अमरावती

विश्व का पहला कपास उत्पादन यंत्रमानव शीघ्र ही बाजार में

जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज व ज्योश आर्टिफिशिअल में सामंजस्य करार

अमरावती/दि.13 – ठाणे ज्योश आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स सोल्युशन्स कंपनी ने एग्रीकल्चर रोबोट (कृषि यंत्रमानव) बनाने का प्रकल्प हाथ में लिया है. कृत्रिम बुध्दिमत्ता प्रणाली पर आधारित तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल कर यह कृषि यंत्र मानव आगामी वर्ष में किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा. इसके लिये ज्योश और अमरावती के जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज में हाल ही में सामन्जस्य करार हुआ है.
इस नये तकनीकी ज्ञान के 3 पेटेंट हेतु कंपनी व्दारा आवेदन किया गया है व विश्व का पहला इंटिग्रेटेड एग्रीकल्चर रोबोट यह भारत में बनाया जायेगा. जोश कृषि तकनीकी मानव कपास की बुआई का संपूर्ण यांत्रिकीकरण करेगा. जिसमें तण निर्मूलन, कीड़े, रोग निर्मूलन के साथ ही कपास चुनना यह सभी काम यह कृषि यंत्रमानव करेगा. ऐसे यंत्र मानव ने किसानों के हेक्टरी 50 से 60 हजार रुपए की बचत होगी और इस कारण किसानों का लाभ होकर नयी पीढ़ी शहरों में छोटी मोटी नौकरी न करते हुए घर की खेती की तरफ ध्यान देंगे. यंत्र मानव का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर ने हेतु खेती के मेकनायझेशन में अच्छा अनुभव होने व खेती क्षेत्र में अच्छा विश्वासार्हता होने वाले मेन्युफेक्चरींग पार्टनर के रुप में अमरावती में गत 30 वर्षों से कार्यरत होने की बात जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज ने कही. जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज को खेती के लिये लगने वाले उपकरण बनाने का काफी अनुभव होने के साथ ही उनकी देशभर में बिक्री व सर्विसिंग के कार्यालय भी है.इसके लिये लगने वाले तकनीकी ड्राईंग, उत्पादन ब्यौरा, उत्पादन प्रक्रिया की जानकारी कंपनी यह जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज को देगी.
इस संबंध का सामन्जस्य करार जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज के चेयरमेन राजेन्द्र जाधव, शंतनू जाधव, ज्योश आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स सोल्युशन्स कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शरदचंद्र लोहोकरे और किसान नेता अरविंद नलकांडे की उपस्थिति में 8 अप्रैल को जाधव एग्रो इंडस्ट्रीज के अमरावती स्थित कार्यालय में हुआ. इस अवसर पर दिलीप देशमुख, पीयूष देशमुख भी उपस्थित थे.
भारत में कपास उत्पादन का क्षेत्र 120 लाख हेक्टर है व 60 लाख किसान कपास का उत्पादन करते हैं. खेत मजदूरों का नुकसान, बुआई मजदूरी खर्च, कीटकनाशक, तणनाशक व रसायनिक खाद का अनुचित रुप से इस्तेमाल किये जाने से कपास का उत्पादन किसानों के लिये वरदान न होते हुए श्राप साबित हुआ है. खेती करने के बाद अत्यंत अल्प लाभ होने से किसानों की आत्महत्या आम बात हो गई है. इस पर यांत्रिकीकरण यहीं उपाय है.

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