.
* सफलता का श्रेय गुरुजनों को
अपनी तमाम उपलब्धियों व सफलताओं को अपने माता-पिता व गुरुजनों के प्रति समर्पित करते हुए छकुली पिटेकर ने कहा कि, उसके जीवन को शिक्षारुपी आकार देने का काम माता-पिता सहित प्राथमिक शिक्षक सुरेश ठाकरे तथा उसे खिलाडी के तौर पर तैयार करने का काम क्रीडा शिक्षक संदीप शेंडे व महाविद्यालयीन शिक्षकों द्वारा किया गया. ऐसे में उसकी तमाम उपलब्छियों का श्रेय इन्हीं सब लोगों को है.