अमरावती / दि. 16– जिस काल में शैक्षणिक, सामाजिक क्षेत्र में इतनी प्रगति नहीं हुई थी तब समाज को वास्तविक रूप में भविष्य बनानेवाले केवल वैराग्यमूर्ति श्री संत गाडगे बाबा है. गाडगेबाबा ने निराधारों को आधार तथा प्यासे को पानी, भूखे को अन्न इस सदाव्रत का जीवन भर पालन किया. दिनदुर्बलों व अनाथों को सहारा देने का काम मेरे डेबुजीराय ने किया. ऐसी जानकारी अपने कीर्तन से हभप नारायण महाराज पडोले ने अपने कीर्तन द्बारा प्रस्तुत की.
श्री संत गाडगेबाबा की 67 वीं पुण्यतिथि महोत्सव दौरान अपने हिस्से में आए प्रथम कीर्तन सेवा में नारायण महाराज पडोले ने अपनी विशेष शैली से कीर्तन सेवा करते हुए कहा कि संत गाडगेबाबा ने शिक्षा का महत्व, एकदूसरे को सहयोग की भावना, लोभ-माया, अहंकार से कैसे दूर रहे यह अपने कीर्तन से सदैव गाडगेबाबा बताते रहे. उन्होंने केवल कहा ही नहीं बल्कि करके भी दिखाया. आज उसका उदाहरण यानी बाबा ने धर्मशाला यह उनकी पावती है.
इससे पूर्व हभप मुरलीधर लोणाग्रे महाराज की कीर्तनसेवा संपन्न हुई. संत गाडगे बाबा मिले सारी दुनिया मिली, क्या कहू दोस्तों मेरी किस्मत खुली, इस भजन से सारा परिसर गूंज उठा था. इस अवसर पर विश्वस्त बापूसाहेब देशमुख, भरत महाराज रेले, राहुल रेले, श्याम कालमेघ, बाहे गुरूजी, व्यवस्थापक प्रकाश महात्मे आदि उपस्थित थे.